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स्कूलों में कैंप लगाकर होगा टीकाकरण
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कोरोना काल में घरों में कैद और आनलाइन पढ़ाई से ऊबे बच्चों को अब बाहर की आबोहवा भा रही है। एक तो कोरोना और ऊपर से आनलाइन पाठयक्रम पूरा करने के चक्कर में बच्चे घरों में कैद रहे। अब उन्हें टीका लगवाना और खुले में रहकर पढ़ाई करना अच्छा लग रहा है।
छात्र-छात्राएं कोरोना काल में घरों में कैद हो गए थे। इससे वे घुटन के साथ जीने के लिए मजबूर हो गए थे। अब स्कूल खुल गए हैं। सहपाठियों से मिलने और स्कूल के मैदान में साथ खेलने में घुटन से आजादी मिलेगी। मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर एसके पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में वे खुद ही संक्रमित हो गए थे। कई दिनों तक बंद कमरे में रहना पड़ा था। छात्रों के साथ भी यही हाल था। स्कूल-कॉलेज न जाने के कारण बच्चे मानसिक रूप से परेशान थे।
जब से 12 से 17 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण शुरू हुआ है तब से वे काफी खुश नजर आ रहे हैं। बंदी से आजादी पाने और साथियों के साथ रहने और खेलने के लिए खुद से कोरोना रोधी टीका लगवा रहे हैं। जिला सहायक प्रतिरक्षाधिकारी महेश सिंह ने बताया कि 12 से 14 साल के बच्चे वैक्सीनेशन में कम रुचि ले रहे हैं। जबकि 14 से 17 साल के 91 प्रतिशत बच्चों को वैक्सीनेशन हो गया है।
उन्होंने कहा कि सीडीओ ने खुद बच्चों का वैक्सीनेेशन कराने के लिए माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों से बात कर ली है। शुक्रवार और शनिवार दो दिन 6 से 8 तक संचालित होने वाले विद्यालयों में कैंप लगाया जाएंगे। सभी छात्र-छात्राओं का वैक्सीनेशन किया जाएगा।
12 से 17 साल के छात्र-छात्राओं का नए सत्र में दाखिला लेते समय वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र दिखाना होगा। इसके बाद उनका दाखिला लिया जाएगा। टीकाकरण से कोरोना से मुक्ति मिल सकेगी। वैसे मेरे विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों ने वैक्सीनेशन करवा लिया है। राजकुमार सिंह, प्राधानाचार्य, जीआईसी
मैने विद्यालय में कैंप लगवाकर एक बार 15 से 17 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन करवा दिया है। नया सत्र शुरू होने वाला है। इस बार नए सत्र में कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। बगैर कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र देखे दाखिला नहीं लिया जाएगा। ऐसे में 12 से 17 साल के सभी छात्र-छात्राएं वैक्सीनेशन जरूर करवा लें। प्रभात शर्मा, प्रबंधक, प्रभात एकेडमी
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छात्र-छात्राएं कोरोना काल में घरों में कैद हो गए थे। इससे वे घुटन के साथ जीने के लिए मजबूर हो गए थे। अब स्कूल खुल गए हैं। सहपाठियों से मिलने और स्कूल के मैदान में साथ खेलने में घुटन से आजादी मिलेगी। मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर एसके पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में वे खुद ही संक्रमित हो गए थे। कई दिनों तक बंद कमरे में रहना पड़ा था। छात्रों के साथ भी यही हाल था। स्कूल-कॉलेज न जाने के कारण बच्चे मानसिक रूप से परेशान थे।
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जब से 12 से 17 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण शुरू हुआ है तब से वे काफी खुश नजर आ रहे हैं। बंदी से आजादी पाने और साथियों के साथ रहने और खेलने के लिए खुद से कोरोना रोधी टीका लगवा रहे हैं। जिला सहायक प्रतिरक्षाधिकारी महेश सिंह ने बताया कि 12 से 14 साल के बच्चे वैक्सीनेशन में कम रुचि ले रहे हैं। जबकि 14 से 17 साल के 91 प्रतिशत बच्चों को वैक्सीनेशन हो गया है।
उन्होंने कहा कि सीडीओ ने खुद बच्चों का वैक्सीनेेशन कराने के लिए माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों से बात कर ली है। शुक्रवार और शनिवार दो दिन 6 से 8 तक संचालित होने वाले विद्यालयों में कैंप लगाया जाएंगे। सभी छात्र-छात्राओं का वैक्सीनेशन किया जाएगा।
12 से 17 साल के छात्र-छात्राओं का नए सत्र में दाखिला लेते समय वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र दिखाना होगा। इसके बाद उनका दाखिला लिया जाएगा। टीकाकरण से कोरोना से मुक्ति मिल सकेगी। वैसे मेरे विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों ने वैक्सीनेशन करवा लिया है। राजकुमार सिंह, प्राधानाचार्य, जीआईसी
मैने विद्यालय में कैंप लगवाकर एक बार 15 से 17 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन करवा दिया है। नया सत्र शुरू होने वाला है। इस बार नए सत्र में कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। बगैर कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र देखे दाखिला नहीं लिया जाएगा। ऐसे में 12 से 17 साल के सभी छात्र-छात्राएं वैक्सीनेशन जरूर करवा लें। प्रभात शर्मा, प्रबंधक, प्रभात एकेडमी