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UP: 'न्याय के लिए आखिरी सांस तक लड़ूंगी...', SC के फैसले पर पीड़िता ने कही ये बात; सेंगर की बेटी का मार्मिक खत
अमर उजाला नेटवर्क, उन्नाव
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 30 Dec 2025 09:24 AM IST
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सार
पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर प्रकरण की पीड़िता ने कहा कि न्याय के लिए आखिरी सांस तक लड़ूंगी। पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा है। पीड़िता ने फोन पर बताया कि मैं अपनी ही नहीं हर पीड़ित महिला की आवाज उठा रही हूं।
Unnao Case
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर प्रकरण की पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश करने वाले पूर्व विधायक पर सख्त कार्रवाई जरूर होगी। न्याय के लिए आखिरी सांस तक लड़ूंगी।
पीड़िता ने फोन पर बताया कि मैं अपनी ही नहीं हर पीड़ित महिला की आवाज उठा रही हूं। अगर सेंगर को जमानत मिलती है तो देश में इस तरह के हजारों मुकदमों में इसी फैसले की नजीर देकर बहन-बेटियों पर अत्याचार करने वाले एक-एक कर सलाखों से बाहर आ जाएंगे।
उन्होंने बताया कि अगर हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सीबीआई ने अपील दाखिल कर दी होती तो उन्हें (पीड़िता) और उनकी मां को इतना संघर्ष और पुलिस की धक्कामुक्की न सहनी पड़ती।
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पीड़िता ने फोन पर बताया कि मैं अपनी ही नहीं हर पीड़ित महिला की आवाज उठा रही हूं। अगर सेंगर को जमानत मिलती है तो देश में इस तरह के हजारों मुकदमों में इसी फैसले की नजीर देकर बहन-बेटियों पर अत्याचार करने वाले एक-एक कर सलाखों से बाहर आ जाएंगे।
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उन्होंने बताया कि अगर हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सीबीआई ने अपील दाखिल कर दी होती तो उन्हें (पीड़िता) और उनकी मां को इतना संघर्ष और पुलिस की धक्कामुक्की न सहनी पड़ती।
बताया कि दुष्कर्म करने वाले और पिता की मौत का कारण बने सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी। सेंगर कितनी भी कोशिश करे, लेकिन वह अपने और उनकी ही तरह प्रताड़ित की गई बेटियों के लिए न्याय की लड़ाई हमेशा लड़ती रहेंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी लिया था स्वत: संज्ञान पीड़िता ने बताया कि सजायाफ्ता कुलदीप सेंगर के खिलाफ जारी इंसाफ की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी स्वत: संज्ञान लेकर उन्हें न्याय और सेंगर को सजा दिलाई थी।
उन्होंने बताया कि जुलाई 2019 में जब रायबरेली में उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हुई थी और हादसे में उनकी चाची और मौसी की मौत हो गई थी तब भी सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण का स्वत: संज्ञान लेकर मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर कराया था और न्याय मिला था।
पीड़िता ने की सीआरपीएफ सुरक्षा बहाल करने की मांग पीड़िता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें और उनके परिवार और पैरोकारों को सीआरपीएफ सुरक्षा मिली थी। जिसे परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा दी थी। हालांकि करीब छह साल बाद तीन अप्रैल 2025 को उन्हें (पीड़िता) के अलावा अन्य सभी की सीआरपीएफ सुरक्षा वापस कर लगी गई। बताया कि सेंगर के समर्थकों से उन्हें ही नहीं परिवार और मददगारों को भी जान का खतरा है। इसलिए सरकार को उनकी सीआरपीएफ सुरक्षा बहाल करनी चाहिए।
सेंगर खेमे में खामोशी, पूर्व विधायक के आवास पर सन्नाटा
सजा निलंबित होने के बाद से पूर्व विधायक के जेल से बाहर आने की उम्मीद लगाए समर्थकों में सोमवार दोपहर सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाईकोर्ट के फैसले पर अमल पर रोक के बाद मायूसी है। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 53 पेज का जो फैसला सुनाया है वह भी गहन अध्ययन और तथ्यों के आधार पर ही लिया होगा। ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले को खारिज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में भी तथ्यों पर सुनवाई और बहस होगी तो सच्चाई खुद सामने आएगी।
सजा निलंबित होने के बाद से पूर्व विधायक के जेल से बाहर आने की उम्मीद लगाए समर्थकों में सोमवार दोपहर सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाईकोर्ट के फैसले पर अमल पर रोक के बाद मायूसी है। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 53 पेज का जो फैसला सुनाया है वह भी गहन अध्ययन और तथ्यों के आधार पर ही लिया होगा। ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले को खारिज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में भी तथ्यों पर सुनवाई और बहस होगी तो सच्चाई खुद सामने आएगी।
सेंगर की बेटी ने एक्स शेयर की मार्मिक चिट्ठी
सुप्रीम कोर्ट से पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को सोमवार को झटका लगने के बाद उनकी बेटी इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भारत गणराज्य के माननीय अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है।
सुप्रीम कोर्ट से पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को सोमवार को झटका लगने के बाद उनकी बेटी इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भारत गणराज्य के माननीय अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है।
उन्होंने लिखा है कि मैं यह पत्र एक ऐसी बेटी के रूप में लिख रही हूं जो थकी हुई, डरी हुई और धीरे-धीरे विश्वास खो रही है, लेकिन फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है क्योंकि अब कहीं और जाने की जगह नहीं बची। पोस्ट में लिखा है कि आठ वर्षों से मैं और मेरा परिवार चुपचाप, धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं।
यह मानते हुए कि अंततः सच्चाई स्वयं सामने आ जाएगी। हमने कानून और संविधान पर भरोसा किया। हमने भरोसा किया कि इस देश में न्याय शोर-शराबे, हैशटैग या जन आक्रोश पर निर्भर नहीं करता। आज मैं इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मेरा यह विश्वास टूट रहा है। मेरे शब्द सुनने से पहले ही, मेरी पहचान एक विधायक की बेटी के लेबल तक सिमट जाती है। मानो इससे मेरी इंसानियत ही मिट जाती है।
इन वर्षों में, सोशल मीडिया पर मुझे अनगिनत बार कहा गया है कि दुष्कर्म किया जाना चाहिए, मार डाला जाना चाहिए या सिर्फ मेरे अस्तित्व के लिए दंडित किया जाना चाहिए तो अंदर से तोड़ देता है। हमने मौन इसलिए नहीं चुना, क्योंकि हम शक्तिशाली थे, बल्कि इसलिए कि हम संस्थाओं में विश्वास रखते थे। विरोध प्रदर्शन नहीं किए, टीवी की बहसों में शोर नहीं मचाया, पुतले नहीं जलाए और ना ही हैशटैग ट्रेंड किए। सवालिया अंदाज में कहा कि क्या उस मौन की कीमत चुकानी पड़ी?
