सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Meerut News ›   growing controverses in marital relationships are taken away love of their children

Exclusive: बचपन से छिनती प्यार की छांव, मां का इंतजार, किसी को केवल पिता का प्यार

शालू अग्रवाल, अमर उजाला, मेरठ Published by: Dimple Sirohi Updated Sun, 27 Dec 2020 01:21 PM IST
विज्ञापन
सार

  • जिले में हर साल औसतन एक हजार बच्चों से छूट रहा माता-पिता का साथ

growing controverses in marital relationships are taken away love of their children
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

माता-पिता के प्यार की छांव में पलकर जो बचपन बढ़ा होता है वही विकसित समाज और देश की नींव होता है लेकिन पति-पत्नी के आपसी विवादों में मासूम बचपन दरक रहा है। ममता के जिस आंचल में खेलकर बच्चा बड़ा होता है, पिता की अंगुली पकड़कर चलता है और भविष्य रचता है।
loader
Trending Videos


वैवाहिक रिश्तों में बढ़ते विवाद बचपन से उसके हिस्से की छांव छीन रहे हैं। पति-पत्नी के संबंध विच्छेद से बच्चे को दोनों का प्यार नहीं मिलता। माता-पिता तो एक दूजे से अलग हो जाते हैं लेकिन बच्चों के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते हैं। परिवार न्यायालय में वाद लंबित होने के कारण बच्चे अपने ‘अच्छे दिन’ आने का इंतजार कर रहे हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन


जिला परिवार न्यायालय में दाखिल मुकदमे
 वर्ष                                       2020    2019    2018    2017    2016
 भरण पोषण                            960    1,166    1,096    967    903
 गार्जियंस एंड वाड् र्स एक्ट          58      74          73         65     68

छूट गई शोएब की पढ़ाई
आठ साल का शोएब (बदला हुआ नाम) दो साल से स्कूल नहीं गया है। उसकी पढ़ाई छूट गई क्योंकि शोएब के अम्मी-अब्बा का तलाक हो गया है। शोएब कभी अम्मी के पास रहता है तो कभी अब्बा के यहां। आगे कहां रहेगा, यह तय न होने के कारण शोएब का नए स्कूल में दाखिला नहीं हो सका है। अम्मी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकती हैं, जबकि अब्बा उसे पढ़ाने के लिए ही तैयार नहीं हैं।

पापा कहना भूला राहुल
दस साल का राहुल (बदला हुआ नाम) अपने दूसरे पापा को आज तक पापा नहीं मान सका है। आज तक वह अपने असली पिता को भूल नहीं सका है। राहुल के मम्मी-पापा में घर खर्च को लेकर अक्सर विवाद होता है। अंत में मुकदमा चला और दोनों का तलाक हो गया। राहुल छोटा होने के कारण मम्मी के पास आ गया। बाद में मां ने भी दूसरी शादी कर ली। अब ढाई साल बाद भी राहुल पहले पिता को भूल नहीं सका है।

स्कूल में बिगड़ा रिपोर्ट कार्ड
बारह साल की खुशी (बदला हुआ नाम) तीन साल से नानी के पास रहती है। तलाक के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली, मम्मी दिनभर ऑफिस में व्यस्त रहती हैं। बेटी से बात करने वाला कोई नहीं है। बर्थडे पर वह अपने पापा को याद कर चुपचाप रोती है। आए दिन स्कूल से बच्चों की चीजें चुरा लाती है, जिसकी शिकायत घर आती है। काउंसलर के अनुसार बच्ची माता-पिता की दूरियों के कारण मानसिक अवसाद में है।

अपराध की दुनिया में रखते हैं कदम
मेरठ बार एसोसिएशन के सदस्य एवं बाल अपराध विशेषज्ञ संदीप कुमार बंसल के अनुसार पति-पत्नी के संबंध विच्छेद के बाद अधिकांश बच्चे जरायम की दुनिया में चले जाते हैं। इसका प्रमुख कारण माता-पिता का प्यार न मिलना है। माता-पिता संयुक्त रूप से बच्चे को पालें तो बच्चा सही राह पर चलता है।  

 नकारात्मक असर, अवसाद का कारण
मनोविज्ञानी डॉ. कशिका जैन कहती हैं कि सिंगल पैरेंट वाले बच्चे की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। मम्मी-पापा को अलग होता देख बच्चा डर, सहम जाता है। विवाद देखकर लंबे समय के लिए डिप्रेेशन में चला जाता है। उसकी रचनात्मकता खत्म हो जाती है। ये तनाव किसी बीमारी या गलत आदत का रूप भी ले सकती है।

 सामाजिक तंत्र पर विपरीत असर
मनोविज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट फाल्गुनी कहती हैं बच्चे के जीवन में माता-पिता दोनों का प्यार अहम है। भारतीय परिवारों की परिकल्पना तभी पूर्ण होती है, जब बच्चे को माता-पिता का संयुक्त स्नेह मिले। माता-पिता में तलाक, संबंध विच्छेद और विवाद के कारण यह संभव नहीं होता। इसका असर बच्चे के साथ पूरे समाज पर होता है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed