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Pithoragarh News: नौ महीने के भीतर तीनों बेटों की हुई मौत, अकेले रह गए मां-बाप
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Tue, 09 Dec 2025 11:16 PM IST
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कमतोली के हरीश पाठक के तीनों बच्चे। (फाइल फोटो)
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मुवानी। होनी को कोई नहीं टाल सकता। ऐसा ही हुआ कमतोली के हरीश पाठक के साथ। इनके साथ एक के बाद एक ऐसी कई भयानक घटनाएं घटीं कि नौ महीने के भीतर ही घर के सभी चिराग बुझ गए। हरीश और उनकी पत्नी को समय ऐसे गहरे जख्म दे गया इनका जीवन भर भरना नामुमकिन है। दोनों पति-पत्नी ने नौ महीने के भीतर अपने तीनों बेटे खो दिए। तीनों बेटों की असमय मौत से मां बदहवास है तो पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
करीब नौ महीने पहले तक कमतोली के हरीश पाठक पत्नी और तीन जवान बेटों के साथ खुशहाल जीवन जी रहे थे। मजदूरी कर पत्नी के साथ ही तीन बेटों का पालन पोषण कर रहे थे। उम्मीद थी जवान बेटों के रोजगार करने से अब उन्हें मजदूरी नहीं करनी होगी। करीब नौ महीने पहले 18 वर्ष का उनका छोटा बेटा अचानक बीमार हुआ और कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। हरीश पाठक और उनकी पत्नी इस सदमे से उबर पाते, ठीक छोटे बेटे की मौत के तीन महीने बाद ही 22 साल का मझला बेटा भी उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर इस दुनिया से चला गया।
माता-पिता को एक साथ दो बेटों की मौत ने झकझोर दिया। किसी तरह दोनों बड़े बेटे सचिन के सहारे जीवन जी रहे थे। एक घटना ने उनसे उनके बुढ़ापे का सहारा भी छीन लिया। डंपर दुर्घटना में तीसरा बेटा भी असमय काल के गाल में समा गया और घर के सभी चिराग बुझ गए। हरीश पाठक के साथ घटी इन घटनाओं से हर कोई स्तब्ध है। नौ महीने के भीतर तीनों बेटों को खो चुके गुमसुम माता-पिता को देखकर ग्रामीण भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं।
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करीब नौ महीने पहले तक कमतोली के हरीश पाठक पत्नी और तीन जवान बेटों के साथ खुशहाल जीवन जी रहे थे। मजदूरी कर पत्नी के साथ ही तीन बेटों का पालन पोषण कर रहे थे। उम्मीद थी जवान बेटों के रोजगार करने से अब उन्हें मजदूरी नहीं करनी होगी। करीब नौ महीने पहले 18 वर्ष का उनका छोटा बेटा अचानक बीमार हुआ और कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। हरीश पाठक और उनकी पत्नी इस सदमे से उबर पाते, ठीक छोटे बेटे की मौत के तीन महीने बाद ही 22 साल का मझला बेटा भी उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर इस दुनिया से चला गया।
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माता-पिता को एक साथ दो बेटों की मौत ने झकझोर दिया। किसी तरह दोनों बड़े बेटे सचिन के सहारे जीवन जी रहे थे। एक घटना ने उनसे उनके बुढ़ापे का सहारा भी छीन लिया। डंपर दुर्घटना में तीसरा बेटा भी असमय काल के गाल में समा गया और घर के सभी चिराग बुझ गए। हरीश पाठक के साथ घटी इन घटनाओं से हर कोई स्तब्ध है। नौ महीने के भीतर तीनों बेटों को खो चुके गुमसुम माता-पिता को देखकर ग्रामीण भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं।