Chhannulal Mishra: मां विंध्यवासिनी विवि में रखे जाएंगे छन्नू लाल के वाद्य यंत्र, युवाओं को मिलेगी प्रेरणा
Mirzapur News: मिर्जापुर के मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन में पंडित छन्नू लाल मिश्र के स्वर साधना से जुड़ी चीजें रखी जाएंगी। इससे युवा कलाकारों को प्रेरणा मिलेगी।
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Pandit Chhannu Lal Mishra: पद्मविभूषण पं. छन्नू लाल मिश्र की थाती को मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय सहेजेगा। उनकी स्वर साधना से जुड़ी वस्तुओं (पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण सम्मान) को विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन में स्थान दिया जाएगा। इसका उद्देश्य संगीत में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रेरित करना है।
बेटी प्रो. नम्रता मिश्र ने पिता पं. छन्नू लाल से जुड़ी सभी स्मृति चिन्हों को विश्वविद्यालय को देने की पेशकश की है। कुलपति प्रो. शोभा गौड़ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि वे सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर इसकी जानकारी देंगी। उन्होंने बताया कि पं. छन्नू लाल मिश्र से जुड़ी वस्तुओं को विश्वविद्यालय का निर्माणाधीन भवन तैयार होने के बाद उसमें रखवाया जाएगा।
प्रो. नम्रता मिश्र ने बताया कि पिता जी की इच्छा थी कि उनके न रहने के बाद उनसे जुड़ी सभी सामग्री, ऐसी जगह रखी जाएं जहां युवा पीढ़ी उसे देख और सीख सके। पिता जी की सोच थी कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस विधा से जुड़ सकें। इसी वजह से यह निर्णय लिया कि सभी सामग्री, यहां तक उनके पद्म सम्मान को भी विश्वविद्यालय को दे दिया जाए।
इस संबंध में कुलपति शोभा गौड़ ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है। पं. छन्नू लाल मिश्र की संगीत यात्रा से जुड़े वाद्य यंत्र, उनकी अर्जित उपाधियां, सम्मान, उपहार, स्मृति चिह्न को विश्वविद्यालय को देने की पेशकश की गई है।
सम्मान में मिली तलवार भी रखी जाएगी
प्रो. नम्रता मिश्र ने बताया कि पिता जी के सम्मान के साथ ही संगीत साधना से जुड़े स्वर मंडल, तानपुरा, हारमोनियम व अन्य वाद्य यंत्र, उनका पसंदीदा कुर्ता, घड़ी, मोबाइल, उनकी पुस्तकें विश्वविद्यालय को दी जाएंगी। पिता जी को सम्मान में मिली तलवार, भाला और बाघंबर भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री को भी पसंद आया विवि का कुलगीत
मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. शोभा गौड़ ने बताया कि विश्वविद्यालय का कुलगीत स्वरबद्ध हो चुका है और जल्द ही संबद्ध कॉलेजों में गूंजेगा। उन्होंने बताया कि कुलगीत को सीएम योगी आदित्यनाथ को भी सुनाया गया था, जो उन्हें पसंद आया।