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Kushinagar News: गोरखपुर में डेरा डाल रहे तस्कर, पशुओं को रातों रात पहुंचा रहे बिहार

संवाद न्यूज एजेंसी, कुशीनगर Updated Thu, 18 Sep 2025 02:07 AM IST
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Smugglers camp in Gorakhpur, transporting animals to Bihar overnight
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कुशीनगर। तस्करों को मुठभेड़ में घायल कर वाहवाही लूट लेने वाली कुशीनगर पुलिस की कार्यप्रणाली में कई कमियां हैं। पूर्व के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। ताजा मामला तो गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र का है, जहां पशु तस्करों ने एक छात्र की जान ले ली।
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सूत्रों के मुताबिक इसमें गोपालगंज के शब्बीर गैंग के साथ कुशीनगर के तस्कर भी शामिल थे। यह पहली बार नहीं है जब कुशीनगर के तस्करों के बुलंद हौसलों से न केवल गोरखपुर में पुलिस परेशान रही है, बल्कि पशु तस्करों ने कुशीनगर में भी पुलिस को और बाधा बने लोगों को मारने की नियत से भी प्रयास किया है। कुशीनगर और बिहार के तस्करों के आतंक से एक दो-दफा नहीं बल्कि पहले भी सीएम सिटी का सुकून छीनता रहा है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार गोरखपुर में उत्पात मचाने वाले पशु तस्करों में अधिकतर या तो कुशीनगर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों के होते हैं या बिहार के अलग अलग इलाकों के। बिहार के कुख्यात सरगनाओं की शह पर वहां से आकर सांठगांठ कर कुशीनगर के तस्कर रातों रात गोरखपुर में पहले रेकी करते हैं और फिर पशुओं को चोरी कर पिकअप में लादकर बिहार पहुंचा देते हैं। गोरखपुर की घटना के बाद एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश मंगलवार देर शाम गोरखपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने डीआईजी, एडीजी जोन के साथ पुलिस कप्तानों के साथ बैठक की। इसमें कुशीनगर के पुलिस कप्तान संतोष मिश्रा को भी बुलाया गया था।जानकारी के मुताबिक पशु तस्करी पर कुशीनगर की ओर से लगाम के लिए एसपी को कड़े निर्देश दिए गए हैं।
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एक दो मुठभेड़ में पशु तस्करों को पकड़कर पीठ थपथपा लेने वाली कुशीनगर पुलिस पर भी गहरे प्रश्न खड़े कर दिए हैं। ऐसा इसलिए कि पिपराइच इलाके में जिन तस्करों ने उत्पात मचाया था उनमें गोपालगंज के अलावा कुशीनगर का भी तस्कर शामिल था। सूत्र बताते हैं कि बिहार के तस्कर रातों-रात कुशीनगर की सीमा में बिना रोकटोक का फायदा उठाते हुए पहले कुशीनगर के स्थानीय तस्करों से संपर्क साधते हैं और फिर सीधे गोरखपुर के इलाकों में प्रवेश कर रेकी के आधार पर पशुओं को ग्रामीण क्षेत्रों से चुराते हैं। गोरखपुर से जिले में प्रवेश करने के लिए पहला रूट कप्तानगंज के रास्ते होते हुए नेबुआ नौरंगिया, पडरौना, बांसी के रास्ते पश्चिमी चंपारण तो दूसरा रूट सहजनवा, कुशीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का भी फायदा उठाते हुए तस्कर पशुओं को बिहार ले जाते हैं। दिसंबर 2024 में गोरखपुर में जगह जगह बवाल करने वाले पशु तस्करों को पुलिस ने पकड़ा तो खुलासा हुआ कि तस्कर जिले के पडरौना क्षेत्र के रहने वाले थे। गाड़ी हनुमानगंज के मालिक की थी। सूत्रों के मुताबिक कुख्यात तस्कर के ग्रुप के लोग जिले और आसपास के पशुओं को बिहार और फिर बंगाल तक पहुंचाने में स्थानीय तस्करों की मदद लेते हैं।

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गांवों में पशुओं को चुराने के भी सामने आ चुके हैं मामले



चौराखास थाना के जौरा मुगलही गांव में अगस्त में गांव वालों ने पशु तस्करों को घेराबंदी कर पकड़ लिया। इस दौरान एक पशु तस्कर युवक को चाकू मारकर भाग गया, जबकि दूसरे पशु तस्कर को सूचना पर आई पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके अलावा एक मई को तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के खलवापट्टी में दरवाजे से तीन मवेशी चोरी हो गए। 16 अप्रैल की मध्यरात्रि भी तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के राजापाकड़ में एक पशुपालक के दरवाजे से गोवंश ले जाते समय घरवालों के जगने के बाद फरार हो गए थे। इसके अलावा इसी थाना क्षेत्र के 21 अप्रैल को भी खुदरा अहिरौली क्षेत्र में गाय चुराते समय गांव वालों के शोर मचाने पर तस्कर फरार हो गए थे।

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पहले भी उत्पात मचा चुके हैं तस्कर



गोरखपुर में पुलिस से टकराने की घटना हो या आमलोगों से टकराने की। यह पहली घटना नहीं है जब कुशीनगर के तस्करों ने गोरखपुर में जाकर पशुओं को चुराते देखे जाने पर विरोध करने पर पत्थरबाजी और फायरिंग किया हो। इसके पहले पिछले साल पूर्व दिसंबर में पडरौना के दो तस्करों को पुलिस ने पकड़ा था। वहीं दो साल पूर्व भी पशु तस्करों के स्थानीय गैंग ने गोरखपुर जिले की पुलिस को खूब छकाया था। जब भी पुलिस टीम इन्हें पकड़ने का प्रयास करती पत्थरबाजी कर गैंग के सदस्य पुलिस के हाथों से बच निकलते थे। तब कुबेरस्थान के सरगना की शह पर तस्करी की बात निकलकर सामने आई थी। इसके अलावा तस्करों का कनेक्शन बिहार और कुशीनगर के साथ बरेली और पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद, रामपुर आदि जिलों से निकला है।




बिहार के सरगना देते हैं टास्क



मुजफ्फरपुर, दरभंगा आदि बिहार के जिलों में बैठे पशु तस्कर के बड़े सरगना कुशीनगर के तस्करों से गठजोड़ करते हैं। जिसके लिए उन्हें बड़े बड़े टास्क दिए जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक रातों रात सरगना की शह पर वहां से तस्करों का मैसेज पहले कुशीनगर के नामचीन तस्करी गैंग तक पहुंचता है और फिर उनके साथ कुछ तस्करों को भेजा जाता है। जिन्हें पशुओं को चुराने, लोडिंग करने और गोरखपुर की सीमा पार कर कुशीनगर में विभिन्न क्रिटिकल पॉइंट्स से गुजारते हुए भोर से पूर्व बिहार में प्रवेश कराने की जिम्मेदारी दी जाती है।
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