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Sitapur News: टीम बैठी रही, पिंजरे के पास बंधा पड़वा खा गया बाघ
संवाद न्यूज एजेंसी, सीतापुर
Updated Mon, 15 Sep 2025 12:26 AM IST
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बाघ को पकड़ने की कवायद में वनकर्मी।
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महोली (सीतापुर)। नरनी गांव में 22 अगस्त को किसान को निवाला बनाने वाला बाघ पकड़ में नहीं आ रहा है। बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम कॉम्बिंग करती रह गई और शनिवार रात बाघ पिंजरे के पास बंधे पड़वे को खा गया। ग्रामीणों ने भोर में पड़वे का क्षत-विक्षत शव देखा तो हड़कंप मच गया। आननफानन सूचना वन विभाग को दी गई।
जानकारी होने पर एसडीओ विकास यादव व ब्रजेश पांडेय ने टीम के साथ इलाके में कॉम्बिंग की। वन विभाग के अफसरों ने पगचिह्नों की जांच के बाद बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की है।
22 अगस्त को नरनी निवासी सौरभ दीक्षित खेत गए थे। इसी दौरान बाघ ने उन्हें निवाला बना लिया था। बाघ के हमले के बाद ग्रामीणों का गुस्सा भांप बाघ को पकड़ने की कवायद शुरू हुई। डीएफओ नवीन खंडेलवाल, दुधवा टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञों सहित करीब 40 कर्मियों की टीम बनी। टीम लगातार गांव स्थित पीएचसी में डेरा जमाए है और कॉम्बिंग कर रही है।
बाघ को पकड़ने के लिए तीन स्थानाें पर पड़वे भी बांधे गए लेकिन वह पकड़ में नहीं आ सका। इसके बाद बाघ ने नरनी गांव के बगल में स्थित गिरधरपुर गांव के पास बंधे पड़वे का शिकार किया और टीम देखती रह गई।
इसके बाद वन विभाग के अफसरों ने पिंजरे का स्थान बदलते हुए उसे बरगद के पेड़ के नीचे लगाया। यहां भी पड़वा बांधा गया था लेकिन शनिवार रात बाघ ने पिंजरे के पास बंधे पड़वे को निवाला बना लिया।
रविवार भाेर ग्रामीणाें ने पड़वे का क्षत-विक्षत शव देखा तो सभी डर गए। इसके बाद वन विभाग के अफसरों को सूचना दी गई। एसडीओ विकास यादव व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने बताया कि एसडीओ व गांव में मौजूद टीम ने इलाके में कॉम्बिंग की। टीम इंतजार करती रही, लेकिन बाघ दोबारा शिकार के पास नहीं फटका। नीरज व दिनेश ने बताया कि बाघ ने 22 अगस्त को गांव में हमला बोला था।
कई बाद टीम ने कॉम्बिंग की पर वह नहीं पकड़ा जा सका। ग्रामीणों ने कई बार बाघ को देखने की बात कही लेकिन अफसरों ने नहीं माना। अब नरनी गांव से महज 300 मीटर फिर बाघ ने पड़वे का शिकार किया है। गांव के लोग बेहद डरे हुए हैं।

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जानकारी होने पर एसडीओ विकास यादव व ब्रजेश पांडेय ने टीम के साथ इलाके में कॉम्बिंग की। वन विभाग के अफसरों ने पगचिह्नों की जांच के बाद बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की है।
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22 अगस्त को नरनी निवासी सौरभ दीक्षित खेत गए थे। इसी दौरान बाघ ने उन्हें निवाला बना लिया था। बाघ के हमले के बाद ग्रामीणों का गुस्सा भांप बाघ को पकड़ने की कवायद शुरू हुई। डीएफओ नवीन खंडेलवाल, दुधवा टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञों सहित करीब 40 कर्मियों की टीम बनी। टीम लगातार गांव स्थित पीएचसी में डेरा जमाए है और कॉम्बिंग कर रही है।
बाघ को पकड़ने के लिए तीन स्थानाें पर पड़वे भी बांधे गए लेकिन वह पकड़ में नहीं आ सका। इसके बाद बाघ ने नरनी गांव के बगल में स्थित गिरधरपुर गांव के पास बंधे पड़वे का शिकार किया और टीम देखती रह गई।
इसके बाद वन विभाग के अफसरों ने पिंजरे का स्थान बदलते हुए उसे बरगद के पेड़ के नीचे लगाया। यहां भी पड़वा बांधा गया था लेकिन शनिवार रात बाघ ने पिंजरे के पास बंधे पड़वे को निवाला बना लिया।
रविवार भाेर ग्रामीणाें ने पड़वे का क्षत-विक्षत शव देखा तो सभी डर गए। इसके बाद वन विभाग के अफसरों को सूचना दी गई। एसडीओ विकास यादव व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने बताया कि एसडीओ व गांव में मौजूद टीम ने इलाके में कॉम्बिंग की। टीम इंतजार करती रही, लेकिन बाघ दोबारा शिकार के पास नहीं फटका। नीरज व दिनेश ने बताया कि बाघ ने 22 अगस्त को गांव में हमला बोला था।
कई बाद टीम ने कॉम्बिंग की पर वह नहीं पकड़ा जा सका। ग्रामीणों ने कई बार बाघ को देखने की बात कही लेकिन अफसरों ने नहीं माना। अब नरनी गांव से महज 300 मीटर फिर बाघ ने पड़वे का शिकार किया है। गांव के लोग बेहद डरे हुए हैं।