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सोनीपत: पीएम मोदी राजनीतिक, धार्मिक और आध्यात्म पर वर्चस्व प्राप्त कर बनना चाहते हैं जनक : शंकराचार्य
श्री गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं राजनैतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक तीनों का नेतृत्व करना चाहते हैं। ऐसा करके वह स्वयं को राजा जनक के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। शंकराचार्य ने अर्थ, कर्म, धर्म व मोक्ष का वर्णन करते हुए भोग्य सामग्री का नाम अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि जीवन जीविका के लिए है, जन्म का पर्याय मृत्यु है।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज वीरवार को शंभू दयाल स्कूल में श्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वागत समिति व शिवाला शंभू दयाल ट्रस्ट सोसाइटी की ओर से आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन कर रहे थे। धर्मसभा की शुरुआत छात्राओं ने शंकराचार्य की ओर से रचित हमारा प्यारा हिंदू द्वीप गीत सुनाकर की। प्रवचन सत्र के बाद धर्मसभा में शंकराचार्य ने कई श्रद्धालुओं के सवालों का जवाब भी दिया।
इस दौरान एक प्रशंसक ने अयोध्या में धर्म ध्वजा कार्यक्रम पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के सवाल खड़े करने के प्रश्न पर उत्तर दिया कि आज नरेंद्र मोदी तीनों क्षेत्र राजनीतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक पर अपना वर्चस्व चाहते हैं। महिला ने वृंदावन धाम में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पर सही-गलत तर्क जानना चाहा तो शंकराचार्य ने जवाब देते हुए कहा कि इस संबंध में योगी आदित्यनाथ पूछे तो बताएं। वहीं अन्य प्रशंसक ने सवाल किया कि संत-संस्थाएं अलग-अलग होकर सनातन धर्म के लिए प्रसार करते हैं, लेकिन एक मंच पर कोई नहीं आता तो शंकराचार्य ने जवाब दिया कि आप ऐसे हिंदुओं, कथावाचक की बात छोड़ दीजिए, 10 मेंढकों को बिना बांधे एक साथ तराजू पर तोलना व्यर्थ है।
शंकराचार्य बोले वेद शास्त्राें से लिया गया ज्ञान-विज्ञान
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने मोबाइल, रॉकेट, कंप्यूटर के आधुनिक युग में भी वेद शास्त्रों की प्रासंगिकता को समझाया। उन्होंने कहा कि वेद शास्त्रों से ज्ञान-विज्ञान लिया गया है, तभी आधुनिक यंत्रों का सृजन किया गया। आत्मज्ञान के बिना सब ज्ञान अधूरा है। वेद शास्त्रों के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। शंकराचार्य ने कहा कि भव का त्याग करने पर ही भगवान मिलते हैं। भगवान को पाकर हम भव के अधिपति बन सकते हैं। अंत में सभी श्रद्धालुओं को पंक्तिबद्ध भगवान विष्णु की पादुकाओं के दर्शन करने का सौभाग्य मिला।
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