{"_id":"69458175795da6cd87005e6b","slug":"a-dip-of-faith-was-taken-on-paush-amavasya-sitapur-news-c-102-1-stp1003-146564-2025-12-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Sitapur News: पौष अमावस्या पर लगाई आस्था की डुबकी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Sitapur News: पौष अमावस्या पर लगाई आस्था की डुबकी
संवाद न्यूज एजेंसी, सीतापुर
Updated Fri, 19 Dec 2025 10:16 PM IST
विज्ञापन
चक्रतीर्थ में स्नान करते श्रद्धालु।
विज्ञापन
नैमिषारण्य (सीतापुर)। पौष अमावस्या पर तीर्थ स्थित चक्रतीर्थ व गोमती नदी में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालु स्नान-पूजन के लिए चक्रतीर्थ व गोमती नदी के राज घाट व देवदेवेश्वर घाट पर पहुंचे। पूरे दिन स्नान-दान का क्रम चलता रहा। श्रद्धालुओं ने गोमती नदी व चक्रतीर्थ में स्नान-पूजन के बाद तीर्थ पुरोहितों को दान दिया और गाय तथा तुलसी का विधि-विधान से पूजन किया।
शुक्रवार को सुबह ठंड अधिक होने की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही। दोपहर तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं ने पितरों के निमित्त पिंडदान-तर्पण भी किया। मां ललिता देवी के दर्शन के बाद व्यास गद्दी, हनुमान गढ़ी, कालीपीठ, सूत गद्दी, शौनक गद्दी, भूतेश्वर नाथ, बालाजी मंदिर आदि स्थानों में दर्शन-पूजन किया।
पुजारी सचिन शास्त्री ने बताया वैसे तो शास्त्रों में हर अमावस्या पितरों को समर्पित मानी गई है लेकिन पौष मास की अमावस्या बेहद खास है क्योंकि पौष का महीना ही पितरों को समर्पित माना जाता है। इसे छोटा पितृपक्ष या मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है। लहरपुर के सूर्यकुंड में स्नान कर भगवान शिव का पूजन किया।
Trending Videos
शुक्रवार को सुबह ठंड अधिक होने की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही। दोपहर तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं ने पितरों के निमित्त पिंडदान-तर्पण भी किया। मां ललिता देवी के दर्शन के बाद व्यास गद्दी, हनुमान गढ़ी, कालीपीठ, सूत गद्दी, शौनक गद्दी, भूतेश्वर नाथ, बालाजी मंदिर आदि स्थानों में दर्शन-पूजन किया।
विज्ञापन
विज्ञापन
पुजारी सचिन शास्त्री ने बताया वैसे तो शास्त्रों में हर अमावस्या पितरों को समर्पित मानी गई है लेकिन पौष मास की अमावस्या बेहद खास है क्योंकि पौष का महीना ही पितरों को समर्पित माना जाता है। इसे छोटा पितृपक्ष या मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है। लहरपुर के सूर्यकुंड में स्नान कर भगवान शिव का पूजन किया।
