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Mau News: सीएचसी में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं, इलाज के लिए जाना पड़ता है 40 किमी दूर
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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतहपुर मंडाव के एनबीएसयू वार्ड में मौजूद स्वास्थ्यकर्मी।संवाद
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फतेहपुर मंडाव। मधुबन तहसील के फतेहपुर मंडाव सीएचसी में बालरोग विशेषज्ञ का न होना तहसील क्षेत्र के अलावा सीमावर्ती जिला बलिया के बेल्थरारोड तहसील के 20 गांव के लोगों को इलाज के लिए 40 किमी का सफर तय करना पड़ता है।
बेहतर उपचार के लिए परिजनों को बीमार बच्चों का निशुल्क उपचार कराने के लिए 40 किमी दूर जिला अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है। वहीं 40 फीसदी मरीज परेशानी से बचने के लिए निजी अस्पताल में इलाज कराने को बाध्य हैं। चिकित्सक की तैनात के लिए लोग कई बार मांग भी कर चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी की तैनाती नहीं हुई है। बुधवार को बीमार बच्चे का उपचार कराने पहुंचे बलिया के सोनाडीह निवासी रमेश ने बताया कि इलाज के लिए लेकर आया था। लेकिन यहां डाक्टर न होने पर अब वह मजबूरन में जिला अस्पताल जाने को बाध्य हुआ, इससे जेब पर अधिक बोझ पड़ेगा। इसी तरह से दुबारी निवासी लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि उसके नातिन को कई दिनों से बुखार है। वह अपने कस्बा के निजी डॉक्टरों को छोड़कर सीएचसी पहुंचे। यहां आने पर उसे बाल रोग विशेषज्ञ न होने की बात कहकर जिला अस्पताल जाने को कहा गया।-- -- -- -- -- -- -- -- -- -
सर्दी में अधिक बीमार हो रहे है बच्चें
फतेहपुर मंडाव। सर्दी बढ़ रही है, जो हर एक की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। मगर बच्चों के लिए यह सर्दी ज्यादा परेशानी पैदा कर रही है। थोड़ी सी लापरवाही सेहत पर भारी पड़ रही है। बच्चों में वायरल, डायरिया, उल्टी करना, सांस लेने में तकलीफ, छाती का संक्रमण, जुकाम, खांसी जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। सुबह व शाम के समय की सर्दी बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है। बच्चों की जांच के बाद उन्हें दवाई देकर भेज दिया गया। बताया कि बच्चों को जैसे ही खांसी-जुकाम हो तो तुरंत उन्हें चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
कोट
अस्पताल में सर्जन, गायनी और दूसरे रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त बीते पांच साल से अधिक समय से चल रहा है। इसको लेकर हर वर्ष पत्र लिखा जाता है। वर्तमान में बाल रोग विशेषज्ञ न होने पर दूसरे डॉक्टरों की ओर से प्राथमिक उपचार किया जा रहा है।
डॉ. राजीव पांडेय
अधीक्षक
फतेहपुर मंडाव सीएचसी
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बेहतर उपचार के लिए परिजनों को बीमार बच्चों का निशुल्क उपचार कराने के लिए 40 किमी दूर जिला अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है। वहीं 40 फीसदी मरीज परेशानी से बचने के लिए निजी अस्पताल में इलाज कराने को बाध्य हैं। चिकित्सक की तैनात के लिए लोग कई बार मांग भी कर चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी की तैनाती नहीं हुई है। बुधवार को बीमार बच्चे का उपचार कराने पहुंचे बलिया के सोनाडीह निवासी रमेश ने बताया कि इलाज के लिए लेकर आया था। लेकिन यहां डाक्टर न होने पर अब वह मजबूरन में जिला अस्पताल जाने को बाध्य हुआ, इससे जेब पर अधिक बोझ पड़ेगा। इसी तरह से दुबारी निवासी लक्ष्मण प्रसाद ने बताया कि उसके नातिन को कई दिनों से बुखार है। वह अपने कस्बा के निजी डॉक्टरों को छोड़कर सीएचसी पहुंचे। यहां आने पर उसे बाल रोग विशेषज्ञ न होने की बात कहकर जिला अस्पताल जाने को कहा गया।
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सर्दी में अधिक बीमार हो रहे है बच्चें
फतेहपुर मंडाव। सर्दी बढ़ रही है, जो हर एक की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। मगर बच्चों के लिए यह सर्दी ज्यादा परेशानी पैदा कर रही है। थोड़ी सी लापरवाही सेहत पर भारी पड़ रही है। बच्चों में वायरल, डायरिया, उल्टी करना, सांस लेने में तकलीफ, छाती का संक्रमण, जुकाम, खांसी जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। सुबह व शाम के समय की सर्दी बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है। बच्चों की जांच के बाद उन्हें दवाई देकर भेज दिया गया। बताया कि बच्चों को जैसे ही खांसी-जुकाम हो तो तुरंत उन्हें चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
कोट
अस्पताल में सर्जन, गायनी और दूसरे रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त बीते पांच साल से अधिक समय से चल रहा है। इसको लेकर हर वर्ष पत्र लिखा जाता है। वर्तमान में बाल रोग विशेषज्ञ न होने पर दूसरे डॉक्टरों की ओर से प्राथमिक उपचार किया जा रहा है।
डॉ. राजीव पांडेय
अधीक्षक
फतेहपुर मंडाव सीएचसी