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बात सेहत की: सुपर बग बैक्टीरिया कर रहे एंटीबायोटिक हजम, हड्डियों में जल्द हो रहा संक्रमण…पढ़ें हैलट का रिसर्च
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: हिमांशु अवस्थी
Updated Fri, 09 May 2025 11:16 AM IST
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सार
Kanpur News: शोध के अगुवा वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. फहीम अंसारी ने बताया कि ट्रॉमा में आमतौर पर स्टेफोरिस बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, लेकिन अब एमआरएसए और कार्बापेनेम-प्रतिरोधी एंटेरो बैक्टीरिया का संक्रमण हो रहा है। ये सुपर बग हैं, जिन पर ज्यादातर एंटीबायोटिक असरदार नहीं होती।

हैलट हॉस्पिट कानपुर
- फोटो : amar ujala

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विस्तार
एंटीबायोटिक के अंधाधुंध इस्तेमाल से हड्डियों में सुपर बग का संक्रमण बढ़ रहा है। सुपर बग बैक्टीरिया के ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं से प्रतिरोधी होने के कारण आम दवाएं रोगियों को फायदा नहीं पहुंचा पा रही हैं। साथ ही, चोट लगने पर हड्डी और अस्थि मज्जा का संक्रमण जल्दी हो जाता है। यह तथ्य हैलट के अस्थि रोग विभाग के ताजा शोध से पता चला है। विभाग में आए 100 रोगियों पर यह अध्ययन किया गया।
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इनमें 64 रोगी डायबिटीज के थे। शोध में शामिल रोगियों का आयु वर्ग 30 से 40 वर्ष के बीच का था। यह शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल नियोनेटल सर्जरी में प्रकाशित हुआ है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रामा के रोगियों की जांघ, पैर और हाथ की हड्डी में संक्रमण था। रोगियों को दुर्घटना में चोट लगी। इसके बाद हड्डी और अस्थि मज्जा में संक्रमण हो गया। आम एंटीबायोटिक दवाओं से यह संक्रमण ठीक नहीं हुआ।
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ज्यादातर एंटीबायोटिक नहीं होती असरदार
शोध के अगुवा वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. फहीम अंसारी ने बताया कि ट्रॉमा में आमतौर पर स्टेफोरिस बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, लेकिन अब मैथीसिलीन रिसेस्टेंट स्टेफाइलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) और कार्बापेनेम-प्रतिरोधी एंटेरो बैक्टीरिया का संक्रमण हो रहा है। ये सुपर बग हैं। इन पर ज्यादातर एंटीबायोटिक असरदार नहीं होती। इलाज मुश्किल हो जाता है।
शोध के अगुवा वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. फहीम अंसारी ने बताया कि ट्रॉमा में आमतौर पर स्टेफोरिस बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, लेकिन अब मैथीसिलीन रिसेस्टेंट स्टेफाइलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) और कार्बापेनेम-प्रतिरोधी एंटेरो बैक्टीरिया का संक्रमण हो रहा है। ये सुपर बग हैं। इन पर ज्यादातर एंटीबायोटिक असरदार नहीं होती। इलाज मुश्किल हो जाता है।
डायबिटीज के रोगियों में संक्रमण हो जाता है गंभीर
शोध में शामिल ट्रॉमा के 24.2 फीसदी रोगियों में एमएसआरए, 21 फीसदी में सूडोमोनास और 16 फीसदी में ग्राम निगेटिव एसीनोवेक्टर का संक्रमण पाया गया। अन्य रोगियों में मिश्रित संक्रमण रहा है। डॉ. अंसारी ने बताया कि 95 प्रतिशत ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया मल्टी ड्रग रिसेस्टेंट हैं। इन पर एंटीबायोटिक काम नहीं कर पा रहीं। डायबिटीज के रोगियों में इनका संक्रमण अधिक गंभीर हो जाता है। शोध में शामिल रोगियों में 36 महिलाएं और 64 पुरुष रहे हैं। मल्टी रिसेस्टेंट बैक्टीरिया का संक्रमण लंबे समय तक चलता है और गंभीर होता है।
शोध में शामिल ट्रॉमा के 24.2 फीसदी रोगियों में एमएसआरए, 21 फीसदी में सूडोमोनास और 16 फीसदी में ग्राम निगेटिव एसीनोवेक्टर का संक्रमण पाया गया। अन्य रोगियों में मिश्रित संक्रमण रहा है। डॉ. अंसारी ने बताया कि 95 प्रतिशत ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया मल्टी ड्रग रिसेस्टेंट हैं। इन पर एंटीबायोटिक काम नहीं कर पा रहीं। डायबिटीज के रोगियों में इनका संक्रमण अधिक गंभीर हो जाता है। शोध में शामिल रोगियों में 36 महिलाएं और 64 पुरुष रहे हैं। मल्टी रिसेस्टेंट बैक्टीरिया का संक्रमण लंबे समय तक चलता है और गंभीर होता है।
इसे कहते हैं सुपर बग
सुपर बग ऐसे रोगाणु को कहते हैं, जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं। इनका इलाज करना मुश्किल हो जाता है। उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाएं उन्हें नष्ट नहीं कर पातीं। मल्टी ड्रग रिसेस्टेंट रोगाणुओं को सुपर बग नाम दिया गया है।
सुपर बग ऐसे रोगाणु को कहते हैं, जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं। इनका इलाज करना मुश्किल हो जाता है। उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाएं उन्हें नष्ट नहीं कर पातीं। मल्टी ड्रग रिसेस्टेंट रोगाणुओं को सुपर बग नाम दिया गया है।