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Raebareli News: लोकेटर के पीछे छिपे बड़े चेहरों की तलाश
संवाद न्यूज एजेंसी, रायबरेली
Updated Thu, 27 Nov 2025 12:37 AM IST
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रायबरेली। फतेहपुर पुलिस को लोकेटर कपिल तिवारी के पीछे छिपे बड़े चेहरों की तलाश है। इसके लिए पुलिस कई बिंदुओं पर जांच कर रही है। एसटीएफ भी इनकी तलाश में गोपनीय तरीके से जांच कर रही है। जिस तरह खनिज वाहनों को पास कराने वाले गिरोह पर पुलिस सख्ती बरत रही है, उससे जाहिर है कि इस खेल में शामिल अभी और भी नाम सामने आएंगे।
इस कार्रवाई से ट्रांसपोर्टर परेशान हैं। उनका धंधा चौपट हो गया है। लोगों का कहना है कि ओवरलोडिंग कर मौरंग चोरी करने का खेल पुराना है। यह कार्रवाई तो और पहले होनी चाहिए थी। फतेहपुर में रायबरेली के रहने वाले जिस लोकेटर कपिल तिवारी पर केस दर्ज कराया गया है, उसका गिरोह है। इस गिरोह में कपिल के अलावा 25 से अधिक लोग शामिल होने बताए जा रहे हैं। गिरोह के सदस्य रायबरेली, फतेहपुर के अलावा बांदा, बहराइच तक खनिज वाहनों को पास कराने का ठेका लेते थे।
सूत्रों का दावा है कि कपिल तिवारी तो बस मोहरा है। इस कार्य में सबसे बड़ा नाम इमरान का है, जो एक दशक से इस कार्य में लिप्त है। त्रिवेणी ट्रांसपोर्ट के भी इस खेल में शामिल होने की बात कही जा रही है, क्योंकि खनिज वाहनों का संचालन ट्रांसपोर्ट के जरिये कराया जा रहा था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि रायबरेली से लेकर लालगंज तक बड़े पैमाने पर ढाबा संचालित हैं। इसमें से ज्यादातर ढाबा संचालकों के खनिज वाहनों को पास कराने में संलिप्तता है।
पुलिस की जांच शुरू होने पर कई के मोबाइल नंबर बंद हो गए हैं। कई जिला छोड़कर दूसरे जिले में चले गए हैं। एसटीएफ की ओर से उन्नाव, लखनऊ, फतेहपुर जनपदों में की गई कार्रवाई के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली और इन लोकेटरों के खिलाफ चाबुक चलाया गया। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई से अवैध खनन पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा।
ओवरलोडिंग को लेकर फतेहपुर, रायबरेली, लखनऊ, उन्नाव में कार्रवाई के बाद अब बांदा के मौरंग कारोबारी व लोकेटरों पर एसटीएफ की टेढ़ी नजर है। बीते दिनों से ओवरलोडिंग को लेकर हुई कार्रवाई के कारण मौरंग कारोबारियों, लोकेटरों व इस कारोबार से जुड़े लोगों में खलबली है।
एसटीएफ की टीम ने डाला डेरा
मौरंग खनन व ओवरलोडिंग में बांदा, फतेहपुर, महोबा, चित्रकूट, हमीरपुर को गढ़ माना जाता है। इन जिलों से खनिज लेकर वाहनों का फतेहपुर होते हुए रायबरेली और गोरखपुर तक आना-जाना रहता है। इसमें लोकेटरों की अहम भूमिका होती है। सूत्रों की माने तो एसटीएफ की एक टीम ने जिले में डेरा डाल दिया है। मौरंग कारोबारी व लोकेटर भी इन दिनों फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। अवैध खनन व ओवरलोडिंग रोकने के लिए सीसीटीवी लगाने व धर्मकांटा स्थापित किए जाने के नियम पुराने हो चले हैं। अब नए नियम में ट्रकों में जीपीएस सिस्टम इंस्टाल किया जा रहा है, ताकि इसकी मॉनीटरिंग की जा सके, लेकिन यह प्रभावी नहीं हो पा रहा है।
लोकेटर ऐसे करते हैं काम
ये लोकेटर एक अनौपचारिक नेटवर्क का हिस्सा होते हैं और अधिकारियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। भौतिक निगरानी के तहत वे अक्सर ढाबों, चौराहों या संवेदनशील स्थानों के पास मौजूद रहते हैं, जहां से अधिकारी गुजरते हैं और उनकी गाडि़यों के नंबर और दिशा पर नजर रखते हैं। संचार निगरानी के तहत वे मोबाइल फोन और सोशल मीडिया का उपयोग करके अवैध खनन करने वालों या ट्रांसपोर्टरों को अधिकारियों की लाइव लोकेशन (वास्तविक समय) की स्थिति के बारे में तुरंत अलर्ट भेजते हैं। ये लोग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, जिससे सूचना का प्रसार तेजी से होता है और खनन में लगे लोगों को भागने या छिपने का पर्याप्त समय मिल जाता है।
