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Navami 2023: सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में होगी मां दुर्गा की संधि पूजा, मीन लग्न में मिलेंगे 48 मिनट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी Published by: उत्पल कांत Updated Sun, 22 Oct 2023 02:56 PM IST
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सार

इस बार शारदीय नवरात्र की नवमी पर संधि पूजन पर सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का निर्माण हो रहा है। माता की कृपा प्राप्त करने के लिए संधि पूजन का मुहूर्त सर्वोत्तम काल माना जाता है। 

Navami 2023 Sandhi puja of Maa Durga will be held in Sarvartha Siddhi and Ravi Yoga
वाराणसी के एक पंडाल में स्थापित मां दुर्गा - फोटो : अमर उजाला
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अष्टमी और नवमी के संधि काल पर महासंधि पूजन होगा। बंगाली पंडालों के अलावा गृहस्थ भी माता की संधि पूजा करते हैं। माता की कृपा प्राप्त करने के लिए संधि पूजन का मुहूर्त सर्वोत्तम काल माना जाता है। इस बार संधि पूजन पर सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का निर्माण हो रहा है। अष्टमी समाप्त होने के बाद संध्या काल में नवमी तिथि आरंभ होगी।

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ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि अष्टमी तिथि पर 22 अक्तूबर को संधि पूजन पर सर्वार्थ सिद्धि योग निर्मित हो रहा है। इसके अलावा रवि योग भी निर्मित हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:18 बजे तक रहेगा। इसके बाद ही मीन लग्न शाम को 4:40 बजे से शुरू होगा।
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नवरात्रि में संधि पूजा का विशेष महत्व है और पूजा अष्टमी तिथि के खत्म होने के 24 मिनट बाद शुरू होती है और नवमी तिथि के शुरू होने के 24 मिनट बाद तक की जाती है। संधि पूजा के लिए भक्तों को 48 मिनट का समय मिलता है। पंचांग के अनुसार संधि पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अक्तूबर को रात 7:34 मिनट से लेकर रात 8: 22 मिनट तक रहेगा।
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मां ने किया था चंड मुंड का वध

देवी भागवत पुराण के अनुसार मां चामुंडा और महिषासुर के बीच में भयंकर युद्ध हो रहा था। उस समय चंड और मुंड नाम के दो राक्षसों ने माता की पीठ पर वार कर दिया था, इसके बाद माता का मुख क्रोध के कारण नीला पड़ गया और माता ने दोनों राक्षस का वध कर दिया था। दोनों राक्षसों का वध संधि काल में हुआ था और यह मुहूर्त बेहद सिद्धि कारक और शक्तिशाली माना जाता है।

घंटी बजाकर होता है संधि पूजा का शुभारंभ

संधि पूजा का शुभारंम घंटी बजाकर होता है। मां की संधि पूजा में 108 दीपक, 108 कमल, 108 बेल के पत्ते, गहने, पारंपरिक कपड़े, गुड़हल के फूल, चावल अनाज (बिना पके) और एक लाल फल व माला का उपयोग कर मां दुर्गा का शृंगार किया जाता है। इसके बाद मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करके उनकी आरती उतारी जाती है।
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