Cyber Fraud: भोले-भाले लोगों के बैंक अकाउंट खुलवाकर साइबर ठगों को बेचे, चार गिरफ्तार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साइबर फ्रॉड के नए नए तरीके ईजाद किए जा रहे हैं। मेरठ में भोले भाले लोगों का बैंक खाता खुलवाकर उसे साइबर ठगों को बेचने का मामला सामने आया है।


विस्तार
मेरठ लिसाड़ी गेट पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो साइबर ठगों को बैंक खाते बेचते हैं। पुलिस ने इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी गरीब व भोले-भाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने और नौकरी का झांसा देकर उनके बैंक खाते खुलवाते और इनके नाम से मोबाइल सिमकार्ड निकलवा लेते।
इसके बाद प्रति खाता 1500 रुपये में साइबर ठगों को बेच देते थे। इन खातों में आई ठगी की रकम साइबर ठग निकाल लेते थे। गिरोह के बाकी सदस्यों को पुलिस तलाश कर रही है।
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने सोमवार को पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता में बताया कि लिसाड़ी गेट पुलिस ने लोगों की शिकायत के आधार पर लिसाड़ी गेट क्षेत्र के अहमदनगर लक्खीपुरा निवासी वकार, नौचंदी क्षेत्र के करीमनगर निवासी शाहरूख, लोहियानगर क्षेत्र अहमदनगर निवासी मोनू व समीर को गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ के बाद पता चला कि वकार अपने आसपास क्षेत्र के गरीब, बेरोजगार व जरूरतमंद लोगों से सरकारी योजना का लाभ दिलाने, नौकरी आदि का लालच देकर उनके कागजात लेकर उनके नाम से बैंकों में खाते खुलवाता था। इसके बाद शाहरूख बैंक की पासबुक, डेबिट कार्ड, चेकबुक आदि लेता था। शाहरूख बैंक की सभी जानकारी समीर और मोनू को देता था। समीर व मोनू सिमकार्ड लेते थे और मोबाइल में डालकर ऑनलाइन पेमेंट एप इस्तेमाल करते थे।
एसपी सिटी ने बताया कि इनके क्यूआर कोड बिजली बंबा बाईपास स्थित मिल्लत पैलेस निवासी अलाउद्दीन और मवाना के पहाड़पुरा निवासी सोनू को भेजते थे।
उनकी आईडी पर मोबाइल सिम निकलवा लेते थे। इन लोगों के खाते में साइबर ठगी की रकम मंगाते थे। बाद में इसे एटीएम और पेट्रोल पंपों के माध्यम से रुपये निकालकर आपस में बांट लेते थे। अलाउद्दीन और सोनू व इनके तीन अन्य साथियों को पुलिस तलाश कर रही है।
पांच महीने से खुलवा रहे थे बैंक खाते
एसपी सिटी के अनुसार आरोपियों ने बताया कि वे बीते पांच महीने से लोगों से दस्तावेज लेकर उनके बैंक खाते खुलवाकर साइबर ठगों को बेचने का काम कर रहे थे। जिन लोगों से उन्होंने दस्तावेज लिए उनके से कुछ लोगों ने पुलिस को शिकायती पत्र दिखा था। इसके बाद जांच के उपरांत गिरोह के ये चार सदस्य पकड़े गए हैं।
पुलिस ने आरोपियों के पास से 36 एटीएम कार्ड, 27 बैंक पासबुक, 16 सिम कार्ड, 3 चेक बुक, 10 मोबाइल फोन और 50 हजार रुपये बरामद किए हैं। वकार के खिलाफ लिसाड़ी गेट, मेडिकल कॉलेज और कोतवाली थाने में चार मुकदमे दर्ज हैं। शाहरूख के खिलाफ लिसाड़ी गेट थाने में तीन मुकदमे, समीर के खिलाफ दो और मोनू के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज हैं।
करोड़ों की ठगी और कई राज्यों में नेटवर्क की आशंका
एसपी सिटी ने बताया कि आशंका है कि इस गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में भी फैला है। दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में बैठे गिरोह के सदस्य गरीबों के खाते में ठगी की रकम मंगाकर निकाल रहे हैं। ये भी आशंका है कि आरोपियों से खरीदे गए खातों से साइबर ठगों ने करोड़ों की ठगी की हो। इसके चलते सभी खातों की गहनता से जांच की जा रही है।
लालच में आकर न खुलवाएं खाता : किसी लालच में आकर या किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर बैंक खाता न खुलवाएं। अपनी बैंक संबंधी डिटेल, डेबिट कार्ड का पिन नंबर, नेट बैंकिंग संबंधी जानकारी किसी को भी न दें।
संदिग्ध मेसेज की पहचान करें : यदि आपको किसी अनजान मोबाइल नंबर से रकम क्रेडिट होने का मेसेज मिलता है, तो सावधान हो जाएं। आमतौर पर, बैंकों द्वारा रकम क्रेडिट के मेसेज में मोबाइल नंबर नहीं, बल्कि बैंक का एक कोड होता है।
स्टेटमेंट जरूर चेक करें : रकम जमा होने के मेसेज पर भरोसा न करें। इस तरह का कोई भी मेसेज मिलने पर तुरंत अपना बैंक अकाउंट स्टेटमेंट या यूपीआई एप में ट्रांजेक्शन हिस्ट्री चेक करें, जिससे यह पुष्टि हो सके कि वास्तव में कोई राशि क्रेडिट हुई है या नहीं।
कॉल आए तो नहीं करें भरोसा : रकम क्रेडिट होने का मेसेज आने के बाद कोई अनजान शख्स कॉल कर गलती से रकम ट्रांसफर होने की बात करे तो बिलकुल भरोसा नहीं करें। यह लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है।
तत्काल करनी चाहिए फ्रॉड की शिकायत
एसपी क्राइम अवनीश कुमार का कहना है कि यदि ठगी का शिकार हों तो बिना देर किए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। इसके साथ ही साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इस तरह की वारदात होने पर अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।