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Amidst protests from Bihar Assembly to Parliament, EC made a big announcement on SIR!
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बिहार विधानसभा से संसद तक विरोध के बीच EC ने SIR पर कर दिया बड़ा एलान!
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 25 Jul 2025 01:07 PM IST
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में किए जा रहे मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण का विपक्ष द्वारा संसद से लेकर सड़क तक विरोध किया जा रहा है। भारी विरोध के बावजूद चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बड़ा एलान किया। दरअसल चुनाव आयोग ने कहा है कि देशभर में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण का काम अब शुरू करने का फैसला किया गया है और जल्द ही इसके लिए शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।
चुनाव आयोग ने बीती 24 जून को ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया था और कहा था कि संवैधानिक कर्तव्य के तहत और मतदाता सूची की अखंडता और सुरक्षा के लिए यह मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का काम किया जाएगा। अब चुनाव आयोग ने उसकी शुरुआत कर दी है। चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि 'मतदाता सूची की अखंडता को बनाए रखना निष्पक्ष और मुक्त चुनाव के लिए आधारभूत जरूरत है। जनप्रतिनिधि कानून, 1950 और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टोरल रूल्स, 1960 के तहत योग्यता, मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया और तरीके की जानकारी दी गई है।'
एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) पर क्यों हो रहा विवाद
पिछले महीने 24 जून को निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निर्देश दिया था। यह 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होना है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि चुनाव आयोग इस विशेष गहन पुनरीक्षण की आड़ में पिछले दरवाजे से लोगों की नागरिकता की जांच कर रहा है। साथ ही विपक्ष का आरोप है कि इसकी आड़ में बड़े पैमाने पर लोगों से मतदान का अधिकार छीना जा सकता है। हालांकि, चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता समाप्त हो गई है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि कानून और संविधान के तहत उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांग सके, ताकि लोगों को 'मताधिकार' मिल सके।
विपक्ष के विरोध पर चुनाव आयोग ने उठाए थे सवाल
विपक्ष द्वारा मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण करने का भारी विरोध किया जा रहा है। बिहार विधानसभा और संसद में इस मुद्दे पर हंगामा जारी है। विपक्ष के विरोध और आलोचना के बीच चुनाव आयोग ने कुछ सवाल उठाते हुए कहा कि 'भारत का संविधान, भारतीय लोकतंत्र की मां है। तो क्या विरोध से डरकर चुनाव आयोग को कुछ लोगों के दबाव में भ्रमित हो जाना चाहिए और उन लोगों का रास्ता साफ कर देना चाहिए, जो मृत मतदाताओं के नाम पर फर्जी मतदान करते हैं? जो मतदाता स्थायी तौर पर पलायन कर गए हैं, जो मतदाता फर्जी या विदेशी हैं, क्या उन्हें संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में और फिर पूरे देश में मतदान करने दें?'
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