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Big relief to Elvish Yadav from Supreme Court, trial court proceedings stayed for now
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सुप्रीम कोर्ट से एल्विश यादव को बड़ी राहत, ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर फिलहाल रोक
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 06 Aug 2025 02:04 PM IST
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यूट्यूब और सोशल मीडिया की दुनिया में मशहूर नाम एल्विश यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सांप के जहर से जुड़े एक मामले में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर देश की सर्वोच्च अदालत ने फिलहाल रोक लगा दी है।
यह मामला पिछले साल तब सुर्खियों में आया था जब नोएडा पुलिस ने एल्विश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक पार्टी में अवैध रूप से सांपों और उनके जहर का इस्तेमाल किया था। उस पार्टी में कथित तौर पर विदेशियों की भी मौजूदगी थी और रेव पार्टी में मनोरंजन के लिए सांप के जहर का उपयोग किया गया था।
अब इस पूरे मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रही आपराधिक प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने यूपी सरकार और मामले के शिकायतकर्ता गौरव गुप्ता को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम राहत दी। कोर्ट ने कहा कि जब तक अगली सुनवाई नहीं होती, तब तक ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही पर रोक रहेगी।
यह मामला दरअसल उस याचिका से जुड़ा है जिसमें एल्विश यादव ने अपने खिलाफ दर्ज आरोपपत्र और मुकदमे की कार्यवाही को चुनौती दी थी। यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि उन पर लगाए गए आरोप आधारहीन और राजनीति से प्रेरित हैं, तथा उनके पास से कोई आपत्तिजनक वस्तु बरामद नहीं हुई है।
क्या है पूरा मामला?
मार्च 2024 में नोएडा पुलिस ने एक पार्टी के दौरान सांप और उसके जहर के अवैध इस्तेमाल का मामला दर्ज किया था। इस केस में एल्विश यादव समेत कई लोगों पर आईपीसी और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। जांच में वन विभाग की टीम भी शामिल हुई।
इस पूरे मामले की एफआईआर गौरव गुप्ता नामक एक स्वयंभू पशु कल्याण अधिकारी की शिकायत पर दर्ज हुई थी। बाद में यह खुलासा हुआ कि वह व्यक्ति उस समय अधिकृत पशु कल्याण अधिकारी नहीं था।
यादव के वकील ने यह तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने गलत तरीके से खुद को सरकारी अधिकारी बताया और मीडिया में एल्विश यादव को जानबूझकर घसीटा गया, ताकि सनसनी फैलाई जा सके।
जांच और चार्जशीट क्या कहती है?
पुलिस जांच और वन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगाया गया कि रेव पार्टी में मनोरंजन के लिए सांपों का उपयोग किया गया और वहां मौजूद लोगों को कथित तौर पर उनके जहर का सेवन कराया गया।
चार्जशीट में यह भी दावा किया गया कि इन पार्टियों में कुछ विदेशी नागरिक भी शामिल थे और ये आयोजन बार-बार किए जा रहे थे। हालांकि, एल्विश यादव के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से किसी भी सांप या जहर की बरामदगी नहीं दिखाई गई।
उनके वकील का दावा है कि कोई पुख्ता सबूत नहीं है जो एल्विश को इस मामले से जोड़ सके। उन्होंने यह भी कहा कि एल्विश यादव को जानबूझकर इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे एक लोकप्रिय व्यक्ति हैं और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया।
इससे पहले एल्विश यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न सिर्फ कार्यवाही पर रोक लगाई, बल्कि संबंधित पक्षों से जवाब भी मांगा है। कोर्ट अब यह देखेगा कि आरोपों में दम है या नहीं, और क्या मुकदमे की प्रक्रिया उचित है या नहीं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एल्विश यादव की कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि उन्हें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। वे खुद को निर्दोष बताते रहे हैं और कहते हैं कि उन्हें जानबूझकर फंसाया गया है।
एल्विश ने अपनी याचिका में भी यही तर्क दिया है कि न तो उनके पास से कोई प्रतिबंधित वस्तु मिली और न ही कोई प्रत्यक्ष गवाह है जो उन्हें इस मामले से जोड़ सके।
अब इस मामले में अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी। जब तक कोर्ट कोई अंतिम फैसला नहीं देता, तब तक निचली अदालत में कोई कार्यवाही नहीं चलेगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश को एल्विश यादव के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब सोशल मीडिया और मीडिया में उनकी छवि पहले ही काफी प्रभावित हो चुकी है।
यह देखना अब दिलचस्प होगा कि यूपी सरकार और शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट में क्या जवाब दाखिल करते हैं और कोर्ट अंततः इस मामले पर क्या अंतिम रुख अपनाता है।
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