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Mahoba News: फर्जी निकली रॉयल्टी तो ठेकेदारों करेंगे भरपाई
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-कार्यदायी संस्थाओं को ऑनलाइन रॉयल्टी पेपर जांचने के लिए दिए निर्देश
संवाद न्यूज एजेंसी
महोबा। जिले में हुए रॉयल्टी फर्जीवाड़ा की जांच की आंच सरकारी ठेकेदारों तक पहुंचने वाली है। जिले की कार्यदायी संस्थाओं के जरिए निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों की ओर से जमा किए गए रॉयल्टी पेपर की छानबीन के निर्देश दिए गए हैं। इससे अब ठेकेदारों में खलबली मची है।
कबरई पत्थरमंडी में फर्जी तरीके से रॉयल्टी पेपर बनाकर बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ था। इसके मास्टरमाइंड विजय सैनी समेत छह आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि विभिन्न सरकारी निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदारों को उन्होंने फर्जी रॉयल्टी पेपर सस्ते दाम में बेचे है और यही रॉयल्टी पेपर बिलों के साथ प्रस्तुत करके कार्यदायी संस्थाओं से ठेकेदारों ने भुगतान भी प्राप्त किया है। जिले की एक नगर पंचायत के निर्माण कार्यों के बिल भी फर्जी राॅयल्टी पेपर पकड़े गए थे।
एडीएम राजस्व कुंवर पंकज ने बताया कि सभी कार्यदायी संस्थाओं को राॅयल्टी के लिए उपयोग होने वाले ई-एमएम-11 पेपर, ई-फाॅर्म-सी पेपर और आईएसटीपी पेपर का पोर्टल से ऑनलाइन सत्यापन करने के लिए पहले ही यूजर आईडी और पासवर्ड दिए गए हैं। कार्यदायी संस्थाएं संबंधित ठेकेदारों की ओर प्रस्तुत बिलों में लगे इन रॉयल्टी पेपर को ऑनलाइन चेक करेंगी और यदि कोई रॉयल्टी पेपर फर्जी पाए जाते हैं तो उतनी धनराशि ठेकेदार के बिल से काटकर रॉयल्टी राजस्व मद में जमा कराई जाएगी। इसके साथ ही प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में खनिज अनुभाग को इसकी सूचना देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
इंसेट
यह है ई-एमएम-11 व ई-फार्म-सी
महोबा। खनिज के परिवहन के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार की रॉयल्टी बनती है। इसमें ई-एमएम-11 पेपर पर रॉयल्टी पहाड़ के पट्टाधारक अपने यहां से पत्थर क्रशर तक भेजने के लिए जारी करते हैं। वहीं ई-फार्म-सी पेपर पर रॉयल्टी क्रशर मालिक जारी करते हैं। इससे गिट्टी आदि का परिवहन क्रशर से प्रदेश के विभिन्न स्थानों तक होता है। वहीं यदि दूसरे प्रदेश से खनिज उत्तर प्रदेश लाया जाता है तो इसके लिए आईएसटीपी रॉयल्टी की आवश्यकता होती है। इन्हीं तीनों प्रकार की रॉयल्टी की जांच कार्यदायी संस्थाएं ऑनलाइन करेंगी।

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संवाद न्यूज एजेंसी
महोबा। जिले में हुए रॉयल्टी फर्जीवाड़ा की जांच की आंच सरकारी ठेकेदारों तक पहुंचने वाली है। जिले की कार्यदायी संस्थाओं के जरिए निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों की ओर से जमा किए गए रॉयल्टी पेपर की छानबीन के निर्देश दिए गए हैं। इससे अब ठेकेदारों में खलबली मची है।
कबरई पत्थरमंडी में फर्जी तरीके से रॉयल्टी पेपर बनाकर बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ था। इसके मास्टरमाइंड विजय सैनी समेत छह आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि विभिन्न सरकारी निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदारों को उन्होंने फर्जी रॉयल्टी पेपर सस्ते दाम में बेचे है और यही रॉयल्टी पेपर बिलों के साथ प्रस्तुत करके कार्यदायी संस्थाओं से ठेकेदारों ने भुगतान भी प्राप्त किया है। जिले की एक नगर पंचायत के निर्माण कार्यों के बिल भी फर्जी राॅयल्टी पेपर पकड़े गए थे।
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एडीएम राजस्व कुंवर पंकज ने बताया कि सभी कार्यदायी संस्थाओं को राॅयल्टी के लिए उपयोग होने वाले ई-एमएम-11 पेपर, ई-फाॅर्म-सी पेपर और आईएसटीपी पेपर का पोर्टल से ऑनलाइन सत्यापन करने के लिए पहले ही यूजर आईडी और पासवर्ड दिए गए हैं। कार्यदायी संस्थाएं संबंधित ठेकेदारों की ओर प्रस्तुत बिलों में लगे इन रॉयल्टी पेपर को ऑनलाइन चेक करेंगी और यदि कोई रॉयल्टी पेपर फर्जी पाए जाते हैं तो उतनी धनराशि ठेकेदार के बिल से काटकर रॉयल्टी राजस्व मद में जमा कराई जाएगी। इसके साथ ही प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में खनिज अनुभाग को इसकी सूचना देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
इंसेट
यह है ई-एमएम-11 व ई-फार्म-सी
महोबा। खनिज के परिवहन के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार की रॉयल्टी बनती है। इसमें ई-एमएम-11 पेपर पर रॉयल्टी पहाड़ के पट्टाधारक अपने यहां से पत्थर क्रशर तक भेजने के लिए जारी करते हैं। वहीं ई-फार्म-सी पेपर पर रॉयल्टी क्रशर मालिक जारी करते हैं। इससे गिट्टी आदि का परिवहन क्रशर से प्रदेश के विभिन्न स्थानों तक होता है। वहीं यदि दूसरे प्रदेश से खनिज उत्तर प्रदेश लाया जाता है तो इसके लिए आईएसटीपी रॉयल्टी की आवश्यकता होती है। इन्हीं तीनों प्रकार की रॉयल्टी की जांच कार्यदायी संस्थाएं ऑनलाइन करेंगी।