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बंगाल ने उतरा बुखार, बचा हम उतारेंगे
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टिकैत ने कहा कि अफसर ही प्रधानमंत्री को गुमराह कर रहे हैं। वह जमीनी हकीकत से दूर झूठे आंकड़े देकर प्रधानमंत्री से बोलवाते हैं। इसके लिए अफसर भी कम गुनहगार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का 33 माह में दिमाग ठिकाने लगा देंगे। कुछ बंगाल चुनाव में लगा है, कुछ यूपी चुनाव में लगेगा। अगर कुछ बचेगा तो किसान आंदोलन लगा देगा। इसलिए इस बार वोट की चोट से बदला लेना है।
कलम पर अब बंदूक का है पहरा
राकेश टिकैत ने देश, प्रदेश व न्यायपालिका पर निशाना साधने के बाद अंत में मीडिया पर भी निशाना साधा। अपने समर्थकों से कहा कि जो मीडिया दिखाए, ठीक उसका उल्टा समझना। एक चैनल पर एक ही पत्रकार, राजनीति, खेल, मनोरंजन व राजनीति की समीक्षा करता है। क्या उस चैनल में दूसरा कोई रिपोर्टर नहीं है।
एक ही व्यक्ति हर काम में कैसे माहिर हो सकता है। उन्होंने मजबूरी गिनाते हुए कहा, कलम पर अब बंदूक का पहरा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि मीडिया अगर सही न दिखाए तो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहे। तीन दिन आंदोलन में आएं और 30 दिन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें।
ईवीएम पर भी जताई आशंका
टिकैत ने कहा कि पहले बैलेट पेपर से चुनाव होता था तो वह सबसे प्रमाणिक था। अब हाईटेक जमाना आ गया है। वोट गिनने की मशीन में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है। हम अगर अपने मोबाइल से यहां से बैठकर इंग्लैड के मकान देख सकते हैं तो इस मशीन में जरूर कुछ भी हो सकता है।
पराली पर होगा वार
राकेश टिकैत ने कहा कि किसान पराली के आंदोलन के लिए तैयार रहें। पराली पर तंज कसते हुए कहा कि अफसरों व नेताओं को चावल तो बहुत पसंद है लेकिन पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई हो रही है। अगर केवल चावल ही खाएंगे तो पराली कहां ले जाएंगे। कोई भी वैज्ञानिक यह बताए कि बिना पराली के चावल कैसे हो सकता है। टिकैत ने कहा कि अगर डीएम, एसपी व थानेदार पराली जलाने के लिए मना करें, 250 रुपये देकर पराली मांगे तो उन्हें थाने व उनके सरकारी आवासों में पराली भर देना।
अब्बाजान व चाचाजान...
टिकैत ने सिर्फ किसानों के मुद्दे पर ही चर्चा नहीं की, बल्कि राजनीति में चल रही चर्चाओं पर भी जवाब दिए। भाजपा द्वारा अब्बाजान कहने के मुद्दे पर बोले अगर सपा अब्बाजान है तो भाजपा चाचाजान है। उन्होंने कहा कि पार्टियां जातिगत सम्मेलन कर रही हैं। हमारा आंदोलन सभी के लिए है। कोई जातपात नहीं है। किसानों के मुद्दों पर लड़ाई हो रही है।
पूरे देश में चलेगा आंदोलन
राकेश टिकैत ने कहा किसानों का यह आंदोलन केवल यूपी, पंजाब व हरियाणा तक ही सीमित नहीं है। इस आंदोलन को पूरे देश में ले जाएंगे। प्रत्येक जिले में किसानों को काले कानूनों के प्रति जागृत किया जाएगा। उनको उनकी उपज का वास्तविक मूल्य दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए हर स्तर की लड़ाई लड़ी जाएगी।
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राकेश टिकैत ने देश, प्रदेश व न्यायपालिका पर निशाना साधने के बाद अंत में मीडिया पर भी निशाना साधा। अपने समर्थकों से कहा कि जो मीडिया दिखाए, ठीक उसका उल्टा समझना। एक चैनल पर एक ही पत्रकार, राजनीति, खेल, मनोरंजन व राजनीति की समीक्षा करता है। क्या उस चैनल में दूसरा कोई रिपोर्टर नहीं है।
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एक ही व्यक्ति हर काम में कैसे माहिर हो सकता है। उन्होंने मजबूरी गिनाते हुए कहा, कलम पर अब बंदूक का पहरा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि मीडिया अगर सही न दिखाए तो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहे। तीन दिन आंदोलन में आएं और 30 दिन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें।
ईवीएम पर भी जताई आशंका
टिकैत ने कहा कि पहले बैलेट पेपर से चुनाव होता था तो वह सबसे प्रमाणिक था। अब हाईटेक जमाना आ गया है। वोट गिनने की मशीन में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है। हम अगर अपने मोबाइल से यहां से बैठकर इंग्लैड के मकान देख सकते हैं तो इस मशीन में जरूर कुछ भी हो सकता है।
पराली पर होगा वार
राकेश टिकैत ने कहा कि किसान पराली के आंदोलन के लिए तैयार रहें। पराली पर तंज कसते हुए कहा कि अफसरों व नेताओं को चावल तो बहुत पसंद है लेकिन पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई हो रही है। अगर केवल चावल ही खाएंगे तो पराली कहां ले जाएंगे। कोई भी वैज्ञानिक यह बताए कि बिना पराली के चावल कैसे हो सकता है। टिकैत ने कहा कि अगर डीएम, एसपी व थानेदार पराली जलाने के लिए मना करें, 250 रुपये देकर पराली मांगे तो उन्हें थाने व उनके सरकारी आवासों में पराली भर देना।
अब्बाजान व चाचाजान...
टिकैत ने सिर्फ किसानों के मुद्दे पर ही चर्चा नहीं की, बल्कि राजनीति में चल रही चर्चाओं पर भी जवाब दिए। भाजपा द्वारा अब्बाजान कहने के मुद्दे पर बोले अगर सपा अब्बाजान है तो भाजपा चाचाजान है। उन्होंने कहा कि पार्टियां जातिगत सम्मेलन कर रही हैं। हमारा आंदोलन सभी के लिए है। कोई जातपात नहीं है। किसानों के मुद्दों पर लड़ाई हो रही है।
पूरे देश में चलेगा आंदोलन
राकेश टिकैत ने कहा किसानों का यह आंदोलन केवल यूपी, पंजाब व हरियाणा तक ही सीमित नहीं है। इस आंदोलन को पूरे देश में ले जाएंगे। प्रत्येक जिले में किसानों को काले कानूनों के प्रति जागृत किया जाएगा। उनको उनकी उपज का वास्तविक मूल्य दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए हर स्तर की लड़ाई लड़ी जाएगी।