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Siddharthnagar News: सरकारी दावों पर भारी पड़े खाद विक्रेता, अफसर फील्ड में उतरे तो हकीकत आई सामने
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:34 PM IST
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- सब कुछ सही होने का प्रशासन कर रहा था दावा अब जांच में ओवररेटिंग की बात आ रही सामने
- जनपद में खाद की किल्लत जारी, छापेमारी में पकड़ में आ रही गड़बड़ी
- जनपद में 1004 निजी दुकान और 104 समितियों पर बांटी जाती है खाद
- 30 हजार एमटी से अधिक यूरिया की हो चुकी है सप्लाई, फिर भी समस्या से नहीं मिली निजात
सिद्धार्थनगर। खाद के लिए समिति और दुकानों पर जारी मारामारी के बीच प्रशासन की ओर से सबकुछ सामान्य होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन के सब कुछ सामान्य होने के दावे उस वक्त धराशायी हो गए, जब खुद अफसर फील्ड में उतरे। डीएम के निर्देश पर काम करने वाली 150 अफसरों की टीम मैदान में उतरी तो हकीकत सामने आ गई। छापेमारी और जांच के दौरान सामने आया कि कई खाद विक्रेता तय दर से अधिक कीमत वसूल रहे थे। चौंकाने वाला सच जब किसानों ने अफसरों के समक्ष रखा और जांच में पुष्टि हुई तो इस पर कार्रवाई शुरू हुई। हालात यह हुआ एक सप्ताह के भीतर 30 से अधिक दुकानों पर ओवररेटिंग की पुष्टि हुई और लाइसेंस पर कार्रवाई की तलवार लटक गई। इस कार्रवाई ने इस बात की पुष्टि कर दी गई कि खाद बिक्री में किसानों का शोषण हो रहा था और सबकुछ नियंत्रण में होने का दावा केवल कागजों तक ही सीमित था।
जनपद में खाद का वितरण 1004 निजी दुकानों और 104 सहकारी समितियों के जरिए किया जाता है। जिले में यूरिया की मांग शुरू होने के बाद समितियाें पर किसानों की भोर से देर शाम तक कतरा लगने लगी और निजी दुकानों पर ओवररेटिंग की शिकायतें बढ़ गईं। जिनके कंधों पर रेट नियंत्रण और शांतिपूर्ण तरीके से वितरण की जिम्मेदारी थी, शायद वह ओवररेटिंग से अनजान थे। सीजन शुरू होने से अब तक 30 हजार मिट्रिक टन के लगभग किसानों में खाद वितरण हो चुकी है। इसके बावजूद किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। खेतों में बुआई का दबाव बढ़ा तो दुकानों पर भीड़ लगी और इसी का फायदा उठाकर कुछ विक्रेताओं ने कालाबाजारी और ओवररेटिंग शुरू कर दी। शिकायतें बढ़ीं तो अफसरों ने मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की। डीएम के दिशा-निर्देशन में ब्लॉक और तहसील स्तर पर काम करने वाली टीम तैयार की गई। 150 अफसरों की टीम ने जिलेभर में जांच शुरू की। टीम ने औचक निरीक्षण करना शुरू किया तो सच्चाई सामने आ गई। जांच में पाया गया कि कई दुकानों पर रेट लिस्ट नहीं लगी थी। कहीं खाद को अन्य सामान के साथ जबरन बेचा जा रहा था। कहीं नकद के बजाय उधारी या अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा था। खाद लेकर जाने वाले किसानों के बारे में विक्रेता रजिस्टर लेकर बात की गई तो 266 रुपये के बजाय 500 से 600 रुपये में खरीद होने की बात सामने आई। वहीं कुछ मामलों में किसानों का कहना है कि था कि नहीं मिलने का डर दिखाकर उनसे 150 से 300 रुपये प्रति बोरी तक ज्यादा रुपये वसूल किए गए। कुछ स्थानों पर स्टॉक होते हुए