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बिजली कड़कने और अस्थमा अटैक का ये कनेक्शन जान रह जाएंगे दंग, एक शोध जिसने सांस रोग विशेषज्ञों को चौंकाया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Tue, 02 Feb 2021 08:45 PM IST
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : amar ujala
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आंधी-तूफान के वक्त बिजली कड़कने से अस्थमा का अटैक पड़ सकता है। इसके साथ ही जिन्हें अस्थमा नहीं है, उन्हें यह रोग हो सकता है। जिन लोगों के अंदर सांस की एलर्जी की समस्या छिपी हुई है, उनमें रोग उभार मार सकता है। यह खुलासा आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ डॉ. फ्रैंकथियन के अंतरराष्ट्रीय शोध में हुआ है।
यह शोध नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पल्मोनरी डिजीजेज (नैपकॉन) में प्रस्तुत किया गया, जिसने सांस रोग विशेषज्ञों को चौंका दिया है। खुलासे के बाद इस दिशा में सांस रोग से संबंधित विभिन्न संस्थाएं शोध की तैयारी कर रही हैं। नैपकॉन के साइंटिफिक सचिव और इंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसके कटियार ने बताया कि इसे थंडर स्टॉर्म अस्थमा नाम दिया गया है।

यह शोध नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पल्मोनरी डिजीजेज (नैपकॉन) में प्रस्तुत किया गया, जिसने सांस रोग विशेषज्ञों को चौंका दिया है। खुलासे के बाद इस दिशा में सांस रोग से संबंधित विभिन्न संस्थाएं शोध की तैयारी कर रही हैं। नैपकॉन के साइंटिफिक सचिव और इंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसके कटियार ने बताया कि इसे थंडर स्टॉर्म अस्थमा नाम दिया गया है।
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पहली बार इस पर विस्तृत अध्ययन हुआ है। उन्होंने बताया कि यह दिक्कत तो बहुत पहले से होती रही है लेकिन इस पर अब वैज्ञानिक तरीके से काम किया गया है। 21 नवंबर 2016 में आस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में आंधी-तूफान आया था। उस दौरान बड़ी संख्या में लोगों को अस्थमा अटैक पड़ा। नौ लोगों की मौत हो गई।
चिकित्सीय सुविधाएं कम पड़ गईं। इसके बाद इटली, ब्रिटेन, ईरान, कुवैत और आस्ट्रेलिया के विभिन्न स्थानों पर आंधी-तूफान में अस्थमा अटैक के केस का अध्ययन किया गया। इसके लिए गाइडलाइन तैयार की जा रही है। देश में उन स्थानों के केस का अध्ययन किया जाएगा, जहां आंधी-तूफान अधिक आते हैं। डॉ. कटियार ने बताया कि नैपकॉन 27 से 31 जनवरी तक चली। इसमें छह सौ शोध व्याख्यान हुए।
बिजली कड़कने से ऐसे होती है दिक्कत
बिजली कड़कने से तेज ध्वनि होती है। इस ध्वनि की वजह से घास, वनस्पतियों के फूलों आदि के परागकण फट जाते हैं। नैनो साइज के इसके टुकड़े वायु मंडल में प्रदूषण फैला देते हैं। एक पराग कण के फटने से सात सौ तक टुकड़े होते हैं। लोग जब सांस लेते हैं तो ये फेफड़ों और सांस की नली में समा जाते हैं और अस्थमा की दिक्कत पैदा कर देते हैं। समूचा परागकण फेफड़ों में नहीं धंस पाता। इसे फेफड़ों की छन्नियां छान देती हैं।
चिकित्सीय सुविधाएं कम पड़ गईं। इसके बाद इटली, ब्रिटेन, ईरान, कुवैत और आस्ट्रेलिया के विभिन्न स्थानों पर आंधी-तूफान में अस्थमा अटैक के केस का अध्ययन किया गया। इसके लिए गाइडलाइन तैयार की जा रही है। देश में उन स्थानों के केस का अध्ययन किया जाएगा, जहां आंधी-तूफान अधिक आते हैं। डॉ. कटियार ने बताया कि नैपकॉन 27 से 31 जनवरी तक चली। इसमें छह सौ शोध व्याख्यान हुए।
बिजली कड़कने से ऐसे होती है दिक्कत
बिजली कड़कने से तेज ध्वनि होती है। इस ध्वनि की वजह से घास, वनस्पतियों के फूलों आदि के परागकण फट जाते हैं। नैनो साइज के इसके टुकड़े वायु मंडल में प्रदूषण फैला देते हैं। एक पराग कण के फटने से सात सौ तक टुकड़े होते हैं। लोग जब सांस लेते हैं तो ये फेफड़ों और सांस की नली में समा जाते हैं और अस्थमा की दिक्कत पैदा कर देते हैं। समूचा परागकण फेफड़ों में नहीं धंस पाता। इसे फेफड़ों की छन्नियां छान देती हैं।