{"_id":"63dd5e91f121631d215d059e","slug":"farmers-should-do-spring-sowing-of-sugarcane-of-approved-species-only-shahjahanpur-news-bly5120529200-2023-02-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"Shahjahanpur News: किसान स्वीकृत प्रजाति के गन्ने की ही करें वसंतकालीन बुआई","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Shahjahanpur News: किसान स्वीकृत प्रजाति के गन्ने की ही करें वसंतकालीन बुआई
विज्ञापन

शाहजहांपुर। जिले में वसंतकालीन गन्ना की बुआई शुरू हो गई है। इस दौरान नाइट्रोजन का अधिक इस्तेमाल गन्ना की पैदावार के लिए नुकसानदेह होगा। इस बारे में अपर मुख्य सचिव (चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास) संजय आर. भूसरेड्डी ने गाइडलाइन जारी कर किसानों को छह प्रमुख बिंदुओं पर सचेत किया है। अधिकारियों को निर्देश दिया है कि केवल स्वीकृत प्रजातियों की ही वसंतकालीन बुआई कराएं। गाइडलाइन में करीब दो दर्जन गन्ना प्रजातियां सूचीबद्ध की गईं हैं ।
जिले में करीब दो लाख किसान 98000 हेक्टेयर में गन्ना की खेती कर रहे हैं। सभी विकास खंडों के लगभग 50000 हेक्टेयर रकबे में गन्ना की वसंतकालीन बुआई होनी है। गाइडलाइन में जिन बिंदुओं पर विशेष बल दिया गया है, उनमें गोउत्पाद पंचामृत का ट्रेंच विधि से बुआई में प्रयोग, सहफसली खेती, ड्रिप सिंचाई, पेड़ी प्रबंधन और ट्रेश मल्चिंग (खेत में फसल अवशेष प्रबंधन), महिला स्वयं सहायता समूहों से सिंगल बड नर्सरी तैयार कराने, बुआई मेें स्वीकृत प्रजातियों का इस्तेमाल, कार्बनिक खादों का प्रयोग आदि शामिल हैं। अपर मुख्य सचिव का कहना है कि स्वीकृत प्रजातियों की बुआई से रोगों का खतरा कम होगा और कार्बनिक खादों से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
ये प्रजातियां हैं स्वीकृत
गाइडलाइन के अनुसार उप्र बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उपसमिति ने प्रदेश में वसंतकालीन गन्ना बुआई के लिए नवीन गन्ना किस्में कोशा. 13235, को. 15023, कोलख. 14201, कोशा. 17231, कोशा. 14233, कोशा. 16233, कोशा. 15233, कोलख. 14204, 15207 (केवल मध्य एवं पश्चिमी उप्र के लिए), कोलख. 15466 (केवल पूर्वी उप्र के लिए), यूपी. 14234 (ऊसर भूमि के लिए) स्वीकृत की हैं। इन रोगमुक्त प्रजातियों से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। गन्ना किस्म कोशा. 13235 और को. 15023 में नाइट्रोजन उर्वरक का अधिक प्रयोग हानिकारक होगा। यह भी कहा गया है कि अन्य प्रदेशों की जो गन्ना किस्में उत्तर प्रदेश में स्वीकृत नहीं हैं अथवा प्रदेश के शोध केंद्रों के अधीन परीक्षण प्रक्रिया में हैं, उनकी बुआई से बचें।
वर्जन
वसंतकालीन गन्ना बुआई का समय 15 फरवरी से 30 अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान गन्ना बोने से पैदावार अच्छी मिलती है। यदि स्वीकृत प्रजातियों की वैज्ञानिक विधि से बुआई, निराई, गुड़ाई होती रहे और संतुलित मात्रा में उर्वरकों के साथ कृषि रक्षा रसायन प्रयोग किए जाएं तो गन्ना उत्पादन गुणात्मक रूप से बढ़ाया जा सकता है। - संजीव पाठक, प्रसार अधिकारी, गन्ना शोध परिषद
विज्ञापन

Trending Videos
जिले में करीब दो लाख किसान 98000 हेक्टेयर में गन्ना की खेती कर रहे हैं। सभी विकास खंडों के लगभग 50000 हेक्टेयर रकबे में गन्ना की वसंतकालीन बुआई होनी है। गाइडलाइन में जिन बिंदुओं पर विशेष बल दिया गया है, उनमें गोउत्पाद पंचामृत का ट्रेंच विधि से बुआई में प्रयोग, सहफसली खेती, ड्रिप सिंचाई, पेड़ी प्रबंधन और ट्रेश मल्चिंग (खेत में फसल अवशेष प्रबंधन), महिला स्वयं सहायता समूहों से सिंगल बड नर्सरी तैयार कराने, बुआई मेें स्वीकृत प्रजातियों का इस्तेमाल, कार्बनिक खादों का प्रयोग आदि शामिल हैं। अपर मुख्य सचिव का कहना है कि स्वीकृत प्रजातियों की बुआई से रोगों का खतरा कम होगा और कार्बनिक खादों से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
विज्ञापन
विज्ञापन
ये प्रजातियां हैं स्वीकृत
गाइडलाइन के अनुसार उप्र बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उपसमिति ने प्रदेश में वसंतकालीन गन्ना बुआई के लिए नवीन गन्ना किस्में कोशा. 13235, को. 15023, कोलख. 14201, कोशा. 17231, कोशा. 14233, कोशा. 16233, कोशा. 15233, कोलख. 14204, 15207 (केवल मध्य एवं पश्चिमी उप्र के लिए), कोलख. 15466 (केवल पूर्वी उप्र के लिए), यूपी. 14234 (ऊसर भूमि के लिए) स्वीकृत की हैं। इन रोगमुक्त प्रजातियों से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। गन्ना किस्म कोशा. 13235 और को. 15023 में नाइट्रोजन उर्वरक का अधिक प्रयोग हानिकारक होगा। यह भी कहा गया है कि अन्य प्रदेशों की जो गन्ना किस्में उत्तर प्रदेश में स्वीकृत नहीं हैं अथवा प्रदेश के शोध केंद्रों के अधीन परीक्षण प्रक्रिया में हैं, उनकी बुआई से बचें।
वर्जन
वसंतकालीन गन्ना बुआई का समय 15 फरवरी से 30 अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान गन्ना बोने से पैदावार अच्छी मिलती है। यदि स्वीकृत प्रजातियों की वैज्ञानिक विधि से बुआई, निराई, गुड़ाई होती रहे और संतुलित मात्रा में उर्वरकों के साथ कृषि रक्षा रसायन प्रयोग किए जाएं तो गन्ना उत्पादन गुणात्मक रूप से बढ़ाया जा सकता है। - संजीव पाठक, प्रसार अधिकारी, गन्ना शोध परिषद