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Siddharthnagar News: हिंदू-मुस्लिम और कहीं जाकर ढूंढ़ो, इस बस्ती में हिंदुस्तानी रहते हैं...

संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर Updated Thu, 20 Nov 2025 12:02 AM IST
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Siddharthnagar News : Hindu-Muslims and somewhere black, Hindustani live in this settlement
डुमरियागज में आयोजित कवि सम्मेलन कविता प्रस्तुत करती कवि। स्रोत विज्ञ​प्ति
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डुमरियागंज। हिंदू-मुस्लिम और कहीं जाकर ढूंढो, इस बस्ती में हिंदुस्तानी रहते हैं..., शायर सरफराज राही ने अपने कलाम से समां बांधा और लोगों की खूब तालियां बटोरीं। मौका था राजकीय कन्या इंटर कॉलेज के मैदान में मंगलवार की रात एक शाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर कवि सम्मेलन और मुशायरे का, जहां देश के जाने-माने शायर और कवियों ने प्रतिभाग कर अपने कलाम पेश किए। कार्यक्रम में शायर व कवियों ने अपने-अपने अंदाज में वीर शहीदों को नमन किया।
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कवि सम्मेलन और मुशायरा की शुरुआत नाते पाक से सरफराज राही ने करते हुए कहा कि अल्लाह के हबीब से जब सिलसिला मिला, भटकता हुआ था काफिला मंजिल से जा मिला। इसके बाद शाहिद बस्तवी ने पढ़ा कि हमको अपना बना लीजिए और दिल में बसा लीजिए, दिल तड़पता है टूटने से बचा लीजिए...।
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इसके बाद सलोनी उपाध्याय ने बलिदानियों को याद करते हुए पढ़ा की बलिदानियों की आहुति से भारत का शौर जिंदा है, लहू देकर ही होती है तिरंगे की परम सेवा...। तत्पश्चात सुशील श्रीवास्तव सागर ने एक से बढ़कर एक गीत और कविता प्रस्तुत की। उन्होंने पढ़ा की वह नहीं अपना हुआ तो क्या जमाना छोड़ दूं, मौत के डर से मुस्कुराना छोड़ दूं। युवा शायर मजहर गोरखपुरी ने पढ़ा कि बहुत मीठा है जो पानी कभी खारा नहीं होगा जो गुल है किसी सूरत में अंगारा नहीं होगा..., दीदार बस्तवी ने कर्बला के सारे कातिल हशर में होंगे खड़े और गवाही में अली असगर उतारे जाएंगे। पूछा किसी ने जब-जात मेरी मैंने अपने बदन पर तिरंगा पहन लिया।
वहीं मुशायरे के दूसरे सत्र में भारी भीड़ के बीच देश की मशहूर शायर तरन्नुम कानपुरी ने अपने अंदाज में महफिल को संवारते हुए पढ़ा जब तगाफुल आपका देखेंगे, हम साजे दिल टूटा हुआ देखेंगे हम..., शादाब आजमी ने मां की महत्ता बयान करते हुए कहा कि मां को मत नाराज करना मशवरा है मेरा, वरना ये बंदे खुदा तुझसे खफा हो जाएगा..., मुरादाबाद से आई शायरा निकहत मुरादाबादी ने पढ़ा शौक से लीजिए यह जान तुम्हारी ही तो है, इश्क में जान क्या कुर्बान कर नहीं सकती हैं..., आखिर में मशहूर शायर अल्ताफ जिया मालेगांव के मंच पर माइक संभालते ही पूरा पंडाल तालिया से गूंज उठा।
इस दौरान विधायक सैय्यदा खातून, काजी अहमद फरीद अब्बासी, राजू पाल, रज्जन, नेमतुल्लाह आदि माैजूद रहे।
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