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Shamli News: विदेशों के साथ अब वेस्ट यूपी में भी शास्त्रीय संगीत की मिठास घोलेगा किराना घराना
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कैराना के शादी समारोह में शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत करते किराना घराना के उस्ताद अमजद अली खान। सं
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शामली। शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अपना अमिट स्थान रखने वाला किराना घराना फिर से विदेशों के साथ-साथ वेस्ट यूपी में भी अपनी सुरमयी छाप छोड़ने जा रहा है। शनिवार रात शामली में आयोजित एक शादी समारोह से इस नई पहल की शुरुआत हुई, जहां किराना घराना संगीत अकादमी के संस्थापक उस्ताद अमजद अली खान ने अपनी टीम के साथ शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में शास्त्रीय ठुमरी, दादरा और रागों की मधुर प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अमजद अली खान ने संवाददाता से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि उनकी टीम नए साल में लंदन, उज्बेकिस्तान और यूके में शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम आयोजित करेगी।
इसी कड़ी में अब वेस्ट यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बागपत में भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम किए जाएंगे ताकि युवाओं को शास्त्रीय संगीत यानी क्लासिकल म्यूजिक से जोड़ा जा सके।
किराना घराने का संगीत आज बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक गूंज रहा है। यह परंपरा महाराजा करण के समय से चली आ रही है और अब 15वीं पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है। अमजद अली खान ने बताया कि सोशल मीडिया के दौर में युवा क्लासिकल म्यूजिक में नई रुचि दिखा रहे हैं।उन्होंने कहा कि उनके मामू मशकूर अली और मुबारक अली भी कोलकाता और मुंबई में युवाओं को शास्त्रीय संगीत से जोड़ने का काम कर रहे हैं।
क्लासिकल म्यूजिक सागर है, बाकी तो नदी-तालाब
शामली। हरियाणवी व बॉलीवुड गानों की बढ़ती पसंद पर उन्होंने कहा कि क्लासिकल म्यूजिक सागर है। इसकी अहमियत कभी खत्म नहीं हो सकती। बाकी सभी संगीत सिर्फ नदी या तालाब की तरह हैं। क्लासिकल के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें। मेहनत और गुरु की सेवा आपको उस्ताद बनाती है। रातोंरात स्टार बनने की कोशिश न करें। सीखेंगे, परखेंगे तभी मंजिल मिलेगी।
शादी समारोह में क्लासिकल संगीत की छटा
शामली। लगभग दो साल बाद शामली में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम हुआ। बड़ौत निवासी सुरेश राणा के पुत्र रक्षित राणा और दिल्ली निवासी ओमबीर की पुत्री दिव्या के शादी समारोह में शनिवार की रात विशेष रूप से किराना घराना की टीम को बुलाया गया।
समारोह में हरियाणवी या बॉलीवुड गानों की जगह शास्त्रीय संगीत को तरजीह दी गई, जिसने महफिल में मौजूद हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर दिया। सगाई के दौरान दिव्या के पिता ने रक्षित को 21 लाख रुपये का चेक भेंट किया था लेकिन रक्षित ने यह चेक वापस कर दिया था। इस पर परिजनों और मेहमानों में उसकी खूब प्रशंसा हुई थी।
कैराना की धरती से दुनियाभर तक गूंजा सुर
अमजद अली खान ने बताया कि किराना घराने की स्थापना कैराना में हुई थी।
11 नवंबर 1872 को कैराना में जन्मे उस्ताद अब्दुल करीम खां ने अपने पिता और चाचा से शास्त्रीय संगीत सीखा। 20 वर्ष की उम्र में ही वह जयपुर, बड़ौदा और मैसूर राजघराने के दरबारों की शान बन गए।
उन्होंने अपनी जन्मभूमि कैराना के नाम पर ही इस घराने का नाम किराना घराना रखा। यह घराना ख्याल गायकी, ठुमरी, दादरा, भजन और मराठी नाट्य संगीत के लिए पूरी दुनिया में विख्यात हुआ।
किराना घराने के दिग्गज कलाकार
इस घराने ने देश–विदेश को कई महान कलाकार दिए। इनमें शामिल हैं बीनकार बंदे अली खां, हीराबाई, सवाई गंधर्व, विश्वनाथ जाधव, गंगूबाई हंगल, भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी, उस्ताद अमीर खां, रजब अली खां व पाकिस्तान की मशहूर गायिका रोशन आरा बेगम शामिल हैं।