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इस कार्रवाई से ट्रांसपोर्टर परेशान हैं। उनका धंधा चौपट हो गया है। लोगों का कहना है कि ओवरलोडिंग कर मौरंग चोरी करने का खेल पुराना है। यह कार्रवाई तो और पहले होनी चाहिए थी। फतेहपुर में रायबरेली के रहने वाले जिस लोकेटर कपिल तिवारी पर केस दर्ज कराया गया है, उसका गिरोह है। इस गिरोह में कपिल के अलावा 25 से अधिक लोग शामिल होने बताए जा रहे हैं। गिरोह के सदस्य रायबरेली, फतेहपुर के अलावा बांदा, बहराइच तक खनिज वाहनों को पास कराने का ठेका लेते थे।
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सूत्रों का दावा है कि कपिल तिवारी तो बस मोहरा है। इस कार्य में सबसे बड़ा नाम इमरान का है, जो एक दशक से इस कार्य में लिप्त है। त्रिवेणी ट्रांसपोर्ट के भी इस खेल में शामिल होने की बात कही जा रही है, क्योंकि खनिज वाहनों का संचालन ट्रांसपोर्ट के जरिये कराया जा रहा था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि रायबरेली से लेकर लालगंज तक बड़े पैमाने पर ढाबा संचालित हैं। इसमें से ज्यादातर ढाबा संचालकों के खनिज वाहनों को पास कराने में संलिप्तता है।
पुलिस की जांच शुरू होने पर कई के मोबाइल नंबर बंद हो गए हैं। कई जिला छोड़कर दूसरे जिले में चले गए हैं। एसटीएफ की ओर से उन्नाव, लखनऊ, फतेहपुर जनपदों में की गई कार्रवाई के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली और इन लोकेटरों के खिलाफ चाबुक चलाया गया। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई से अवैध खनन पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा।
ओवरलोडिंग को लेकर फतेहपुर, रायबरेली, लखनऊ, उन्नाव में कार्रवाई के बाद अब बांदा के मौरंग कारोबारी व लोकेटरों पर एसटीएफ की टेढ़ी नजर है। बीते दिनों से ओवरलोडिंग को लेकर हुई कार्रवाई के कारण मौरंग कारोबारियों, लोकेटरों व इस कारोबार से जुड़े लोगों में खलबली है।
एसटीएफ की टीम ने डाला डेरा
मौरंग खनन व ओवरलोडिंग में बांदा, फतेहपुर, महोबा, चित्रकूट, हमीरपुर को गढ़ माना जाता है। इन जिलों से खनिज लेकर वाहनों का फतेहपुर होते हुए रायबरेली और गोरखपुर तक आना-जाना रहता है। इसमें लोकेटरों की अहम भूमिका होती है। सूत्रों की माने तो एसटीएफ की एक टीम ने जिले में डेरा डाल दिया है। मौरंग कारोबारी व लोकेटर भी इन दिनों फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। अवैध खनन व ओवरलोडिंग रोकने के लिए सीसीटीवी लगाने व धर्मकांटा स्थापित किए जाने के नियम पुराने हो चले हैं। अब नए नियम में ट्रकों में जीपीएस सिस्टम इंस्टाल किया जा रहा है, ताकि इसकी मॉनीटरिंग की जा सके, लेकिन यह प्रभावी नहीं हो पा रहा है।
लोकेटर ऐसे करते हैं काम
ये लोकेटर एक अनौपचारिक नेटवर्क का हिस्सा होते हैं और अधिकारियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। भौतिक निगरानी के तहत वे अक्सर ढाबों, चौराहों या संवेदनशील स्थानों के पास मौजूद रहते हैं, जहां से अधिकारी गुजरते हैं और उनकी गाडि़यों के नंबर और दिशा पर नजर रखते हैं। संचार निगरानी के तहत वे मोबाइल फोन और सोशल मीडिया का उपयोग करके अवैध खनन करने वालों या ट्रांसपोर्टरों को अधिकारियों की लाइव लोकेशन (वास्तविक समय) की स्थिति के बारे में तुरंत अलर्ट भेजते हैं। ये लोग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, जिससे सूचना का प्रसार तेजी से होता है और खनन में लगे लोगों को भागने या छिपने का पर्याप्त समय मिल जाता है।