Exclusive: बचपन से छिनती प्यार की छांव, मां का इंतजार, किसी को केवल पिता का प्यार
- जिले में हर साल औसतन एक हजार बच्चों से छूट रहा माता-पिता का साथ

विस्तार

वैवाहिक रिश्तों में बढ़ते विवाद बचपन से उसके हिस्से की छांव छीन रहे हैं। पति-पत्नी के संबंध विच्छेद से बच्चे को दोनों का प्यार नहीं मिलता। माता-पिता तो एक दूजे से अलग हो जाते हैं लेकिन बच्चों के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते हैं। परिवार न्यायालय में वाद लंबित होने के कारण बच्चे अपने ‘अच्छे दिन’ आने का इंतजार कर रहे हैं।
जिला परिवार न्यायालय में दाखिल मुकदमे
वर्ष 2020 2019 2018 2017 2016
भरण पोषण 960 1,166 1,096 967 903
गार्जियंस एंड वाड् र्स एक्ट 58 74 73 65 68
आठ साल का शोएब (बदला हुआ नाम) दो साल से स्कूल नहीं गया है। उसकी पढ़ाई छूट गई क्योंकि शोएब के अम्मी-अब्बा का तलाक हो गया है। शोएब कभी अम्मी के पास रहता है तो कभी अब्बा के यहां। आगे कहां रहेगा, यह तय न होने के कारण शोएब का नए स्कूल में दाखिला नहीं हो सका है। अम्मी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकती हैं, जबकि अब्बा उसे पढ़ाने के लिए ही तैयार नहीं हैं।
पापा कहना भूला राहुल
दस साल का राहुल (बदला हुआ नाम) अपने दूसरे पापा को आज तक पापा नहीं मान सका है। आज तक वह अपने असली पिता को भूल नहीं सका है। राहुल के मम्मी-पापा में घर खर्च को लेकर अक्सर विवाद होता है। अंत में मुकदमा चला और दोनों का तलाक हो गया। राहुल छोटा होने के कारण मम्मी के पास आ गया। बाद में मां ने भी दूसरी शादी कर ली। अब ढाई साल बाद भी राहुल पहले पिता को भूल नहीं सका है।
स्कूल में बिगड़ा रिपोर्ट कार्ड
बारह साल की खुशी (बदला हुआ नाम) तीन साल से नानी के पास रहती है। तलाक के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली, मम्मी दिनभर ऑफिस में व्यस्त रहती हैं। बेटी से बात करने वाला कोई नहीं है। बर्थडे पर वह अपने पापा को याद कर चुपचाप रोती है। आए दिन स्कूल से बच्चों की चीजें चुरा लाती है, जिसकी शिकायत घर आती है। काउंसलर के अनुसार बच्ची माता-पिता की दूरियों के कारण मानसिक अवसाद में है।
अपराध की दुनिया में रखते हैं कदम
मेरठ बार एसोसिएशन के सदस्य एवं बाल अपराध विशेषज्ञ संदीप कुमार बंसल के अनुसार पति-पत्नी के संबंध विच्छेद के बाद अधिकांश बच्चे जरायम की दुनिया में चले जाते हैं। इसका प्रमुख कारण माता-पिता का प्यार न मिलना है। माता-पिता संयुक्त रूप से बच्चे को पालें तो बच्चा सही राह पर चलता है।
नकारात्मक असर, अवसाद का कारण
मनोविज्ञानी डॉ. कशिका जैन कहती हैं कि सिंगल पैरेंट वाले बच्चे की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। मम्मी-पापा को अलग होता देख बच्चा डर, सहम जाता है। विवाद देखकर लंबे समय के लिए डिप्रेेशन में चला जाता है। उसकी रचनात्मकता खत्म हो जाती है। ये तनाव किसी बीमारी या गलत आदत का रूप भी ले सकती है।
सामाजिक तंत्र पर विपरीत असर
मनोविज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट फाल्गुनी कहती हैं बच्चे के जीवन में माता-पिता दोनों का प्यार अहम है। भारतीय परिवारों की परिकल्पना तभी पूर्ण होती है, जब बच्चे को माता-पिता का संयुक्त स्नेह मिले। माता-पिता में तलाक, संबंध विच्छेद और विवाद के कारण यह संभव नहीं होता। इसका असर बच्चे के साथ पूरे समाज पर होता है।