भी खत्म हो गया बताकर किसानों को टाल दिया गया। इस प्रकार सब कुछ सामान्य होने और सही वितरण के प्रशासन के दावे की हकीकत सामने आ गई। नतीजा एक सप्ताह के भीतर ओवररेटिंग और अन्य गड़बड़ी के मामले में 30 से अधिक दुकानदारों को पकड़ा गया और उनके लाइसेंस के निलंबन की कार्रवाई शुरू हुई। अफसरों के मैदान में उतरते ही साफ हो गया कि कागजी दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी मो. मुज्जमिल ने बताया कि लगातार दुकानों की जांच की जा रही है। जांच में अनियमितता मिलने पर लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की जा रही है। बड़ी गड़बड़ी सामने आने पर एफआईआर दर्ज करवाया जाएगा।
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कैसे खुली पोल
लगातार मिल रही किसानों की मौखिक व लिखित शिकायतों के बाद डीएम ने दिए जांच के निर्देश
जिला स्तर पर कंट्रोल रूम में शिकायतों का संकलन कर बनाई गई संदिग्ध दुकानों की सूची
बिना पूर्व सूचना के औचक निरीक्षण, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके
दुकानों पर स्टॉक रजिस्टर, बिक्री रसीद और वितरण पंजिका का मिलान किया गया
किसानों से मौके पर ही रेट और उपलब्धता को लेकर पूछताछ
रेट लिस्ट, लाइसेंस और भंडारण क्षमता की भौतिक जांच, गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई करना
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अफसरों ने कैसे की जांच
कृषि, आपूर्ति, सहकारिता और राजस्व विभाग के 150 अधिकारी-कर्मचारी मैदान में उतरे। इस दौरान पूरे जनपद को सेक्टर और जोन में बांटकर एक साथ छापेमारी की गई। सुबह से देर शाम तक सघन जांच चली। कई स्थानों पर दोबारा निरीक्षण किया गया। संदिग्ध दुकानों से रिकॉर्ड जब्त किए गए। ओवररेटिंग साबित होने पर मौके पर ही नोटिस थमाए गए। साथ ही लाइसेंस निलंबन और निरस्तीकरण की संस्तुति की गई। अगले चरण में सप्लाई चेन और थोक विक्रेताओं की भी जांच की तैयारी है।
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सिद्धार्थनगर। खाद के लिए समिति और दुकानों पर जारी मारामारी के बीच प्रशासन की ओर से सबकुछ सामान्य होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन के सब कुछ सामान्य होने के दावे उस वक्त धराशायी हो गए, जब खुद अफसर फील्ड में उतरे। डीएम के निर्देश पर काम करने वाली 150 अफसरों की टीम मैदान में उतरी तो हकीकत सामने आ गई। छापेमारी और जांच के दौरान सामने आया कि कई खाद विक्रेता तय दर से अधिक कीमत वसूल रहे थे। चौंकाने वाला सच जब किसानों ने अफसरों के समक्ष रखा और जांच में पुष्टि हुई तो इस पर कार्रवाई शुरू हुई। हालात यह हुआ एक सप्ताह के भीतर 30 से अधिक दुकानों पर ओवररेटिंग की पुष्टि हुई और लाइसेंस पर कार्रवाई की तलवार लटक गई। इस कार्रवाई ने इस बात की पुष्टि कर दी गई कि खाद बिक्री में किसानों का शोषण हो रहा था और सबकुछ नियंत्रण में होने का दावा केवल कागजों तक ही सीमित था।
