ज्योतिष की सलाह: शरीर पर साक्षात होता है नाम जप का प्रभाव, ओडिशा के ज्योतिषी खुद पर कर रहे अध्ययन
Varanasi News: ओडिशा के ज्योतिषी ने कहा कि मन, मस्तिष्क और शरीर पर साक्षात नाम जप का प्रभाव होता है। वे खुद पर इसका प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नाम जप का प्रभाव हमारे शरीर पर दवाओं की तरह ही होता है।

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शब्द को ब्रह्म कहा गया है। यही कारण है कि नाम जप का प्रभाव मानव के मन, मस्तिष्क और शरीर पर साक्षात पड़ता है। चार वर्षों से ओडिशा के ज्योतिष व योग विद्वान राधेश्याम शर्मा खुद पर नाम जप के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भगवान के नाम जप का असर हमारे शरीर पर दवाओं की तरह ही होता है। बात करें राम नाम के जप से तो शरीर पर ताम्र, स्वर्ण और रजत का प्रभाव होता है।

बीएचयू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में शामिल होने ओडिशा से आए ज्योतिष विद्वान राधेश्याम शर्मा ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस के बालकांड के दोहा संख्या 18 में कहा है कि बंदऊं नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को। बिधि हरि हरमय वेद प्रान सो, अगुन अनुपम गुन निधान सो...मैं रघुनाथ के नाम राम की वंदना करता हूं जो अग्नि, सूर्य और चंद्रमा का हेतु अर्थात र, आ और म रूप से बीज हैं।
वह राम नाम ब्रह्मा, विष्णु और शिवरूप हैं। वह वेदों का प्राण हैं, निर्गुण, उपमा रहित और गुणों का भंडार है। इसमें जो वर्णन है उसमें र, आ, म को अग्नि, सूर्य, चंद्र का बीज बताया गया है। चूंकि सूर्य और चंद्र को ज्योतिष में एक ग्रह के रूप में लिया जाता है इसलिए अग्नि को भी ग्रह रूप में देखने पर अग्निकारक ग्रह मंगल हो जाएगा। यह कहना है ओडिशा से आए ज्योतिष के विद्वान राधेश्याम शर्मा का।
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उन्होंने बताया कि ज्योतिष की पुस्तक ताजिक नीलकंठी के ग्रहाध्याय में मंगल, सूर्य, चंद्र ग्रहों से संबंधित धातुओं का वर्णन करते हुए मंगल की धातु ताम्र, सूर्य की स्वर्ण और चंद्र की धातु रजत को बताया गया है।
इस आधार पर र की धातु ताम्र, आ की स्वर्ण और म की रजत होगी। इसमें र, आ, म वर्णमाला के सदस्य हैं वहीं ताम्र, स्वर्ण और रजत पीरियाडिक टेबल के सदस्य हैं। इसीलिए ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने के लिए या ज्योतिषीय उपचार में ग्रहों से संबंधित धातुओं के धारण करने का परामर्श दिया जाता है। इसके साथ ही ईश्वर के विभिन्न नामों या मंत्रों के जप का विधान है।
आयुर्वेद में धातुओं की भस्म से कठिन से कठिन और असाध्य रोगों की चिकित्सा की जाती है। राधेश्याम शर्मा ने बताया कि अक्षर, मंत्र, धातुएं, ग्रह और शरीर सभी ऊर्जा या चेतना के स्तर पर समरूप हैं। इस पर अभी और शोध करने की आवश्यकता है। इसका उपयोग भाषा विवाद और सभ्यताओं के संघर्ष को हल करने में मदद मिलेगी।
श्री दुर्गा सप्तशती और श्री रुद्राष्टाध्यायी से हो सकता है नवग्रहों की पीड़ा का निदान
यह कहना है श्री टीकमाणी संस्कृत कालेज के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ.आमोद दत्त शास्त्री का। उन्होंने बताया कि रुद्रीपाठ से भगवान शिव का अभिषेक करने से समस्त ग्रह बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। पारद शिवलिंग पर दुग्ध मिश्रित जलधारा के साथ रुद्री पाठ करने से ग्रह शांति हो जाती है। कालसर्प दोष,पितृदोष,शनि दोष का शमन होता है।
1. सूर्य शांति के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ एवं सूर्य को तांबे के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए।
2. चंद्र पीड़ा निदान के लिए सोमवार व्रत है।प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर दूध,जल,मिश्री मिलाकर चढ़ाने से चंद्र दोष नष्ट होता है।
3. मंगल पीड़ा निदान के लिए हनुमान चालीसा का पांच पाठ एवं हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ावें।
4. बुध पीड़ा निदान के लिए गणपत्थर्वशीर्ष का पाठ एवं 21 दूर्वा चढ़ाएं।
5. गुरु पीड़ा निदान के लिए नारायण कवच एवं प्रत्येक बृहस्पतिवार को विष्णु भगवान पर हल्दी चढ़ावें तथा केले का दान करें।
6. शुक्र पीड़ा निदान के लिए देवी कवच एवं दुर्गा चालीसा। हर शुक्रवार को किसी देवी मंदिर में गुलाब चढ़ावें।
7. शनि पीड़ा निदान के लिए शनिवार को शाम 5 से 7 बजे तक पीपल वृक्ष में तिल के तेल का दीपक जलाएं एवं गरीब को सफेद मीठा खिलाएं।
8. राहु पीड़ा निदान के लिए पारद शिवलिंग पर अभिषेक एवं सर्प जोड़े भगवान शिव को अर्पण करें।
9. केतु पीड़ा निदान के लिए श्री गणेश जी की पूजा एवं भैरव सहस्त्रनाम का पाठ करें तथा कुत्ते को पूआ खिलाएं।