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MSME For Bharat: मथुरा में साड़ी उद्योग को बढ़ावा देने की अपील, वृंदावन में बन रहा 80 करोड़ से पोशाक केंद्र

संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा Published by: अरुन पाराशर Updated Tue, 16 Sep 2025 08:59 PM IST
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सार

उत्तर प्रदेश के मथुरा में अमर उजाला द्वारा एमएसएमई फॉर भारत मंथन का आयोजन किया गया। इसमें गन्ना एवं चीनी मिल मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण ने आश्वासन दिया कि उद्यमियों की समस्या का समाधान किया जाएगा। 
 

Amar Ujala MSME For Bharat was organized in Mathura
अमर उजाला एमएसएमई फाॅर भारत कार्यक्रम। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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मथुरा में मंगलवार को ब्रजवासी लैंड्स इन में अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई फॉर भारत मंथन में मंत्री, अधिकारियों और उद्यमियों ने मंच साझा किया। गन्ना एवं चीनी मिल मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण ने ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) क्षेत्र के कारण मथुरा में कुछ बंदिशें होने की बात स्वीकारी। वहीं अन्य समस्याओं के निराकरण का भरोसा भी दिलाया। उन्होंने कहा कि छाता में टीटीजेड क्षेत्र लागू नहीं होता है, इसलिए वहां उद्यम स्थापित करने में बेहतर मौके हैं। उन्होंने साड़ी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी उद्यमियों से अपील की। आजमगढ़ भ्रमण के दौरान 20 लाख रुपये की साड़ी देखने का जिक्र करते हुए उन्होंने मथुरा में उद्योग को उच्च स्तर पर ले जाने की बात रखी। वहीं एमएसएमई उद्योगों की स्थापना में आने वाली समस्याओं का प्रशासन से लेकर सरकार तक निराकरण कराने का आश्वासन दिया।
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उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए एमएसएमई ही एकमात्र विकल्प है। इस दौरान उद्यमों से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए उन्होंने उद्यमी, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कराने के लिए भी कहा। टीटीजेड पर उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है, अगर इसमें सरकार का कोई निर्णय होता तो वे जरूर सुधार के लिए प्रयास करते। उन्होंने व्यापारियों को हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया।
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वहीं उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एसबी सिंह ने मथुरा में एमएसएमई की अपार संभावनाएं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि मथुरा में देश भर से 9 करोड़ श्रद्धालु आते हैं, जिससे मथुरा एक पर्यटन हब बन गया है। उन्होंने कहा कि वृंदावन में करीब 80 करोड़ की लागत से पोशाक केंद्र बनाया जा रहा है, जो पोशाक के कारोबार को नई उड़ान देगा। उन्होंने कहा कि मथुरा के लिए सरकार ने हाल ही में 30 हजार करोड़ का प्लान तैयार किया है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में विकास की संभावनाओं को मूर्त रूप देन का काम किया जाएगा। उन्होंने उद्यमों की स्थापना में एमवीडीए से संबंधित समस्याओं के निराकरण की भी बात कही।

 

नगर आयुक्त ने उद्यमियों से किया सहयोग का वादा
उद्यमियों की मौजूदगी में नगर आयुक्त जगप्रवेश ने भी मथुरा में उद्यम को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पूरे देश में मथुरा श्रद्धालुओं के मामले में तीसरे स्थान पर रहा है। जहां लोग आते हैं, वहां अवसर भी अधिक होते हैं। एमएसएमई उत्पादों के लिए यह एक अच्छा बाजार है। उन्होंने उद्यमियों को नगर निगम से जुड़ी समस्या के निस्तारण में सहयोग का वादा किया। उन्होंने कहा कि उद्यमों के विकास से ही मथुरा को और विकसित बनाया जा सकता है। वहीं अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व डॉ. पंकज वर्मा ने प्रशासनिक सहयोग का भरोसा दिलाया।

दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ शुभारंभ
इससे पहले कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद के सीईओ एसबी सिंह, नगर आयुक्त जगप्रवेश, एडीएम एफआर डॉ. पंकज वर्मा, उपायुक्त उद्योग रामेंद्र कुमार सिंह, नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव ब्रजवासी व पूर्व अध्यक्ष राजेश बजाज और इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी सिंघल मौजूद रहे।


