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कोरोना चला गया, गुर्दे छील गया: पोस्ट कोविड रोगियों की जांच में सीरम क्रेटेनिन बढ़ी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Thu, 15 Jul 2021 02:14 PM IST
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सार
पैथोलॉजिकल जांचों में पाया गया कि 50 फीसदी पोस्ट कोविड रोगियों की सीरम क्रेटेनिन बढ़ी हुई है। डॉक्टर इसे कोरोना संक्रमण और इलाज में दी जाने वाली दवाओं का असर मान रहे हैं।

कोरोना वायरस
- फोटो : iStock
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विस्तार
कोरोना ठीक होने के बाद अब रोगियों को गुर्दे की समस्या हो रही है। पैथोलॉजिकल जांचों और ओपीडी के सैंपल सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। पोस्ट कोविड रोगियों में जिनका लंबा इलाज चला है, अब उनके गुर्दे बीमार हो गए हैं। हैलट में गुर्दे के 50 फीसदी रोगी बढ़ गए हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान सीरम क्रेटेनिन बढ़ने पर ध्यान नहीं दिया गया।
इससे बहुत से रोगियों को अब डायलिसिस करानी पड़ रही है। पैथोलॉजिकल जांचों में पाया गया कि 50 फीसदी पोस्ट कोविड रोगियों की सीरम क्रेटेनिन बढ़ी हुई है। डॉक्टर इसे कोरोना संक्रमण और इलाज में दी जाने वाली दवाओं का असर मान रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में इस वक्त दो तरह के पोस्ट कोविड रोगी आ रहे हैं।
एक रोगी जिन्हें एक्यूट किडनी इंजरी हो गई है। यह कोरोना के संक्रमण के कारण हुआ है। ऐसे 90 फीसदी रोगी दवा खाने से तीन-चार सप्ताह बाद बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। लेकिन जिन रोगियों के गुर्दों में इंजरी अधिक आ गई है, उन्हें डायलिसिस पर रखना पड़ रहा है। इसके अलावा दूसरी तरह के वे रोगी हैं, जो पहले से किडनी की समस्या से ग्रसित थे। इलाज से सामान्य जीवन जी रहे थे। कोरोना होने के बाद वे अब डायलिसिस पर निर्भर हो गए हैं।
- इस वक्त दो तरह के रोगियों की डायलिसिस चल रही है। एक तो एक्यूट किडनी इंजरी के हैं और दूसरे पुराने रोगी हैं। कोरोना की दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव गुर्दों पर पड़ा है।
- डॉ. युवराज गुलाटी, नेफ्रोलोजिस्ट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

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इससे बहुत से रोगियों को अब डायलिसिस करानी पड़ रही है। पैथोलॉजिकल जांचों में पाया गया कि 50 फीसदी पोस्ट कोविड रोगियों की सीरम क्रेटेनिन बढ़ी हुई है। डॉक्टर इसे कोरोना संक्रमण और इलाज में दी जाने वाली दवाओं का असर मान रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में इस वक्त दो तरह के पोस्ट कोविड रोगी आ रहे हैं।
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एक रोगी जिन्हें एक्यूट किडनी इंजरी हो गई है। यह कोरोना के संक्रमण के कारण हुआ है। ऐसे 90 फीसदी रोगी दवा खाने से तीन-चार सप्ताह बाद बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। लेकिन जिन रोगियों के गुर्दों में इंजरी अधिक आ गई है, उन्हें डायलिसिस पर रखना पड़ रहा है। इसके अलावा दूसरी तरह के वे रोगी हैं, जो पहले से किडनी की समस्या से ग्रसित थे। इलाज से सामान्य जीवन जी रहे थे। कोरोना होने के बाद वे अब डायलिसिस पर निर्भर हो गए हैं।
- इस वक्त दो तरह के रोगियों की डायलिसिस चल रही है। एक तो एक्यूट किडनी इंजरी के हैं और दूसरे पुराने रोगी हैं। कोरोना की दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव गुर्दों पर पड़ा है।
- डॉ. युवराज गुलाटी, नेफ्रोलोजिस्ट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
कोरोना के चक्कर में किडनी चली गई
कोरोना को ठीक करने के चक्कर में डॉक्टरों ने किडनी से समझौता कर लिया। पोस्ट कोविड स्थिति में रोगी अब भुगत रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रेमडेसिविर समेत बहुत सी ऐसी दवाएं हैं जो गुर्दे पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। कोरोना का इलाज करने के चक्कर में गुर्दे का ध्यान ही नहीं दिया गया। कोरोना ठीक हो गया तो अब समस्या सामने आ रही है। उस वक्त अगर बढ़ी हुई सीरम क्रेटिनन की जांच पर गौर किया जाता तो पोस्ट कोविड रोगियों को यह दिक्कत न होती।
केस एक: डॉक्टर को कोरोना संक्रमण हुआ। शुरुआत में ध्यान नहीं दिया। कोरोना ठीक होने के बाद जांच में सीरम क्रेटेनिन पांच निकली। किडनी ट्रांसप्लांट की गई है। मेदांता में इलाज चल रहा है। डायलिसिस हो रही है।
केस दो: स्वरूपनगर के रहने वाले 55 वर्षीय रोगी कोरोना संक्रमण के बाद न्यूरो साइंसेस में भर्ती रहे। दो महीने के बाद दिक्कत हुई तो पता चला कि सीरम क्रेटेनिन पांच हो गई है। डॉक्टरों ने डायलिसिस की सलाह दी है।
कोरोना को ठीक करने के चक्कर में डॉक्टरों ने किडनी से समझौता कर लिया। पोस्ट कोविड स्थिति में रोगी अब भुगत रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रेमडेसिविर समेत बहुत सी ऐसी दवाएं हैं जो गुर्दे पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। कोरोना का इलाज करने के चक्कर में गुर्दे का ध्यान ही नहीं दिया गया। कोरोना ठीक हो गया तो अब समस्या सामने आ रही है। उस वक्त अगर बढ़ी हुई सीरम क्रेटिनन की जांच पर गौर किया जाता तो पोस्ट कोविड रोगियों को यह दिक्कत न होती।
केस एक: डॉक्टर को कोरोना संक्रमण हुआ। शुरुआत में ध्यान नहीं दिया। कोरोना ठीक होने के बाद जांच में सीरम क्रेटेनिन पांच निकली। किडनी ट्रांसप्लांट की गई है। मेदांता में इलाज चल रहा है। डायलिसिस हो रही है।
केस दो: स्वरूपनगर के रहने वाले 55 वर्षीय रोगी कोरोना संक्रमण के बाद न्यूरो साइंसेस में भर्ती रहे। दो महीने के बाद दिक्कत हुई तो पता चला कि सीरम क्रेटेनिन पांच हो गई है। डॉक्टरों ने डायलिसिस की सलाह दी है।