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Meerut: डॉक्टरों ने धुरंधर के अक्षय खन्ना की तरह ली एंट्री, 25 साल बाद मिले, बैंड की धुनों पर खूब किया डांस

अमर उजाला नेटवर्क, मेरठ Published by: मोहम्मद मुस्तकीम Updated Thu, 25 Dec 2025 06:03 PM IST
सार

Silver Jubilee Function: एनएच-58 स्थित एक रिसॉर्ट में मेडिकल कॉलेज के सन 2000 के चिकित्सकों के सिल्वर जुबली फंक्शन का आयोजन किया गया। मस्ती भरे माहौल में दिल्ली के जिक्र बैंड के गानों पर जमकर डांस किया।

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Meerut: Doctors took entry like Akshay Khanna of Dhurandhar, danced a lot when they met after 25 years
बैंड की धुन पर थिरकते डॉक्टर्स। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सोशल मीडिया पर छाई फिल्म धुरंधर के गाने पर अक्षय खन्ना की एंट्री जैसा माहौल बृहस्पतिवार को एनएच-58 स्थित एक रिसॉर्ट में रहा। मौका था मेडिकल कॉलेज के ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन (ओसा) सन 2000 के बैच के चिकित्सकों के सिल्वर जुबली फंक्शन का। मस्ती भरे माहौल में दिल्ली के जिक्र बैंड ने जो गानों की सरगम छेड़ी तो चारों ओर उत्साह और उमंग से नई ऊर्जा का संचार हुआ।
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बैंड की विधि त्यागी ने कई क्विज के जरिए सभी को बांधे रखा। उन्होंने मंच पर प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी, हो जाऊं मैं मतवारी .... की तान छेड़ी तो सभी मुग्ध हो गए। इसके बाद एक से बढ़कर एक मस्ती के तरानों ने सभी को झुमाए रखा। दिल है मेरा, दीवाना क्या ... ताल पे जब झूमे बदन ..., इट्स टाइम टू डिस्को ... पर महिला चिकित्सक भी स्टेज के सामने लगे डीजे पर आ गईं और पूरे उल्लास से डांस किया। 
 
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जॉली, मोहित शर्मा, मोहित दादा ने धुनों और हिमांशु ने गिटार से दिलकश प्रस्तुति दी। लखनऊ से आए ऐनेस्थीसिया के विशेषज्ञ चिकित्सक डा. संघर्ष रॉय ने धुरंधर फिल्म में अक्षय खन्ना की एंट्री वाले गीत पर शानदार डांस किया। उनके बाद तमाम चिकित्सक अक्षय खन्ना की तर्ज पर थिरकते रहे। ओसा के सचिव डा. पुष्पेंद्र राणा, डा. भावना तोमर, डा. गौरव चौधरी, डा. सिपिका, डा. चारू आदि का सहयोग रहा।
 

गले मिले, जमकर ली सेल्फी
समारोह में कई चिकित्सक 25 साल बाद एक-दूसरे मिले। पुराने दिनों को याद करते हुए खूब हंसी-ठिठौली हुई। डॉक्टरों ने उस समय के अपने शिक्षक, कॉलेज के गलियारे, औघड़नाथ मंदिर में जाना और गर्लफ्रेंड से पीसीओ से बातें करने आदि की यादों को शब्दों में पिरोकर गुनगुनाया तो तमाम चिकित्सक 25 साल पहले के समय में खो गए। परिवार संग मिले चिकित्सकों ने खूब सेल्फी ली।
 

रैगिंग का मतलब था अनुशासन
लखनऊ से आईं चिकित्सक डा. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि रैगिंग महज नाम ही है, जबकि उस समय सीनियर अनुशासन सिखाया करते थे। किस तरह से व्यस्त शेड्यूल में संयम बनाए रखते हुए काम के प्रति समर्पित रहना है, यह सिखाया जाता था। तमाम चिकित्सकों ने अपने शिक्षकों को याद किया और संस्मरण सुनाए।

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