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Siddharthnagar News: ठंड में बच्चों के साथ मां की मुश्किलों पर छुट्टी की राहत
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Mon, 29 Dec 2025 11:30 PM IST
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विद्यालय छुट्टी होने पर मेडिकल कॉलेज के परिसर में स्थित पार्क में झूले का आनंद लेते बच्चे। सं
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सिद्धार्थनगर। तराई में कड़ाके की ठंड ने सोमवार को भी लोगों की दिनचर्या को जकड़ कर रख दिया। सुबह से देर रात तक होने वाली ओस की बारिश और सिहरन भरी पछुआ ने हालात कश्मीर जैसे बना दिए।
सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों और उनकी माताओं पर दिखा था, जो रोज सुबह बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजने की ठंड तपस्या कर रही थीं। अब विद्यालयों में इंटरमीडिएट तक एक जनवरी तक अवकाश घोषित होने से परिवारों ने कुछ राहत की सांस ली है।
उनका कहना है कि ठंड में सुबह में बच्चों को जगाना और स्कूल भेजने किसी तपस्या से कम नहीं है। घर लौटकर आने तक उन्हीं में मन लगा रहता था कि कहीं ठंड न लग जाए। अब अवकाश हुआ तो काफी राहत मिली है। हालांकि, छुट्टी होने के बाद बच्चे घर में उछल-कूद मचा रहे हैं। छुट्टी में बाहर जाने की जिद भी कर रहे हैं, मगर किसी तरह समझाया जा रहा है।
तराई में कश्मीर जैसे हालात: नेपाल से लगे जनपद की गिनती प्रदेश के तराई जनपदों में किया जाता है। पिछले तीन दिनों से जनपद में जो हालात में बने हैं, सिर्फ तापमान को छोड़ दें तो तराई में कश्मीर जैसा कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि, सुबह से शुरु हो रही ओस बर्फ की तरह से बूंद के सामान गिर रही है, जिसका छींटा पड़ने पर शरीर सिहर जा रहा है। वहीं, तापमान की बात करें तो सोमवार को अधिकतम 14 डिग्री और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शनिवार की तुलना में न्यूनतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। पूरी रात पछुआ हवा चलती रही।
लोगों की दिनचर्या की बात करें तो ठंड के कारण आम दिनों की तुलना में शहर में कम ही लोग दिखे। वही लोग घर से निकल रहे हैं, जिन्हें बहुत जरूरी काम था। हर कोई गर्म कपड़ों में लिपटा हुआ नजर आया। वहीं, कलेक्ट्रेट, विकास, सिद्धार्थ तिराहा, बांसी तिराहा, अशोक मार्ग लोग अलाव से चिपके हुए नजर आए। बाजार में भी कम भीड़ दिखी। इक्का दुक्का लोग ही नजर आ रहे थे। किसानों की बात करें तो उनकी समस्या बढ़ गई है क्योंकि फसलों पर नमी जमने से नुकसान की आशंका है। मौसम विभाग के संकेतों के मुताबिक, जब तक कोहरा और नमी बनी रहेगी, तराई में ऐसे ही हालात बने रहने की आशंका है।
इस संबंध में मौसम वैज्ञानिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ डॉ. अतुल कुमार सिंह ने बताया कि फिलहाल अभी तापमान में गिरावट जारी रहने के आसार हैं। कोहरा होने के साथ ठंड बरकरार रहेगी। पछुआ हवा चलने से गलन बढ़ेगी।