अब दिल्ली, मुंबई में बसा है किराना घराना
किराना घराना के उस्ताद अजमद जहां दिल्ली में रह रहे हैं, वहीं अन्य परिवार के सदस्य मुंबई और कोलकाता में हैं। कैराना में जो मकान है, वह किराये पर दिया हुआ है। कैराना में अब परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहता है।
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कार्यक्रम में शास्त्रीय ठुमरी, दादरा और रागों की मधुर प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अमजद अली खान ने संवाददाता से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि उनकी टीम नए साल में लंदन, उज्बेकिस्तान और यूके में शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम आयोजित करेगी।
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इसी कड़ी में अब वेस्ट यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बागपत में भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम किए जाएंगे ताकि युवाओं को शास्त्रीय संगीत यानी क्लासिकल म्यूजिक से जोड़ा जा सके।
किराना घराने का संगीत आज बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक गूंज रहा है। यह परंपरा महाराजा करण के समय से चली आ रही है और अब 15वीं पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है। अमजद अली खान ने बताया कि सोशल मीडिया के दौर में युवा क्लासिकल म्यूजिक में नई रुचि दिखा रहे हैं।उन्होंने कहा कि उनके मामू मशकूर अली और मुबारक अली भी कोलकाता और मुंबई में युवाओं को शास्त्रीय संगीत से जोड़ने का काम कर रहे हैं।
क्लासिकल म्यूजिक सागर है, बाकी तो नदी-तालाब
शामली। हरियाणवी व बॉलीवुड गानों की बढ़ती पसंद पर उन्होंने कहा कि क्लासिकल म्यूजिक सागर है। इसकी अहमियत कभी खत्म नहीं हो सकती। बाकी सभी संगीत सिर्फ नदी या तालाब की तरह हैं। क्लासिकल के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें। मेहनत और गुरु की सेवा आपको उस्ताद बनाती है। रातोंरात स्टार बनने की कोशिश न करें। सीखेंगे, परखेंगे तभी मंजिल मिलेगी।
शादी समारोह में क्लासिकल संगीत की छटा
शामली। लगभग दो साल बाद शामली में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम हुआ। बड़ौत निवासी सुरेश राणा के पुत्र रक्षित राणा और दिल्ली निवासी ओमबीर की पुत्री दिव्या के शादी समारोह में शनिवार की रात विशेष रूप से किराना घराना की टीम को बुलाया गया।
समारोह में हरियाणवी या बॉलीवुड गानों की जगह शास्त्रीय संगीत को तरजीह दी गई, जिसने महफिल में मौजूद हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर दिया। सगाई के दौरान दिव्या के पिता ने रक्षित को 21 लाख रुपये का चेक भेंट किया था लेकिन रक्षित ने यह चेक वापस कर दिया था। इस पर परिजनों और मेहमानों में उसकी खूब प्रशंसा हुई थी।
कैराना की धरती से दुनियाभर तक गूंजा सुर
अमजद अली खान ने बताया कि किराना घराने की स्थापना कैराना में हुई थी।
11 नवंबर 1872 को कैराना में जन्मे उस्ताद अब्दुल करीम खां ने अपने पिता और चाचा से शास्त्रीय संगीत सीखा। 20 वर्ष की उम्र में ही वह जयपुर, बड़ौदा और मैसूर राजघराने के दरबारों की शान बन गए।
उन्होंने अपनी जन्मभूमि कैराना के नाम पर ही इस घराने का नाम किराना घराना रखा। यह घराना ख्याल गायकी, ठुमरी, दादरा, भजन और मराठी नाट्य संगीत के लिए पूरी दुनिया में विख्यात हुआ।
किराना घराने के दिग्गज कलाकार
इस घराने ने देश–विदेश को कई महान कलाकार दिए। इनमें शामिल हैं बीनकार बंदे अली खां, हीराबाई, सवाई गंधर्व, विश्वनाथ जाधव, गंगूबाई हंगल, भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी, उस्ताद अमीर खां, रजब अली खां व पाकिस्तान की मशहूर गायिका रोशन आरा बेगम शामिल हैं।
अब दिल्ली, मुंबई में बसा है किराना घराना
किराना घराना के उस्ताद अजमद जहां दिल्ली में रह रहे हैं, वहीं अन्य परिवार के सदस्य मुंबई और कोलकाता में हैं। कैराना में जो मकान है, वह किराये पर दिया हुआ है। कैराना में अब परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहता है।