UP: मिर्जापुर में खड़ी JCB का नंबर लगाकर सोनभद्र में दिखाई दुर्घटना, थाने से भी छुड़ाया; एसपी के आदेश पर FIR
Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में जेसीबी मालिक ने प्राथमिकी दर्ज करवाई है। आरोप है कि उसके वाहन का नंबर प्लेट बदल दिया गया है। पुलिस अधीक्षक के आदेश के बाद पूरे मामले की पड़ताल की जा रही है।
विस्तार
UP Crime: सोनभद्र के जुगैल थाना क्षेत्र में हुए हादसे की जद में आने से बचने के लिए सड़क के ठेकेदार और प्रकरण की जांच करने वाले विवेचक की ऐसी कारस्तानी सामने आई है जिसने लोगों को भौंचक कर दिया है। हादसे करने वाली जेसीबी की जगह एक ऐसे वाहन का नंबर दर्ज कराया गया जो सोनभद्र में था ही नहीं।
वाहन स्वामी की जानकारी के बगैर फर्जी हस्ताक्षर, कूटरचित आरसी-आधार कार्ड के जरिये मोटर दुर्घटना दावा से जुड़ी सुनवाई पूरी करा ली गई। थाने पर बंद वाहन छुड़ाने के लिए न्यायालय में दिए जाने वाले वचन पत्र (अंडरटेकिंग) में भी दूसरे की फोटो लगा दी गई। आपराधिक सुनवाई से जुड़े मामले में वाहन स्वामी को जब नोटिस मिला तब उसे इसकी जानकारी हुई। उसने कचहरी पहुंचकर कागजातों की जांच-पड़ताल की और एसपी से गुहार लगाई।
एसपी अभिषेक वर्मा के निर्देश पर जुगैल थाने में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जुगैल थाना क्षेत्र से जुड़ा यह प्रकरण छह साल पुराना है। 28 फरवरी 2019 को बड़गांवा निवासी तेजबली यादव ने जुगैल पुलिस को तहरीर दी थी। कहा था कि उनके गांव में वाराणसी के ठेकेदार राजा यादव सड़क बनवा रहे थे।
पुलिस ने की कार्रवाई
जेसीबी से कार्य के दौरान चालक की लापरवाही से बिजली का पोल टूटकर मुख्य सड़क पर गिर गया, जिसकी चपेट में आकर उनका बेटा रामसकल झुलस गया। पुलिस ने जेसीबी चालक और ठेकेदार पर प्राथमिकी दर्ज की और संबंधित जेसीबी को जब्त कर थाने में खड़ा करा दिया।
एसपी को दी तहरीर में मिर्जापुर के विकास कुमार गुप्ता का आरोप है कि विवेचना के दौरान गलत तरीके से उसके जेसीबी का नंबर (यूपी 64-एच-0655) दर्ज कर लिया गया, जबकि उसने जेसीबी को कभी भी सोनभद्र या किसी अन्य जिले में किराए पर नहीं दिया। सिर्फ अपने ईंट भट्ठे के लिए उसका निजी उपयोग किया था।
प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश
आरोप है कि प्राथमिकी के बाद विकास को पक्षकार बनाते हुए दुर्घटना दावे के लिए एक प्राथमिकी भी दाखिल की गई। उसे इसकी भनक लगती तब तक एकपक्षीय कार्रवाई करा ली गई। मामला जब कचहरी पहुंचा तो पता चला कि 25 जून 2019 को उसके वाहन का जिक्र करते हुए चार्जशीट दाखिल की गई है।
पत्रावली में उसके नाम से फर्जी हस्ताक्षर करते हुए बिना दिनांक का प्रार्थना पत्र दाखिल पाया गया जिसमें घटना स्थल पर उसके वाहन की मौजूदगी और चालक का नाम शुभम दिखाया गया है। इसके समर्थन में जो आधार कार्ड दाखिल जमा था, वह भी फर्जी था।
यह भी पता चला कि थाने में बंद जेसीबी को छुड़ाने के लिए 15 अप्रैल 2019 को एक आदेश जारी कराया गया जिसमें लिखा गया है कि पंजीयन प्रमाण पत्र की मूल प्रति न्यायालय में प्रस्तुत की गई, जबकि उसने मूल या प्रमाणित छायाप्रति कभी जमा ही नहीं किया। दी गई अंडरटेकिंग पर भी उसका फर्जी हस्ताक्षर और फोटो दूसरे का है। प्रकरण में विवेचक और ठेकेदार पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया है। प्रभारी निरीक्षक अविनाश सिंह के मुताबिक लगाए गए आरोपों के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच जारी है।
