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पहले सूखे ने मारा, अब अतिवृष्टि का खतरा
lalitpur
Updated Sun, 10 Jul 2016 01:22 AM IST
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बारिश्ा
- फोटो : demo pic
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ललितपुर। अन्नदाता किसान के साथ प्रकृति का खिलवाड़ रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले साल किसानों की खरीफ की फसल कम बारिश के चलते नष्ट हो गई थी, तो इस बार रिकार्ड बारिश होने के कारण फिर से फसल खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। खेतों में जलभराव की स्थिति होने के कारण फसल के खराब होने का संकट किसानों के सामने खड़ा हो गया है। सोमवार से जनपद में शुरू हुई बारिश ने चार दिनों तक थमने का नाम नहीं लिया। शुक्रवार व शनिवार को बारिश थमी होने से कारण जनपद वासियों को थोड़ी राहत मिली। हालांकि शनिवार शाम को एक बार फिर बारिश शुरू हो गई। शनिवार तक जनपद में रिकार्ड 270 मिमी बारिश दर्ज की गई है। पिछले वर्ष 9 जुलाई तक जनपद में मात्र 30 मिमी ही बारिश दर्ज की गई थी। जनपद में अक्टूबर तक औसत बारिश 914 मिमी होती है। जुलाई माह की शुरुआत में ही बारिश का आंकड़ा 270 मिमी तक पहुंचने से अतिवृष्टि का खतरा सता रहा है। पिछले वर्ष के सूखे ने किसान को परेशान किया, तो अब लगातार हो रही बारिश ने चिंता पैदा कर दी है। जनपद में दो लाख 64 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल बोयी गई है। पिछले साल खरीफ की फसल बर्बाद होने के कारण इस बार उर्द के बीज का दाम 17 से 18 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक रहा। महंगा बीज, खाद, कीटनाशक खरीद कर फसल पैदा करने की हिम्मत जुटाने वाले किसानों के खेतों पानी भर गया है। लगातार बारिश के कारण खेतों के जलमग्न होने से किसानों को पानी की निकासी को लेकर काफी जहमत उठानी पड़ रही है।
खाली रहे थे खेत
आजादपुरा निवासी दलू कुशवाहा की ककरुआ गांव में खेती है। वह बताते हैं कि पिछले साल खरीफ की फसल को पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाया था, जिससे उर्द की फसल बर्बाद हो गई। वहीं रबी की फसल के लिए पानी उपलब्ध न हो पाने के कारण खेत खाली पड़े रहे थे। वह बताते हैं कि शुरुआती बारिश ने एक बार फिर किसानों को चिंता में डाल दिया है, अगर बारिश जल्द नहीं थमी तो किसानों को लगातार चौथी फसल बर्बादी का सामना करना पड़ सकता है।
खेतों में भर गया है पानी
ग्राम दावनी निवासी सुजान झा बताते हैं कि लगातार हो रही बारिश से खेतों ने तालाब का रूप ले लिया है। फसल को बचाने के लिए पानी निकासी के तमाम उपाय किए जा रहे हैं। फसल के शुरुआती चरण में होने के कारण जल्द खराब होने की आशंका बनी रहती है। वह कहते हैं, कि लगातार बारिश से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भगवान रहम करो
ग्राम चौसा के लल्ला चढ़ार फसल के बारे में पूछते ही भगवान से रहम करने की गुजारिश करने लगते हैं। वह कहते हैं, कि साहब बारिश को चाहिए है, लेकिन पिछले चार दिनों से जैसी बारिश जनपद में हो रही है। उससे तो किसान को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। गांवों में कच्चे मकान गिर रहे हैं, तो खेतों में जलभराव से फसल बर्बाद हो रही है। खरीफ की फसल की अच्छी पैदावार होने से किसानों को सालभर के लिए राहत हो जाती है।
लगातार हो रही बारिश से खरीफ की फसल पर संकट आ सकता है। किसानों को अपने खेतों में से पानी निकालने के लिए व्यवस्था करनी होगी, जलभराव होने की दशा में बीज व छोटे पौधे खराब हो सकते हैं।
हंसराज, उपकृषि निदेशक

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खाली रहे थे खेत
आजादपुरा निवासी दलू कुशवाहा की ककरुआ गांव में खेती है। वह बताते हैं कि पिछले साल खरीफ की फसल को पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाया था, जिससे उर्द की फसल बर्बाद हो गई। वहीं रबी की फसल के लिए पानी उपलब्ध न हो पाने के कारण खेत खाली पड़े रहे थे। वह बताते हैं कि शुरुआती बारिश ने एक बार फिर किसानों को चिंता में डाल दिया है, अगर बारिश जल्द नहीं थमी तो किसानों को लगातार चौथी फसल बर्बादी का सामना करना पड़ सकता है।
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खेतों में भर गया है पानी
ग्राम दावनी निवासी सुजान झा बताते हैं कि लगातार हो रही बारिश से खेतों ने तालाब का रूप ले लिया है। फसल को बचाने के लिए पानी निकासी के तमाम उपाय किए जा रहे हैं। फसल के शुरुआती चरण में होने के कारण जल्द खराब होने की आशंका बनी रहती है। वह कहते हैं, कि लगातार बारिश से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भगवान रहम करो
ग्राम चौसा के लल्ला चढ़ार फसल के बारे में पूछते ही भगवान से रहम करने की गुजारिश करने लगते हैं। वह कहते हैं, कि साहब बारिश को चाहिए है, लेकिन पिछले चार दिनों से जैसी बारिश जनपद में हो रही है। उससे तो किसान को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। गांवों में कच्चे मकान गिर रहे हैं, तो खेतों में जलभराव से फसल बर्बाद हो रही है। खरीफ की फसल की अच्छी पैदावार होने से किसानों को सालभर के लिए राहत हो जाती है।
लगातार हो रही बारिश से खरीफ की फसल पर संकट आ सकता है। किसानों को अपने खेतों में से पानी निकालने के लिए व्यवस्था करनी होगी, जलभराव होने की दशा में बीज व छोटे पौधे खराब हो सकते हैं।
हंसराज, उपकृषि निदेशक