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Hisar's Kathak practice has showcased itself to the world, and now aims to create a learning platform for all ages.
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हिसार में कथक की साधना ने दुनिया दिखाई, अब लक्ष्य हर उम्र के लिए सीखने का मंच तैयार करना
दिल्ली मूल की कथक नृत्यांगना स्वाति सिन्हा मंगलवार को हिसार पहुंची। उन्हांने लुवास के वेटरनरी सभागार में कथक नृत्य की प्रस्तुति दी। स्पिक मैके की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में कथक की मुद्राओं पर दर्शकों ने काफी देर तक तालियां बजाई। स्वाति सिन्हा से संवाद न्यूज एजेंसी की संवाददाता ने बातचीत की।
स्वाति सिन्हा ने बताया कि वह विख्यात गुरु पंडित राजेंद्र गंगानी की शिष्या हैं। दिल्ली के कथक केंद्र में उनकी छत्रछाया में शिक्षा प्राप्त करने के बाद स्वाति ने न केवल देश-विदेश में कथक का प्रदर्शन किया, बल्कि इस कला को संजोने और आगे बढ़ाने का बड़ा संकल्प भी लिया।
शास्त्रीय गायन व नृत्य को लेकर युवाओं में कम रूचि होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरा कहना यही है कि कथक की लोकप्रियता में कमी का दावा सही नहीं है। स्टूडेंट्स लगातार बढ़ रहे हैं। गुरुग्राम में मेरे आस-पास भी कई शिक्षण संस्थान हैं और सबके पास भरपूर विद्यार्थी हैं। कमी सिर्फ इस बात की है कि युवा इसे पेशेवर रूप में कम अपनाते हैं।
इसके लिए सरकार और निजी संस्थाओं को ज़्यादा मंच और कार्यक्रम उपलब्ध कराने होंगे, ताकि युवा इस दिशा में बढ़ें।
मैं मानती हूं कि आज की युवा पीढ़ी में क्लासिकल प्रस्तुतियों को देखने का धैर्य कम हुआ है। यूट्यूब के कुछ मिनटों के वीडियो देखना आसान है, लेकिन डेढ़ घंटे तक एक शास्त्रीय कार्यक्रम देखना उन्हें कठिन लगता है। इसलिए कला की समझ स्कूल स्तर से ही विकसित करनी होगी।
मुझे यही लगता है किसी भी कला में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं, अच्छा नृत्य हमेशा दर्शकों से जुड़ ही जाता है। अगर मंच पर कहानी और भावों को सरल भाषा में समझा दिया जाए, तो दर्शक तुरंत जुड़ाव महसूस करते हैं। कथक की प्राचीन कहानियां हर उम्र के लोगों को आकर्षित करती हैं,उन्हें कठिन व्याकरण या मुद्राओं में जाने की ज़रूरत नहीं है।
मेरे संस्थान में पांच साल से लेकर पचास साल तक की उम्र के विद्यार्थी सीखते हैं और मैं हर उम्र की क्षमताओं को समझकर सिखाती हूं। बड़े लोग तेज़ घूम नहीं सकते, तो मैं उन्हें वह चीज़ें नहीं देती जो उनकी सीमा से बाहर हों। छोटे बच्चे या युवा पीढ़ी बेहद तेज़ सीखती हैं, उन्हें केवल सही दिशा में मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
कथक ने मुझे दुनिया का बड़ा हिस्सा दिखाया हैअमेरिका, यूरोप से लेकर आइसलैंड तक मैंने कला यात्राएं की हैं। कई राष्ट्रीय और युवा पुरस्कारों से सम्मानित स्वाति कहती हैं कि हर सम्मान कलाकार के लिए विशेष होता है, पर भारत सरकार द्वारा दिया गया पुरस्कार उनके लिए बेहद बड़ा मील का पत्थर रहा। अपनी यात्रा में मुझे परिवार का अपार सहयोग मिला।
मेरी मां पार्क में बैठकर घंटों मेरा इंतज़ार करती थीं। शादी के बाद पति, सास–ससुर और बेटी का समर्थन हमेशा साथ रहा। कला का पेशा बहुत मेहनत और समय मांगता है,लंबे रियाज़ से लेकर विदेश यात्राओं तक। लेकिन परिवार का साथ हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। मेरा लक्ष्य अब ऐसा मंच तैयार करना है जहां हर उम्र और पृष्ठभूमि का व्यक्ति कथक सीख सके।केवल प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि मन की शांति और आत्मानुभूति के लिए भी।
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