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Mahoba News: गलत बीमा पॉलिसी की तो जनसेवा केंद्र संचालक भी नपेंगे
संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:34 PM IST
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महोबा। जिले में फसल बीमा योजना में हुए करोड़ों के घोटाले के बाद प्रशासन ने अब इस प्रक्रिया की खामियां तलाशना शुरू कर दिया हैं। रबी सीजन के फसल बीमा आवेदनों में गड़बड़ी पाए जाने पर अब जनसेवा केंद्र (सीएससी) संचालकों को सीधे जिम्मेदार माना जाएगा। इसके लिए जिलाधिकारी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। रबी सीजन के लिए फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित की गई है। अभी तक 23,352 किसानों ने रबी के लिए फसल बीमा कराया है।
जिले में पिछले वर्ष फसल बीमा योजना में करीब 40 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है। फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने सरकारी जमीनों, नदी, पहाड़, तालाब, वन आदि जमीनों पर खुद को बटाईदार बताते हुए फसल बीमा कराया और बीमा कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर करोड़ों रुपये का क्लेम ले लिया। मामले में कई एफआईआर दर्ज हुईं और 30 आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। इसके बाद भी घोटालेबाजों के हौंसले बुलंद रहे और पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी खरीफ की फसल के लिए फर्जीवाड़ा करने की तैयारी की गई। कहीं पर अर्जुन बांध की जमीन को अपना बताकर बीमा कराया गया तो कहीं पिता का नाम बदलकर बीमा कराते हुए फर्जीवाड़े की कोशिश की गई।
जिला प्रशासन ने सभी बीमा पॉलिसी की जांच कराई तो करीब 52 हजार बीमा पॉलिसियों को संदिग्ध मानकर निरस्त कर दिया गया जबकि दस्तावेजों में कमी के चलते 46 हजार 700 बीमा पॉलिसियों का तहसील से दोबारा सत्यापन कराया जा रहा है। हालांकि, कुछ किसान गलत तरीके से पॉलिसी निरस्त करने की शिकायत भी कर रहे हैं। उन्हें सत्यापन के बाद पॉलिसी स्वीकार किए जाने का आश्वासन दिया गया है। इसी बीच बीमा पॉलिसी लेने की प्रक्रिया की खामियां तलाशी गईं। इसमें सामने आया कि जनसेवा केंद्रों से ही अधिकांश किसान पॉलिसी कराते हैं। इसलिए फर्जीवाड़ा में केंद्र संचालकों की भी मिलीभगत की आशंका है। इसलिए अब जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने निर्देश दिए हैं कि सभी जनसेवा केंद्र संचालक फसल बीमा पॉलिसी करते समय किसानों के अभिलेखों की जांच करेंगे। इसके साथ ही खतौनी का ऑनलाइन सत्यापन भी केंद्र संचालक को करना होगा। पॉलिसी से संबंधित दस्तावेजों के सही होने की स्थिति में ही वे फसल बीमा पॉलिसी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करें। यदि सत्यापन के दौरान कोई फर्जीवाड़ा सामने आएगा तो संबंधित किसान के साथ ही जनसेवा केंद्र संचालक को भी जिम्मेदार माना जाएगा।
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जिले में पिछले वर्ष फसल बीमा योजना में करीब 40 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है। फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने सरकारी जमीनों, नदी, पहाड़, तालाब, वन आदि जमीनों पर खुद को बटाईदार बताते हुए फसल बीमा कराया और बीमा कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर करोड़ों रुपये का क्लेम ले लिया। मामले में कई एफआईआर दर्ज हुईं और 30 आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। इसके बाद भी घोटालेबाजों के हौंसले बुलंद रहे और पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी खरीफ की फसल के लिए फर्जीवाड़ा करने की तैयारी की गई। कहीं पर अर्जुन बांध की जमीन को अपना बताकर बीमा कराया गया तो कहीं पिता का नाम बदलकर बीमा कराते हुए फर्जीवाड़े की कोशिश की गई।
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जिला प्रशासन ने सभी बीमा पॉलिसी की जांच कराई तो करीब 52 हजार बीमा पॉलिसियों को संदिग्ध मानकर निरस्त कर दिया गया जबकि दस्तावेजों में कमी के चलते 46 हजार 700 बीमा पॉलिसियों का तहसील से दोबारा सत्यापन कराया जा रहा है। हालांकि, कुछ किसान गलत तरीके से पॉलिसी निरस्त करने की शिकायत भी कर रहे हैं। उन्हें सत्यापन के बाद पॉलिसी स्वीकार किए जाने का आश्वासन दिया गया है। इसी बीच बीमा पॉलिसी लेने की प्रक्रिया की खामियां तलाशी गईं। इसमें सामने आया कि जनसेवा केंद्रों से ही अधिकांश किसान पॉलिसी कराते हैं। इसलिए फर्जीवाड़ा में केंद्र संचालकों की भी मिलीभगत की आशंका है। इसलिए अब जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने निर्देश दिए हैं कि सभी जनसेवा केंद्र संचालक फसल बीमा पॉलिसी करते समय किसानों के अभिलेखों की जांच करेंगे। इसके साथ ही खतौनी का ऑनलाइन सत्यापन भी केंद्र संचालक को करना होगा। पॉलिसी से संबंधित दस्तावेजों के सही होने की स्थिति में ही वे फसल बीमा पॉलिसी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करें। यदि सत्यापन के दौरान कोई फर्जीवाड़ा सामने आएगा तो संबंधित किसान के साथ ही जनसेवा केंद्र संचालक को भी जिम्मेदार माना जाएगा।