बंदिशों की डोर में नहीं उलझें उद्योग, साझा प्रयासों की जरूरत
अमर उजाला के तत्वावधान में नेशनल चैंबर के सहयोग से आयोजित एमएसएमई फॉर भारत के दूसरे सत्र में ‘कल के एमएसएमई’ विषयक चर्चा में ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) की बंदिशों और वर्तमान परिस्थितियों में आए अंतर के बाद भी बदलाव नहीं होने पर चिंता व्यक्त की गई। औद्योगिक इलाकों में पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के बाद भी मथुरा में एमएसएमई इकाइयों के बढ़ते कदमों को सराहा गया। मंथन के दौरान समस्याएं उठीं तो समाधान भी तलाशे गए। नेशनल चैंबर के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल बृजवासी ने कहा कि वन विंडो वन सिस्टम लागू तो है, लेकिन वास्तविकता अलग है। एक ही विंडो पर काम हो जाए तो व्यवसायियों को चक्कर नहीं काटने पड़ें। दिक्कतों के बाद भी हमें आगे बढ़ना है और नए उद्यिमयों को प्रेरित करना है। बड़ों की अपेक्षा छोटे उद्योगों में अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

 

नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष राजेश बजाज ने कहा कि मथुरा का साड़ी उद्योग वर्तमान में भी करीब एक लाख लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है। उन्होंने साड़ी सहित अन्य उद्योगों के सामने आ रहीं समस्याओं को सिलसिलेवार ढंग से रखा। बताया कि सरकार जब उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है तो सरकारी मशीनरी को भी उदारता दिखानी होगी। एमएसएमई कोर्ट की संख्या बढ़ाने की जरूरत भी है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी सिंघल ने कहा कि 1972 और वर्तमान टेक्नोलॉजी में जमीन-आसमान का अंतर आ चुका है। सरकार युवाओं के रोजगार के लिए लोन की व्यवस्था करती है, लेकिन बैंक धनराशि को घटाकर इतना कम कर देता है कि कोई उद्योग लग ही नहीं सकता। औद्योगिक क्षेत्रों में पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है। भूमाफिया उद्योगों के लिए आवंटित जमीनों पर कब्जा करके बैठे हैं। समस्याओं के बाद भी उद्यमी देश की जीडीपी में अपना योगदान दे रहे हैं।

इंडियन बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल हाथी वाले ने कहा कि वर्तमान में उद्योगपतियों के लिए कदम-कदम पर समस्याएं हैं। जरा सी कमी मिलने पर उद्यमी के खिलाफ कार्रवाई में देर नहीं लगती, मगर यमुना में नाले गिरें या कोई सरकारी मशीनरी की कमी हो तो कोई देखने वाला नहीं है। मथुरा के उद्यमियों को नए अवसरों के साथ सुविधाएं भी मिलनी चाहिए।

 

टोंटी एसोसिएशन के देवेंद्र कुमार ने कहा कि उद्योगों के लिए सबसे बड़ा रोड़ा टीटीजेड ने अटका रखा है। 40 साल पुराने कानून उद्यमियों के लिए नासूर बने हुए हैं। विभागीय अधिकारियों को सरकार और कोर्ट को बताना होगा कि पूर्व और वर्तमान की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। गैस और बिजली से चलने वाले उद्योग लगाने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन इसके लिए विभागीय अनुमति नहीं मिलती है।

लघु उद्योग भारती के मंडल सचिव सोनल अग्रवाल ने कहा कि लघु उद्योग भारती की 600 जिलों में इकाई हैं। 2047 विकसित भारत का सपना मथुरा के विकास के साथ ही पूरा हो सकता है। मथुरा में सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सुपरफास्ट ट्रेनों के ठहराव का अभाव है। मथुरा में इलेक्ट्रॉनिक आइटम का हब बनना चाहिए। ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता है।

यह निकले मंथन के मोती
- टीटीजेड में व्हाइट कैटेगरी में भी रोक हटाई जानी चाहिए।
- टीटीजेड की बदले परिदृश्य के मुताबिक समीक्षा की महती आवश्यकता।
- एक जिला, एक उत्पाद की निर्माण इकाइयों को मिलें विशेष सुविधाएं।
- एमएसएमई उद्यमियों को लोन, एनओसी की समस्याओं का त्वरित निस्तारण हो।
- औद्योगिक इलाकों में सड़क, पानी, बिजली जैसी सुविधाओं के लिए अलग बजट हो।
- उद्योग बंधु की बैठकों में रखी जाने वाली समस्याओं का समाधान प्रभावी तरीके से हो।
- एमएसएमई के लिए महिला उद्यमियों को भी बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त सुविधाएं मिलें।

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