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Shamli News: टीईटी के विरोध में कलक्ट्रेट में गरजे शिक्षक, प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा
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कलक्ट्रेट में नायब तहसीलदार को ज्ञापन देते शिक्षक । शिक्षक
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- शिक्षक संगठनों ने प्रधानमंत्री से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अध्यादेश लाने की मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
शामली। टीईटी के विरोध में जनपद के शिक्षक संगठनों के कार्यकर्ता सोमवार को बड़ी संख्या में कलक्ट्रेट में पहुंचे। आदेश के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन नायब तहसीलदार गौरव सांगवान को सौंपकर आदेश में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की मांग की।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष नितिन कुमार ने ज्ञापन देते हुए मांग की कि सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा एक सितंबर 2025 को दिए गए आदेश में संशोधन हेतु अध्यादेश लाया जाए। कोर्ट ने पांच वर्ष से अधिक सेवा करने वाले शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने के आदेश दिए हैं। जबकि आदेश के एक भाग में तीन सितंबर 2001 तक नियुक्त तथा 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त करने की बात कही गई है।
संघ पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 के लागू होने से पूर्व सभी शिक्षकों की नियुक्ति विभाग द्वारा निर्धारित योग्यता व शर्तों के अनुसार हुई थी। ऐसे में उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा में सम्मिलित करना अनुचित है।
उन्होंने बताया कि मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त 31 दिसंबर 1999 तक के शिक्षक प्रशिक्षण से शासन द्वारा मुक्त किए गए थे। इस कारण वे आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। इसी प्रकार बीएड धारक शिक्षक, जिन्हें 2018 से पहले नियुक्त किया गया था। पात्रता परीक्षा में आवेदन करने से वंचित रह जाएंगे। संघ पदाधिकारियों ने आशंका जताई कि यदि स्थिति यथावत रही, तो देशभर के लगभग 40 लाख और प्रदेश के करीब 4 लाख बेसिक शिक्षक नौकरी से हाथ धो बैठेंगे। इससे लाखों परिवार भुखमरी और विस्थापन की कगार पर आ जाएंगे।
शिक्षक संगठनों ने प्रधानमंत्री से मांग की कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को अध्यादेश लाकर शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त किया जाए। ज्ञापन देने में योगेश राठी, खलील अहमद, प्रमोद कुमार शर्मा, शाइस्ता प्रवीन, अनीता, सलूजा, पूजा के साथ ही अलग-अलग संगठनों के जिलाध्यक्ष मौजूद रहे।

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संवाद न्यूज एजेंसी
शामली। टीईटी के विरोध में जनपद के शिक्षक संगठनों के कार्यकर्ता सोमवार को बड़ी संख्या में कलक्ट्रेट में पहुंचे। आदेश के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन नायब तहसीलदार गौरव सांगवान को सौंपकर आदेश में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की मांग की।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष नितिन कुमार ने ज्ञापन देते हुए मांग की कि सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा एक सितंबर 2025 को दिए गए आदेश में संशोधन हेतु अध्यादेश लाया जाए। कोर्ट ने पांच वर्ष से अधिक सेवा करने वाले शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने के आदेश दिए हैं। जबकि आदेश के एक भाग में तीन सितंबर 2001 तक नियुक्त तथा 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त करने की बात कही गई है।
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संघ पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 के लागू होने से पूर्व सभी शिक्षकों की नियुक्ति विभाग द्वारा निर्धारित योग्यता व शर्तों के अनुसार हुई थी। ऐसे में उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा में सम्मिलित करना अनुचित है।
उन्होंने बताया कि मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त 31 दिसंबर 1999 तक के शिक्षक प्रशिक्षण से शासन द्वारा मुक्त किए गए थे। इस कारण वे आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। इसी प्रकार बीएड धारक शिक्षक, जिन्हें 2018 से पहले नियुक्त किया गया था। पात्रता परीक्षा में आवेदन करने से वंचित रह जाएंगे। संघ पदाधिकारियों ने आशंका जताई कि यदि स्थिति यथावत रही, तो देशभर के लगभग 40 लाख और प्रदेश के करीब 4 लाख बेसिक शिक्षक नौकरी से हाथ धो बैठेंगे। इससे लाखों परिवार भुखमरी और विस्थापन की कगार पर आ जाएंगे।
शिक्षक संगठनों ने प्रधानमंत्री से मांग की कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को अध्यादेश लाकर शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त किया जाए। ज्ञापन देने में योगेश राठी, खलील अहमद, प्रमोद कुमार शर्मा, शाइस्ता प्रवीन, अनीता, सलूजा, पूजा के साथ ही अलग-अलग संगठनों के जिलाध्यक्ष मौजूद रहे।
कलक्ट्रेट में नायब तहसीलदार को ज्ञापन देते शिक्षक । शिक्षक