जनपद में खाद का वितरण 1004 निजी दुकानों और 104 सहकारी समितियों के जरिए किया जाता है। जिले में यूरिया की मांग शुरू होने के बाद समितियाें पर किसानों की भोर से देर शाम तक कतरा लगने लगी और निजी दुकानों पर ओवररेटिंग की शिकायतें बढ़ गईं। जिनके कंधों पर रेट नियंत्रण और शांतिपूर्ण तरीके से वितरण की जिम्मेदारी थी, शायद वह ओवररेटिंग से अनजान थे। सीजन शुरू होने से अब तक 30 हजार मिट्रिक टन के लगभग किसानों में खाद वितरण हो चुकी है। इसके बावजूद किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। खेतों में बुआई का दबाव बढ़ा तो दुकानों पर भीड़ लगी और इसी का फायदा उठाकर कुछ विक्रेताओं ने कालाबाजारी और ओवररेटिंग शुरू कर दी। शिकायतें बढ़ीं तो अफसरों ने मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की। डीएम के दिशा-निर्देशन में ब्लॉक और तहसील स्तर पर काम करने वाली टीम तैयार की गई। 150 अफसरों की टीम ने जिलेभर में जांच शुरू की। टीम ने औचक निरीक्षण करना शुरू किया तो सच्चाई सामने आ गई। जांच में पाया गया कि कई दुकानों पर रेट लिस्ट नहीं लगी थी। कहीं खाद को अन्य सामान के साथ जबरन बेचा जा रहा था। कहीं नकद के बजाय उधारी या अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा था। खाद लेकर जाने वाले किसानों के बारे में विक्रेता रजिस्टर लेकर बात की गई तो 266 रुपये के बजाय 500 से 600 रुपये में खरीद होने की बात सामने आई। वहीं कुछ मामलों में किसानों का कहना है कि था कि नहीं मिलने का डर दिखाकर उनसे 150 से 300 रुपये प्रति बोरी तक ज्यादा रुपये वसूल किए गए। कुछ स्थानों पर स्टॉक होते हुए भी खत्म हो गया बताकर किसानों को टाल दिया गया। इस प्रकार सब कुछ सामान्य होने और सही वितरण के प्रशासन के दावे की हकीकत सामने आ गई। नतीजा एक सप्ताह के भीतर ओवररेटिंग और अन्य गड़बड़ी के मामले में 30 से अधिक दुकानदारों को पकड़ा गया और उनके लाइसेंस के निलंबन की कार्रवाई शुरू हुई। अफसरों के मैदान में उतरते ही साफ हो गया कि कागजी दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी मो. मुज्जमिल ने बताया कि लगातार दुकानों की जांच की जा रही है। जांच में अनियमितता मिलने पर लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की जा रही है। बड़ी गड़बड़ी सामने आने पर एफआईआर दर्ज करवाया जाएगा।
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लगातार मिल रही किसानों की मौखिक व लिखित शिकायतों के बाद डीएम ने दिए जांच के निर्देश
जिला स्तर पर कंट्रोल रूम में शिकायतों का संकलन कर बनाई गई संदिग्ध दुकानों की सूची
बिना पूर्व सूचना के औचक निरीक्षण, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके
दुकानों पर स्टॉक रजिस्टर, बिक्री रसीद और वितरण पंजिका का मिलान किया गया
किसानों से मौके पर ही रेट और उपलब्धता को लेकर पूछताछ
रेट लिस्ट, लाइसेंस और भंडारण क्षमता की भौतिक जांच, गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई करना
अफसरों ने कैसे की जांच
कृषि, आपूर्ति, सहकारिता और राजस्व विभाग के 150 अधिकारी-कर्मचारी मैदान में उतरे। इस दौरान पूरे जनपद को सेक्टर और जोन में बांटकर एक साथ छापेमारी की गई। सुबह से देर शाम तक सघन जांच चली। कई स्थानों पर दोबारा निरीक्षण किया गया। संदिग्ध दुकानों से रिकॉर्ड जब्त किए गए। ओवररेटिंग साबित होने पर मौके पर ही नोटिस थमाए गए। साथ ही लाइसेंस निलंबन और निरस्तीकरण की संस्तुति की गई। अगले चरण में सप्लाई चेन और थोक विक्रेताओं की भी जांच की तैयारी है।
