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खूब जमी शेरो-शायरी की महफिल: शायरों ने पेश किए एक से बढ़कर एक कलाम, नवाज देवबंदी ने जीता लोगों का दिल

अमर उजाला ब्यूरो, मुजफ्फरनगर Published by: कपिल kapil Updated Thu, 30 Dec 2021 12:08 AM IST
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सार

बरेली से पहुंचे प्रोफेसर वसीम बरेलवी के शेर ‘आसमां इतनी बुलंदी पर जो इतराता है, भूल जाता है जमीं से ही नजर आता है...’ को खूब दाद मिली।

The poets performed shiro-shayari in the District Agricultural and Industrial Exhibition in Muzaffarnagar
डॉ. नवाज देवबंदी। - फोटो : amar ujala
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मुजफ्फरनगर में जिला कृषि एवं औद्योगिक प्रदर्शनी में बुधवार देर रात तक शेरो-शायरी की महफिल खूब जमी। ऑल इंडिया मुशायरे में देशभर से आए शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए। मोहब्बत, वतनपरस्ती, कौमी एकता के शेर पढ़े। शायर मंजर भोपाली के शेर ‘तुम भी पियो हम भी पीएं रब की मेहरबानी, प्यार के कटोरे में गंगा का पानी...’  को खूब दाद मिली।

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मेरठ रोड स्थित नुमाइश पांडाल में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल, सीडीओ आलोक यादव, एडीएम नरेंद्र बहादुर सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट अनूप कुमार ने समां रोशन की। बरेली से पहुंचे प्रोफेसर वसीम बरेलवी के शेर ‘आसमां इतनी बुलंदी पर जो इतराता है, भूल जाता है जमीं से ही नजर आता है...’ को खूब दाद मिली। इसके बाद उन्होंने सुनाया कि ‘वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरतें लाया तो था, मैने उसके साथ चूमे और बेबस कर दिया’। बरेलवी के शेर ‘वो मेरी पीठ में खंजर जरूर उतारेगा, मगर निगाह मिलेगी तो कैसे मारेगा’ सुनाकर महफिल लूट ली। उनके शेर ‘आंखों को मूंद लेने से खतरा न जाएगा, वो देखना पड़ेगा जो देखा न जाएगा, पैमाना भर चला है मोहब्बत के सब्र का, झूठी तसिल्लयों से संभाला न जाएगा’ पर देर तक तालियां बजती रहीं।
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देवबंद से आए डॉ. नवाज देवबंदी की नज्म ‘ज्यादा वजन पे अपने मगरूर मत होना, तिनका तैरता रहता है और पत्थर डूब जाते हैं’ सुनाया। मंजर भोपाली ‘ये धरती सोने का कंगन, ये धरती चांदी का दर्पण, ये धरती मस्जिद का आंगन, ये धरती संतों का चंदन, ये किसने शूल बो दिये...’ सुनाया तो श्रोता भाव-विभोर हो गए।

नदीम फारूख के शेर ‘सुबह मगरूर को वो शाम भी कर देता है, शोहरतें छीनकर गुमनाम भी कर देता है, वक्त से आंख मिलाने की हिमाकत न करो, जनाब वक्त इंसान को नीलाम भी कर देता है’ पर श्रोताओं ने खूब वाहवाही की। शायरा खुशबू शर्मा के शेर ‘इस तरह सोचना भी कोई शान है, वो है हिंदू वो सिख वो मुसलमान है, मेरा भारत नहीं तो मै कुछ भी नहीं, मेरे भारत से ही मेरी पहचान है’ को सराहा गया। हाशिम फिरोजाबादी के शेर ‘न दुश्मनी न मुरव्वत में मारा जाऊंगा, मै जब मरा तो मुहब्बत में मारा जाऊंगा’ को खूब वाहवाही मिली।

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शायरा निकहत अमरोही की गजल ‘हमारे दिल के अंधेरों में रोशनी के लिए, तुम्हारा जिक्र जरूरी है जिंदगी के लिए’ पर श्रोताओं ने दाद दी। शायरा शाहिस्ता सना ने ‘किसी को खुशी ने किसी को गम ने मार लिया, जो बच गए उन्हें जिंदगी ने मार लिया’ सुनाकर वाहवाही लूटी। विजय तिवारी के शेर ‘फलक पर एक तारे की कमी है, हमें कुछ देर का मेहमान लिखिए’ को खूब सराहा गया।

उर्दू मेें पीएचडी पर प्रदीप जैन सम्मानित
शहर के प्रदीप जैन और अब्दुल हक सहर को मुशायरे में सम्मानित किया गया। उर्दू में बेहतर काम को सराहा गया। प्रदीप जैन ने उर्दू में पीएचडी की है।

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इन्होंने भी पढ़े शेर
नवेद अंजुम, अरशद जिया, तनवीर गौहर, अहमद मुजफ्फरनगरी, बिलाल, फखरी मेरठी, खुर्शीद हैदर, विजय तिवारी, पापुलर मेरठी, सिकंदर हयात गड़बड़ ने शेर प्रस्तुत किए।

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