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Pratapgarh News: केसीसी ऋण में बैंकों का अड़ंगा, किसान और मत्स्य पालक लगा रहे चक्कर
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किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का ऋण स्वीकृत करने में बैंक हिचकिचा रहे हैं। बैंकों के रोड़ा बनने से अधिकांश किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। लक्ष्य के सापेक्ष बैंकों की प्रगति भी खराब दर्ज की जा रही है। शासन ने 1.47 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड से ऋण देने का लक्ष्य दिया है। बावजूद इसके बैंकों द्वारा महज 88 हजार किसानों को ही क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया जा सका है।
यही हाल मत्स्य पालकों का भी है। 545 लाभार्थियों के सापेक्ष 72 मत्स्य पालकों को ही ऋण स्वीकृत किया गया है। मत्स्य पालकों को एक करोड़ रुपये और किसानों को 1.01 अरब का ऋण स्वीकृत किया जा चुका है।
बैंकों की प्रगति बेहतर न होने पर डीएम और सीडीओ सुधार के लिए समन्वयकों को चेतावनी दे चुके हैं। बावजूद इसके बैंकों की प्रगति बेहतर नहीं हो पा रही है। पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीआई के साथ दूसरे बैंकों में केसीसी ऋण के कई आवेदन लंबित हैं। अग्रणी जिला प्रबंधक (एलडीएम) नीरज सिंह ने बताया कि मार्च तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। कागजात में कमी होने पर ही किसानों के ऋण स्वीकृति में देरी हो रही है।
कागजात में बता रहे कमी
रानीगंज के अरुण तिवारी ने बताया कि आधार, बैंक पासबुक और भूमि कागजात में नाम का मिलान सही न होने पर ऋण स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। एक लाख से ज्यादा के ऋण के लिए बैंक जमीन गिरवी के साथ अन्य सिक्योरिटी के कागजात मांगते हैं, जो हम जैसे छोटे किसानों के लिए मुश्किल है। पट्टी के अनिल पांडेय ने बताया कि ऋण का समय पर भुगतान करने के लिए बैंक बारबार कहते हैं। स्वीकृति देने के बाद बैंक के अफसर ऋण जमा न कर पाने की बात कहकर आवेदन निरस्त कर देते हैं।
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यही हाल मत्स्य पालकों का भी है। 545 लाभार्थियों के सापेक्ष 72 मत्स्य पालकों को ही ऋण स्वीकृत किया गया है। मत्स्य पालकों को एक करोड़ रुपये और किसानों को 1.01 अरब का ऋण स्वीकृत किया जा चुका है।
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बैंकों की प्रगति बेहतर न होने पर डीएम और सीडीओ सुधार के लिए समन्वयकों को चेतावनी दे चुके हैं। बावजूद इसके बैंकों की प्रगति बेहतर नहीं हो पा रही है। पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीआई के साथ दूसरे बैंकों में केसीसी ऋण के कई आवेदन लंबित हैं। अग्रणी जिला प्रबंधक (एलडीएम) नीरज सिंह ने बताया कि मार्च तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। कागजात में कमी होने पर ही किसानों के ऋण स्वीकृति में देरी हो रही है।
कागजात में बता रहे कमी
रानीगंज के अरुण तिवारी ने बताया कि आधार, बैंक पासबुक और भूमि कागजात में नाम का मिलान सही न होने पर ऋण स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। एक लाख से ज्यादा के ऋण के लिए बैंक जमीन गिरवी के साथ अन्य सिक्योरिटी के कागजात मांगते हैं, जो हम जैसे छोटे किसानों के लिए मुश्किल है। पट्टी के अनिल पांडेय ने बताया कि ऋण का समय पर भुगतान करने के लिए बैंक बारबार कहते हैं। स्वीकृति देने के बाद बैंक के अफसर ऋण जमा न कर पाने की बात कहकर आवेदन निरस्त कर देते हैं।
