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Sant Premanand: ' लंबे समय बाद आज अभिलाषा पूरी हुई...' जानें प्रेमानंद महाराज ने क्यों कहे ऐसे शब्द
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Wed, 17 Dec 2025 09:46 PM IST
सार
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज प्रियाकुंज स्थित संत विनोद बाबा की कुटिया पहुंचे। यहां संतों के बीच हुआ यह आत्मीय संवाद श्रद्धा, विनम्रता और संत भाव से परिपूर्ण रहा।
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संत प्रेमानंद महाराज
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
मथुरा के बरसाना मे संत कृपा, साधना और भाव की त्रिवेणी उस समय सजीव हो उठी, जब संत प्रेमानंद महाराज प्रियाकुंज स्थित संत विनोद बाबा की कुटिया पहुंचे। संत आगमन के साथ वातावरण श्रद्धा और आत्मीयता से भर गया। पंडित बाबा सहित अनेक संतजन की उपस्थिति में यह क्षण केवल आगमन नहीं बल्कि वर्षों की तपस्या का प्रतिफल बनकर सामने आया।
कुटिया में पहुंचकर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि लंबे समय से मन में संजोई यह अभिलाषा आज श्रीजी की कृपा से पूरी हुई है। उन्होंने कहा कि संत विनोद बाबा की कुटिया तक पहुंचना स्वयं में श्रीजी की विशेष अनुकंपा है, जहां आते ही मन को गहरी शांति और आत्मिक संतोष की अनुभूति हुई।
महाराज ने भावपूर्वक कहा कि एक अभिलाषा अभी शेष है, बाबा की कुटिया में प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य मिले और श्रीजी की परिक्रमा लगाकर दर्शन करने का अवसर प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि प्रियाकुंज की यह भूमि श्रीजी की सजीव कृपा से अनुप्राणित है, जहां हर कण साधना और भक्ति का साक्ष्य देता है। संत श्री विनोद बाबा की कुटिया में संतों के बीच हुआ यह आत्मीय संवाद श्रद्धा, विनम्रता और संत भाव से परिपूर्ण रहा। उपस्थित संतजनों और श्रद्धालुओं ने इस अवसर को दुर्लभ बताते हुए श्रीजी से संतों पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की।
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कुटिया में पहुंचकर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि लंबे समय से मन में संजोई यह अभिलाषा आज श्रीजी की कृपा से पूरी हुई है। उन्होंने कहा कि संत विनोद बाबा की कुटिया तक पहुंचना स्वयं में श्रीजी की विशेष अनुकंपा है, जहां आते ही मन को गहरी शांति और आत्मिक संतोष की अनुभूति हुई।
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महाराज ने भावपूर्वक कहा कि एक अभिलाषा अभी शेष है, बाबा की कुटिया में प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य मिले और श्रीजी की परिक्रमा लगाकर दर्शन करने का अवसर प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि प्रियाकुंज की यह भूमि श्रीजी की सजीव कृपा से अनुप्राणित है, जहां हर कण साधना और भक्ति का साक्ष्य देता है। संत श्री विनोद बाबा की कुटिया में संतों के बीच हुआ यह आत्मीय संवाद श्रद्धा, विनम्रता और संत भाव से परिपूर्ण रहा। उपस्थित संतजनों और श्रद्धालुओं ने इस अवसर को दुर्लभ बताते हुए श्रीजी से संतों पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की।
