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बरसात नहीं होने से मुरझाने लगी फसलें

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Wed, 15 Jul 2020 01:09 AM IST
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crop drying caused by no rain
बारिश नहीं होने से मुरझा गई फसल - फोटो : LALITPUR
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पुलवारा/ उमरिया। मानसून आने से पहले हुई अच्छी बारिश के बाद किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई इस उम्मीद से कर दी थी कि बारिश हो रही है इसलिए अबकी बार फसलें अच्छी होंगी। लेकिन, पिछले दस दिन से बारिश नहीं होने के कारण अब खेतों में सोयाबीन, उड़द तिल आदि फसलें सूखने लगी हैं। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं।
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जिन किसानों ने अपने खेतों में प्री मानसून में बुवाई कर दी थी। अब खरीफ की फसलें सूखने की स्थिति में आ गई हैं। उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिल एवं मक्का की बुवाई हो चुकी है। इस कारण किसानों को फसल के बरबाद होने की चिंता सता रही है। किसानों द्वारा खेतों में डाले गए बीज अंकुरित तो हुए, लेकिन मिट्टी में नमी नहीं होने की वजह से वह या तो जमीन से बाहर नहीं निकल पाए या फिर निकले तो मुरझाने लगे हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी के साधन हैं, वह खेतों में पानी दे रहे हैं। जबकि, अधिकांश किसानों ने फसलें पैदा नहीं होने की उम्मीद में खेतों की दोबारा जुताई शुरू कर दी है। बरसात का आषाढ़ का महीना निकल गया है और सावन के दस दिन बीत जाने के बाद भी पानी नहीं बरस रहा है। तेज धूप से पौधे सूखने लगे हैं।
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उधर, ग्राम उमरिया समेत पाली तहसील के अन्य गांवों में खरीफ की सोयाबीन, मूंगफली, धान, मक्का, उडद, मूंग आदि फसलें सूखने के स्थिति में आ गई हैं। पाली तहसील के कई गांवों में एक सप्ताह से बरसात नहीं होने से खेतों में खड़ी फसल मुरझाने लगी हैं। जो फसलें 27-28 जून की बरसात के बाद बोई थीं, उनमें सोयाबीन की फसल की लंबाई करीब चार इंच की हो गई है। फसल के पत्ते तेज धूप से मुरझाने लगे हैं। खासकर काली मिट्टी वाले इलाकों में तो खेतों में दरारें निकलनी शुरू हो गई हैं। यहां तीन जुलाई के बाद बरसात नहीं हुई है।
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दो दर्जन गांवों में गहराया संकट
ग्राम बार, पुलवारा, धमना, लड़वारी, बम्हौरी खड़ैत, पारौन, भैलोनी सूबा, कठवर-रमपुरा, गैंदोरा, गदयाना, डुलावन, टोड़ी, बम्हौरी सहना, दशरारा, भैलोनी लोध, धनगौल, चुनगी, भुजऊपुरा, बमनगुवां, तुर्का आदि गांवों में फसलें सूखने की स्थिति में पहुंच गई हैं।
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बिजली की खपत बढ़ी
बारिश नहीं होने से बिजली की खपत बढऩे लगी है। बारिश के दौरान बिजली खपत कम हो गई थी, लेकिन किसान अब अपनी फसलों में सिंचाई कर रहे हैं। इससे बिजली की खपत बढ़ गई है। यदि किसान यूरिया खेत में डाल दें तो फसलों के जल्द सूखने की आशंका है, क्योंकि यूरिया को पानी की जरूरत पड़ती है।
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आषाढ़ बीत गया अब सावन का महीना भी बिना पानी के बीत रहा है। बीजों का अंकुरण भी नहीं हुआ है। इससे फसल की लागत निकलना मुश्किल हो जाएगा।
- अरविंद मिश्र, भुजऊपुरा
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बरसात नहीं होने से खेतों में नमी नहीं मिल पा रही है। नमी खत्म हो जाने से फसल सूखने की आशंका है। बीज बहुत कम अंकुरित हुए हैं।
- प्रह्लाद सिंह, नीमखेड़ा
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यदि जल्द ही पानी नहीं बरसा तो फसल पूरी बरबाद हो जाएगी। तिल व मक्का की फसल तो फिर भी ठीक है, लेकिन सोयाबीन और उड़द की फसल सूख रही है।
- भगवत सेन, तुर्का
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अच्छी फसल होने की उम्मीद थी, लेकिन बारिश नहीं होने से उड़द एवं सोयाबीन की फसल से तो लागत भी निकल पाना मुश्किल लग रहा है। अब तिल व मक्के की फसल से ही उम्मीद है।
- राजूराजा,रमपुरा-कठवर
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