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Siddharthnagar News: अंगद ने जमाया लंका में पांव, रावण हुआ लज्जित
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Wed, 19 Nov 2025 12:21 AM IST
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भनवापुर क्षेत्र के चौखड़ा में चल रहे श्रीरामलीला का मंचन करते कलाकार। संवाद
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भनवापुर। क्षेत्र के चौखड़ा में चल रही ऐतिहासिक रामलीला में सोमवार को रात्रि अंगद के लंका जाकर पांव जमाने की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। इसे देखने के लिए दूर-दराज से हजारों की भीड़ पंडाल में उपस्थिति रही। देर रात तक श्रीराम के जयकारों के साथ लोग रामलीला का मंचन देखने के लिए डटे रहे।
कलाकारों ने दिखाया कि हनुमान की ओर से लंका दहन के बाद वह माता सीता से मिलते हैं और उनका चूड़ामणि लेकर प्रभु राम के पास लौटते हैं। भगवान राम, सुग्रीव से मंत्रणा कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं। उधर, रावण को उसकी पत्नी मंदोदरी समझाती है लेकिन वह हठ नहीं छोड़ता। विभीषण भी रावण को समझाने का प्रयास करते हैं, लेकिन क्रोधांध रावण उन्हें लात मारकर अपमानित करता है, जिसके बाद विभीषण भगवान श्रीराम की शरण में आ जाते हैं।
रावण फिर अपने गुप्तचर शुक और सारण को भेद लेने भेजता है, जो वानर दल द्वारा पकड़े जाते हैं। लक्ष्मण की दुहाई देने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है। ये गुप्तचर भी लंका जाकर रावण को समझाते हैं पर वह नहीं मानता। इधर, भगवान राम, सुग्रीव, विभीषण और हनुमान के साथ समुद्र किनारे पहुंचते हैं और समुद्र से रास्ता मांगते हैं। समुद्र के कहने पर नल-नील के सहयोग से पुल का निर्माण होता है। इसके बाद वह लंका प्रस्थान करते हैं।
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कलाकारों ने दिखाया कि हनुमान की ओर से लंका दहन के बाद वह माता सीता से मिलते हैं और उनका चूड़ामणि लेकर प्रभु राम के पास लौटते हैं। भगवान राम, सुग्रीव से मंत्रणा कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं। उधर, रावण को उसकी पत्नी मंदोदरी समझाती है लेकिन वह हठ नहीं छोड़ता। विभीषण भी रावण को समझाने का प्रयास करते हैं, लेकिन क्रोधांध रावण उन्हें लात मारकर अपमानित करता है, जिसके बाद विभीषण भगवान श्रीराम की शरण में आ जाते हैं।
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रावण फिर अपने गुप्तचर शुक और सारण को भेद लेने भेजता है, जो वानर दल द्वारा पकड़े जाते हैं। लक्ष्मण की दुहाई देने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है। ये गुप्तचर भी लंका जाकर रावण को समझाते हैं पर वह नहीं मानता। इधर, भगवान राम, सुग्रीव, विभीषण और हनुमान के साथ समुद्र किनारे पहुंचते हैं और समुद्र से रास्ता मांगते हैं। समुद्र के कहने पर नल-नील के सहयोग से पुल का निर्माण होता है। इसके बाद वह लंका प्रस्थान करते हैं।