मां की बढ़ी थी जिम्मेदारी, ठंड में दोगुनी हो गई थी परेशानी: कड़ाके की ठंड पड़ने के साथ ही मां की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। वहीं, उनकी परेशानी भी दोगुनी हो गई थी। सुबह अंधेरे में बच्चों को जगाना, नहलाना और गर्म कपड़े पहनाना बड़ी चुनौती तो थी ही, वहीं ठंड के बीच टिफिन और दवा की चिंता बनी रहती थी। इसके साथ ही स्कूल बस/पैदल रास्तों में कोहरा और ठंड से सुरक्षा जो थी वह अलग। अवकाश मिलने से लोगों को राहत मिली है, अब घर में ही रख-रखाव संभव हो सकेगा।
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सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों और उनकी माताओं पर दिखा था, जो रोज सुबह बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजने की ठंड तपस्या कर रही थीं। अब विद्यालयों में इंटरमीडिएट तक एक जनवरी तक अवकाश घोषित होने से परिवारों ने कुछ राहत की सांस ली है।
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उनका कहना है कि ठंड में सुबह में बच्चों को जगाना और स्कूल भेजने किसी तपस्या से कम नहीं है। घर लौटकर आने तक उन्हीं में मन लगा रहता था कि कहीं ठंड न लग जाए। अब अवकाश हुआ तो काफी राहत मिली है। हालांकि, छुट्टी होने के बाद बच्चे घर में उछल-कूद मचा रहे हैं। छुट्टी में बाहर जाने की जिद भी कर रहे हैं, मगर किसी तरह समझाया जा रहा है।
तराई में कश्मीर जैसे हालात: नेपाल से लगे जनपद की गिनती प्रदेश के तराई जनपदों में किया जाता है। पिछले तीन दिनों से जनपद में जो हालात में बने हैं, सिर्फ तापमान को छोड़ दें तो तराई में कश्मीर जैसा कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि, सुबह से शुरु हो रही ओस बर्फ की तरह से बूंद के सामान गिर रही है, जिसका छींटा पड़ने पर शरीर सिहर जा रहा है। वहीं, तापमान की बात करें तो सोमवार को अधिकतम 14 डिग्री और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शनिवार की तुलना में न्यूनतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। पूरी रात पछुआ हवा चलती रही।
लोगों की दिनचर्या की बात करें तो ठंड के कारण आम दिनों की तुलना में शहर में कम ही लोग दिखे। वही लोग घर से निकल रहे हैं, जिन्हें बहुत जरूरी काम था। हर कोई गर्म कपड़ों में लिपटा हुआ नजर आया। वहीं, कलेक्ट्रेट, विकास, सिद्धार्थ तिराहा, बांसी तिराहा, अशोक मार्ग लोग अलाव से चिपके हुए नजर आए। बाजार में भी कम भीड़ दिखी। इक्का दुक्का लोग ही नजर आ रहे थे। किसानों की बात करें तो उनकी समस्या बढ़ गई है क्योंकि फसलों पर नमी जमने से नुकसान की आशंका है। मौसम विभाग के संकेतों के मुताबिक, जब तक कोहरा और नमी बनी रहेगी, तराई में ऐसे ही हालात बने रहने की आशंका है।
इस संबंध में मौसम वैज्ञानिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ डॉ. अतुल कुमार सिंह ने बताया कि फिलहाल अभी तापमान में गिरावट जारी रहने के आसार हैं। कोहरा होने के साथ ठंड बरकरार रहेगी। पछुआ हवा चलने से गलन बढ़ेगी।
मां की बढ़ी थी जिम्मेदारी, ठंड में दोगुनी हो गई थी परेशानी: कड़ाके की ठंड पड़ने के साथ ही मां की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। वहीं, उनकी परेशानी भी दोगुनी हो गई थी। सुबह अंधेरे में बच्चों को जगाना, नहलाना और गर्म कपड़े पहनाना बड़ी चुनौती तो थी ही, वहीं ठंड के बीच टिफिन और दवा की चिंता बनी रहती थी। इसके साथ ही स्कूल बस/पैदल रास्तों में कोहरा और ठंड से सुरक्षा जो थी वह अलग। अवकाश मिलने से लोगों को राहत मिली है, अब घर में ही रख-रखाव संभव हो सकेगा।
