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After the Pahalgam attack, terrorists shifted base, making Khyber Pakhtunkhwa their base.
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पहलगाम हमले के बाद आतंकियों ने बदला ठिकाना, खैबर पख्तूनवा बना अड्डा
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 20 Sep 2025 12:21 PM IST
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के बीच खौफ का माहौल है। भारतीय सेना ने मई में ऑपरेशन सिंदूर के तहत बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद में कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इस कार्रवाई ने जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों की कमर तोड़ दी। अब खुफिया सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि दोनों संगठनों ने अपना मुख्यालय पंजाब के बहावलपुर से हटाकर खैबर पख्तूनवा प्रांत में शिफ्ट कर लिया है।
अफगानिस्तान सीमा से सटा खैबर पख्तूनवा इलाका पहाड़ी और दुर्गम है। यहां की भौगोलिक स्थिति आतंकियों को छिपने, हथियार छुपाने और नई भर्ती चलाने के लिए सुरक्षित माहौल देती है। यही वजह है कि जैश और हिजबुल ने अब अपनी गतिविधियों का केंद्र इसी इलाके को बना लिया है।
जैश ने खैबर पख्तूनवा ऑपरेशन की जिम्मेदारी अपने सीनियर कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी को सौंपी है। वह वही आतंकी है जिसने हाल ही में एक रैली में खुलासा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर में जैश प्रमुख मसूद अजहर के करीबी रिश्तेदार भी मारे गए थे। कश्मीरी जैश की हिलाल उल हक ब्रिगेड का इंचार्ज है और उसकी जिम्मेदारी युवाओं को कट्टरपंथी बनाना, भर्ती अभियान चलाना और सीमापार आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करना है।
14 सितंबर को कश्मीरी ने मनसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्ला कस्बे में एक रैली आयोजित की। यह कार्यक्रम भारत-पाक क्रिकेट मैच शुरू होने से कुछ घंटे पहले हुआ। इसमें हथियारबंद कैडर खुलेआम दिखे और स्थानीय पुलिस की मौजूदगी भी दर्ज की गई। अब 25 सितंबर को वह पेशावर के मकसूदाबाद में एक और बड़ी रैली करेगा, जो मसूद अजहर के भाई यूसुफ अजहर की याद में होगी।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, गढ़ी हबीबुल्ला में जैश का ठिकाना मरकज शोहदा-ए-इस्लाम लगातार विस्तार कर रहा है। वहां हुए कार्यक्रम में करीब 30 मिनट के भाषण में कश्मीरी ने न सिर्फ ओसामा बिन लादेन का महिमामंडन किया बल्कि जैश की विचारधारा को सीधे अल-कायदा से जोड़ने की कोशिश की। उसने दावा किया कि जब 1999 में आईसी-814 विमान अपहरण के बाद मसूद अजहर जेल से छूटकर पाकिस्तान आया था, तो खैबर पख्तूनवा ही उसका पहला ठिकाना बना था।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन आतंकी गतिविधियों को पाकिस्तान में इतनी आसानी से सहयोग कैसे मिल रहा है। कश्मीरी के भाषण में खुद इसका संकेत मिला जब उसने बताया कि बहावलपुर में भारत के हमले के बाद पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने आतंकी मृतकों को भी सैनिकों जैसी सलामी देने का आदेश दिया था। इसके अलावा गढ़ी हबीबुल्ला रैली में वहां के पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर लियाकत शाह की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि पाकिस्तानी पुलिस और प्रशासन जैश को खुला समर्थन दे रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर ने भले ही कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया हो, लेकिन अब उनके खैबर पख्तूनवा खिसकने से भारत के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। यहां की जटिल भौगोलिक स्थिति और अफगानिस्तान की निकटता इन संगठनों को सुरक्षित ठिकाना देती है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आने वाले समय में इन इलाकों से सीमापार आतंकी हमलों की साजिशें और बढ़ सकती हैं।
भारत की कड़ी जवाबी कार्रवाई ने आतंकियों को बहावलपुर और अन्य इलाकों से बेदखल जरूर किया है, लेकिन उनका खैबर पख्तूनवा शिफ्ट होना एक नए खतरे की ओर इशारा करता है। पाकिस्तान की सेना और पुलिस के सहयोग से जैश और हिजबुल नए सिरे से खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए यह सिर्फ सुरक्षा का नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी बड़ी चुनौती है कि वह पाकिस्तान पर दबाव बनाए और इन आतंकी ढांचों को पूरी तरह ध्वस्त कर सके।
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