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Bihar Voter List Revision: नहीं दे पाएंगे वोट अगर भूल गए ये काम! चुनाव आयोग का निर्देश जान लीजिए
वीडियो डेस्क/ अमर उजाला डॉट कॉम Published by: पल्लवी कश्यप Updated Mon, 07 Jul 2025 06:09 PM IST
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24 जून को एसआईआर पर नोटिफ़िकेशन जारी करने के बाद चुनाव आयोग तीन बार अधिक जानकारियों को लेकर अलग-अलग 'नोटिफ़िकेशन' निकाल चुका है जिनमें दस्तावेज़ों के संबंध में बार-बार सुधार किया जा रहा है.जिन मतदाताओं के माता-पिता के नाम साल 2003 की मतदाता सूची में हैं उन्हें माता पिता से संबंधित किसी दस्तावेज़ को देने की ज़रूरत नहीं है. उन्हें सिर्फ़ अपने दस्तावेज़ देने होंगे. चुनाव आयोग ने 25 जुलाई तक वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन का काम पूरा करने को कहा है। इसके लिए पूरे बिहार में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। सबसे ज्यादा परेशान वे लोग हैं जिनका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं था। बिहार में ऐसे लोगों की संख्या 2.93 करोड़ है। चुनाव आयोग का कहना है कि Representation of the People Act, 1950 के मुताबिक मतदाता सूची तैयार करने की जिम्मेदारी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स Electoral Registration Officers (EROs) की होती है और चुनाव आयोग केवल दिशा-निर्देश दे सकता है। इस एक्ट के मुताबिक अंतिम फैसला ERO का ही होता है कि उसे किसी शख्स का नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने का आवेदन स्वीकार करना है या नहीं। कुल मिलाकर बात यह है कि बिहार के जिस तरह के सामाजिक-आर्थिक हालात हैं उसमें लोगों के लिए इन डॉक्यूमेंट्स में से किसी एक को भी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है। चुनाव आयोग के मुताबिक बूथ लेवल ऑफ़िसर 25 जुलाई तक घर-घर जाकर गणना पत्रों में ये ब्योरा जमा करेंगे. 1 अगस्त को मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा. अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उन्हें दावों और ऐतराज के लिए 1 सितंबर तक का समय मिलेगा. 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी. विपक्षी दलों का तर्क है कि ये सारा काम जल्दबाज़ी में हो रहा है, जिसकी वजह से लाखों सही मतदाता भी लिस्ट से बाहर हो जाएंगे. 26 जुलाई तक अपने या अपने माता-पिता की जन्मतिथि या जन्मस्थान के सबूत जुटाना सभी लोगों के लिए संभव नहीं होगा. ये भी तर्क है कि चुनाव आयोग इस बहाने बिहार में National Register for Citizens (NRC) को लाने की कोशिश कर रहा है.
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