वाराणसी में बाढ़ का कहर: रामनगर किले में पहुंचा पानी, वेदव्यास मंदिर बंद; वरुणा कॉरिडोर पूरी तरह डूबा
गंगा में बढ़ाव से उफनाई वरुणा का पानी भी घनी आबादी में चौतरफा घुस चुका है। वरुणा कॉरिडोर पूरी तरह से बाढ़ के पानी में डूब गया है। गंगा में बढ़ाव के कारण पानी लगातार गलियों व सड़कों पर फैलता जा रहा है।
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गंगा का रौद्र रूप और बढ़ाव अब लोगों को डराने लगा है। घाटों को छोड़कर गलियों और सड़कों से गंगा का पानी शहरी कॉलोनियों में घुसने लगा है। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर नीचे बह रहा है। जलस्तर में धीमी गति से बढ़ाव बना हुआ है। बाढ़ का रामनगर किले में भी प्रवेश कर गया। वेदव्यास मंदिर में पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया है।
गंगा के जलस्तर में 24 घंट में दो फीट का बढ़ाव हुआ है। इन सब परेशानियों के बीच राहत की बात यह है कि बढ़ाव की रफ्तार सोमवार को बेहद धीमी हो गई। पानी मंगलवार को स्थिर होने का पूर्वानुमान है। केंद्रीय जल आयोग की बाढ़ बुलेटिन के जलस्तर में देर रात तक 0.50 सेंटीमीटर प्रति घंटे की धीमी गति से बढ़ाव दर्ज किया गया। सोमवार को गंगा का जलस्तर रात आठ बजे 70.78 मीटर रिकाॅर्ड किया गया। सुबह आठ बजे जलस्तर 70.72 मीटर था। तटवर्ती क्षेत्र की काॅलोनियों में पानी भरने की वजह से लोग घर छोड़कर दूसरे जगहों पर रहने को विवश हैं।
गंगा में बढ़ाव से उफनाई वरुणा का पानी भी घनी आबादी में चौतरफा घुस चुका है। वरुणा कॉरिडोर पूरी तरह से बाढ़ के पानी में डूब गया है। गंगा में बढ़ाव के कारण पानी लगातार गलियों व सड़कों पर फैलता जा रहा है। अस्सी घाट की गली में पानी और आगे बढ़ चुका है। मणिकर्णिका घाट की गली भी जलमग्न होने से वहां नौकाओं से शवों को अंत्येष्टि स्थल तक ले जाना पड़ रहा है। साथ ही जलावन (लकड़ी) भी गीली होने से शवदाह में परेशानी हो रही है। दशाश्वमेध घाट से पानी सड़क तक पहुंच गया था।
सूजाबाद व डोमरी के निचले इलाके जलमग्न
रामनगर संवाद प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र के सूजाबाद व डोमरी के निचले हिस्से में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। नीचे बने कुछ मकान पानी से घिर गए हैं। लोगों ने दूसरे के घरों में अपना ठिकाना बना लिया है। वहीं, दूसरी तरफ बाढ़ का पानी रामनगर किले के अंदर प्रवेश कर गया। इसके कारण किले के अंदर स्थित महर्षि वेदव्यास जी का दर्शन पर्यटक नहीं कर सके। दुर्ग प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर जाने वाला मार्ग पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है।
बाढ़ के पानी के कारण कॉलोनी में फंसे लोग पलायन करने लगे
गंगा के लगातार जल स्तर बढ़ने के कारण लंका व सामनेघाट में सीवर नाले के रास्ते कॉलोनी में घुसने से लोग अपने घरों में फंस गए हैं। कॉलोनी में फंसे लोग अब पलायन करने लगे हैं। कुछ लोग राहत शिविर में रहने के लिए पहुंचे हैं। नगवां नाले से पानी घुसने से रामेश्वर वेद विद्यालय के भीतर से लेकर नाले किनारे दर्जनों से अधिक मकानों में पानी प्रवेश कर गया। घरों में पानी घुसने के बाद गोयनका विद्यालय में बने राहत शिविर में रहने के लिए लोग पहुंच गए। नगवां नाला से पानी प्रवेश करने से साकेत नगर, रोहित नगर, सरायनंदन, बटुआपुरा तक पानी भरने से नाला ओवरफ्लो कर रहा है। मारुति नगर, काशीपुरम कॉलोनी में सैकड़ो की संख्या में मकान पानी से घिर गए हैं।
पानी निकालने के लिए लगाया पंप जला
