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पीतल व चांदी की चमक पड़ गई धीमी
अमर उजाला ब्यूरो कौशाम्बी
Updated Tue, 22 Nov 2016 12:44 AM IST
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पुरानी नोट बंद होने से जिले का कारोबार जबरदस्त प्रभावित हुआ है। पीतल नगरी शमसाबाद व चांदी वर्क बनाने वालों के यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। अब यहां हथौड़ी के चोट का शोर नहीं सुनाई देता है। सबके चेहरे लटके हैं। इनके यहां काम करने वाले मजदूरों की हालत बद से बदतर हो चली है। खाने-पीने का इनके सामने संकट खड़ा हो गया है।
कड़ा के कगजियाना, मुराईन टोला व कड़ा बाजार में चांदी वर्क बनाने का बडे़ पैमाने पर कारोबार होता है। करीब दो सौ लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। आठ नवंबर के पहले तक यहां सुबह से लेकर देर रात तक हथौड़ी के टन-टन की आवाज ही गुुंजती थी। अब यहां ऐसा कुछ नहीं है। एकदम सन्नाटा है। बाइक सवार अथवा चार पहिया वाहन निकलने पर ही इन कारोबारियों के यहां का सन्नाटा टूटता है। कोई ग्राहक आया है अथवा आर्डर लेने आया होगा, इस आस पर बाहर निकलते हैं, लेकिन जब वाहन नहीं रुकता मन मारकर अपनी गद्दी पर बैठ जाते हैं। यही हाल है शमसाबद पीतल नगरी का। देश के कोने-कोने में मशहूर इस नगरी के पीतल बर्तन की चमक फीकी पड़ चुकी है।
सभी कारोबारियों के यहां बड़े पैमाने पर पीतल से बने बर्तन का डंप लगा है, जो आर्डर मिले थे, वह भी कैंसिल हो गए हैं। आनलाइन कारोबारियों ने भी इनसे मुंह मोड़ रखा है। यहां भी खामोशी है। चाय-पान की दुकान में केवल नोटबंदी का रोना यहां के कारोबारी कर रहे हैं। सबसे बुरी हालत उनकी है, जिन्होंने उधार की रकम लेकर भारी मात्रा में बर्तन बनाने का आर्डर लिया था। उनका रुपया फंसा है और कहीं से अभी इसकी भरपाई होने की कोई उम्मीद भी नहीं है। चांदी वर्क बनाने वाले मो. महबूब, ओमनी, निहाल अहमद, हाफिज जी , शेरखां आदि ने बताया कि उनके यहां यह पुश्तैनी काम हो रहा है। वाराणसी, कानपुर आदि जैसे महानगरों में वह चांदी वर्क की सप्लाई करते हैं, लेकिन 20 दिन से काम नहीं हो रहा है। काम प्रभावित होने से अब वह मजदूर भी नहीं बुला रहे हैं।
कड़ा के कगजियाना, मुराईन टोला व कड़ा बाजार में चांदी वर्क बनाने का बडे़ पैमाने पर कारोबार होता है। करीब दो सौ लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। आठ नवंबर के पहले तक यहां सुबह से लेकर देर रात तक हथौड़ी के टन-टन की आवाज ही गुुंजती थी। अब यहां ऐसा कुछ नहीं है। एकदम सन्नाटा है। बाइक सवार अथवा चार पहिया वाहन निकलने पर ही इन कारोबारियों के यहां का सन्नाटा टूटता है। कोई ग्राहक आया है अथवा आर्डर लेने आया होगा, इस आस पर बाहर निकलते हैं, लेकिन जब वाहन नहीं रुकता मन मारकर अपनी गद्दी पर बैठ जाते हैं। यही हाल है शमसाबद पीतल नगरी का। देश के कोने-कोने में मशहूर इस नगरी के पीतल बर्तन की चमक फीकी पड़ चुकी है।
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सभी कारोबारियों के यहां बड़े पैमाने पर पीतल से बने बर्तन का डंप लगा है, जो आर्डर मिले थे, वह भी कैंसिल हो गए हैं। आनलाइन कारोबारियों ने भी इनसे मुंह मोड़ रखा है। यहां भी खामोशी है। चाय-पान की दुकान में केवल नोटबंदी का रोना यहां के कारोबारी कर रहे हैं। सबसे बुरी हालत उनकी है, जिन्होंने उधार की रकम लेकर भारी मात्रा में बर्तन बनाने का आर्डर लिया था। उनका रुपया फंसा है और कहीं से अभी इसकी भरपाई होने की कोई उम्मीद भी नहीं है। चांदी वर्क बनाने वाले मो. महबूब, ओमनी, निहाल अहमद, हाफिज जी , शेरखां आदि ने बताया कि उनके यहां यह पुश्तैनी काम हो रहा है। वाराणसी, कानपुर आदि जैसे महानगरों में वह चांदी वर्क की सप्लाई करते हैं, लेकिन 20 दिन से काम नहीं हो रहा है। काम प्रभावित होने से अब वह मजदूर भी नहीं बुला रहे हैं।