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SEBI on Hindenburg Report: SEBI gives clean chit to Adani Group, former SEBI director tells the truth
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SEBI on Hindenburg Report: सेबी की अडानी ग्रुप को क्लीन चिट, SEBI के पूर्व निदेशक ने बताया सच
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Fri, 19 Sep 2025 04:58 AM IST
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हिंडनबर्ग मामले में अदाणी समूह को शेयर बाजार नियामक सेबी से बड़ी राहत मिली है। सेबी ने गुरुवार को अरबपति गौतम अदाणी और उनकी समूह कंपनियों, जिनमें अदाणी पोर्ट्स और अदाणी पावर शामिल हैं, के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से लगाए गए स्टॉक हेरफेर के आरोपों को खारिज कर दिया। यह आदेश अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अदाणी पावर लिमिटेड, एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, गौतम शांतिलाल अडानी और राजेश शांतिलाल अदाणी पर लागू होता है। मामले पर विचार करने के बाद, सेबी ने कहा कि उसने "बिना किसी निर्देश के नोटिस प्राप्तकर्ताओं के खिलाफ तत्काल कार्यवाही को समाप्त करने का निर्णय लिया है।"
अमेरिका स्थित वित्तीय अनुसंधान फर्म और शॉर्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गयाथा कि एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड का उपयोग विभिन्न अदाणी समूह कंपनियों से सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध अदाणी पावर को वित्तपोषित करने के लिए धन भेजने के साधन के रूप में किया गया था।
सेबी की ओर से क्लीन चिट मिलने के बाद अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सेबी ने इस बात की पुष्टि की है कि हिंडनबर्ग के दावे निराधार थे। पारदर्शिता और ईमानदारी हमेशा से अदाणी समूह की पहचान रही है। हम उन निवेशकों का दर्द गहराई से समझते हैं जिन्होंने इस धोखाधड़ी और प्रेरित रिपोर्ट के कारण पैसा गंवाया। झूठे दावे फैलाने वालों को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। भारत की संस्थाओं, भारत के लोगों और राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। सत्यमेव जयते! जय हिंद!"
हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में आरोप लगाया था कि अडानी समूह ने तीन कंपनियों एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर स्ट्रक्चर का इस्तेमाल अडानी समूह की कंपनियों के बीच पैसा भेजने के लिए माध्यम के रूप में किया। यह दावा किया गया था कि इससे अडानी को संबंधित पक्ष लेनदेन के नियमों से बचने में मदद मिली, जिससे संभवतः निवेशकों को गुमराह किया गया। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी हुई थी। मामला संसद में भी गरमाया था।
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