ज्ञान प्रवाह नाले पर चैनल गेट बंद होने के बाद सीरगोवर्धनपुर पटेल नगर की तरफ से जाने वाले पानी को निकालने के लिए चार मोटर पंप लगाए गए थे। इसमें एक मोटर पंप जल गया। चैनल गेट पर निगरानी करने के लिए सिंचाई विभाग की तरफ से 12 कर्मचारी दो शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे हैं। बाढ़ देखने के लिए घाट किनारे सैलानियों की भीड़ होने लगी है।
घुसा बाढ़ का पानी, काटी गई बिजली
शहर के बीच से निकली वरुणा नदी की बाढ़ तटवर्ती इलाकों से लगायत रिहायशी कॉलोनी तक पहुंच चुकी है। चार दिनों में ही वरुणा नदी के जलस्तर में जबरदस्त इजाफा हुआ है। पलट प्रवाह के कारण वरुणा का पानी कैंटोंमेंट से लेकर कोनिया इलाके तक फैल चुका है। रसूलगढ़, सलारपुर, पुरानापुल, शैलपुत्री, तीनपुलिया, शक्कर तलाव, हिदायत नगर, तालीम नगर वघवानाला, मौज हाल, हुकुलगंज, ढेलवरिया, चौकाघाट इलाके में रहने वाले सैकड़ों लोगों का मकान बाढ़ में डूब गया है। वहीं मीरा घाट, तालीम नगर, ऊचवा, धोबी घाट इलाके में सुरक्षा के दृष्टिकोण से बिजली विभाग के द्वारा लाइट काट दी गई है।
बाढ़ पीड़ितों को सामान निकालने का भी नहीं मिला मौका
नक्खीघाट, तालीम नगर, हिदायत नगर, उचवा और धोबी घाट इलाका पूरी तरह से तालाब में तब्दील हो चुका है। इन तटवर्ती इलाकों में रहने वाले कमरुल निशा, नूरजहां बी, हैदर अली, मोहर्रम अली, नसरुद्दीन, युसूफ अली, कल्लू, पनारु ने बताया कि उनका घर पूरी तरह से डूब गया है। वह घर से गृहस्थी का सामान भी पूरी तरह से नहीं निकाल पाए हैं और उन्हें घर छोड़कर दूसरे स्थान पर जाना पड़ा। कुछ लोग आसपास रहने वाले रिश्तेदारों के घर में रह कर दिन काट रहे हैं तो कई बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन के द्वारा बनाए गए बाढ़ राहत शिविर में गुजर बसर कर रहे हैं।
तिरपाल बना सहारा, घरों में घुसा सात से आठ फीट पानी
सारनाथ। वरुणा नदी के तटवर्ती इलाके रसूलगढ़, सलारपुर के चमेलिया बस्ती, पुलकोहना, पैगंबरपुर सहित अन्य इलाकों में बाढ़ का पानी मकानों में घुस गया है। इस क्षेत्र के लोग सगे संबंधियों के यहां शरण ले रहे हैं। कुछ परिवार तिरपाल डाल कर गुजर बसर करने पर विवश हैं।
वरुणा में पलट प्रवाह के चलते बाढ़ की चपेट में 4461 लोग
गंगा के बढ़ते जलस्तर के चलते वरुणा में हुए पलट प्रवाह से बाढ़ की स्थिति पैदा हुई। जिलाधिकारी एस राजलिंगम के अनुसार जिले में बाढ़ से कुल 4461 लोग प्रभावित हैं। मोकलपुर में कटान से प्रभावित 3 परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट किया गया है।
जिलाधिकारी के अनुसार बाढ़ में बचाव के लिए 22 नावें लगाई गई हैं। एनडीआरएफ की एक टीम एवं जल पुलिस मोटर बोट लगा कर राहत एवं बचाव कार्य कर रही है। गंगा के जलस्तर की निगरानी की जा रही है। जलस्तर बढ़ने के कारण आम जनमानस की सुरक्षा को ध्यान में रखकर नौकाओं के संचालन पर रोक लगाई गई है। जिले में 46 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। इनमें 14 बाढ़ राहत शिविर चालू हैं। इन शिविरों में 299 परिवार के 1601 लोग निवास कर रहे हैं। नगर निगम की ओर से शिविरों में फाॅगिंग कराई जा रही है।
बाढ़ से तहसील सदर के 08 वार्ड सलारपुर, सरैया, हुकुलगंज, दानियालपुर, कोनिया, सिकरौल, जैतपुरा व चौकाघाट एवं 5 ग्राम रामपुर ढाब, गोबरहा, लुठा कला, रामचंदीपुर एवं मोकलपुर प्रभावित हैं। 1373 लोगों ने पड़ोसियों और रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। 1487 किसानों की फसलें प्रभावित हैं। 3.3 हेक्टेयर जमीन का कटान हुआ है। गंगा का चेतावनी बिंदु और खतरे का निशान वाराणसी में गंगा नदी का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है। खतरे का निशान 71.26 मीटर है। हाई फ्लड लेवल 73.90 मीटर है।