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यूपी और हिमाचल में कैसा रहेगा मौसम?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 20 Sep 2025 10:36 AM IST
उत्तर भारत में मौसम के दो बिल्कुल अलग-अलग चेहरे देखने को मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जहां मानसून कमजोर पड़ गया है और बारिश का दायरा लगातार घट रहा है, वहीं हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिलों में बादल फटने और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मौसम विभाग ने साफ किया है कि अब उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में अगले कुछ दिनों तक शुष्क मौसम रहने वाला है, जबकि तराई और पूर्वी जिलों में कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है।
बीते गुरुवार से ही उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश का असर कम होने लगा था। शुक्रवार को ज्यादातर हिस्सों में धूप निकलने और बारिश थमने से दिन के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज हुई। नतीजा यह हुआ कि उमस भरी गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया। मौसम विभाग ने शनिवार के लिए पूरे प्रदेश में कहीं भी भारी बारिश की चेतावनी जारी नहीं की है। पश्चिमी यूपी – मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़ और आसपास के जिलों में अगले तीन-चार दिनों तक मौसम शुष्क रहने के आसार हैं।
पूर्वी यूपी और तराई क्षेत्रों – कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती जैसे जिलों में हल्की बूंदाबांदी की संभावना जताई गई है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, मानसून अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है और सितम्बर के अंतिम सप्ताह तक प्रदेश से इसकी वापसी शुरू हो सकती है।
उधर, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के तरांडा पंचायत में गुरुवार देर रात बादल फटने से थाच गांव में भारी बाढ़ आ गई। अचानक आई आपदा से लोग जान बचाने के लिए जंगलों की ओर भागे। बाढ़ के पानी में दो छोटे वाहन और एक मिक्चर मशीन बह गई। निजी और सरकारी भूमि को भी भारी क्षति पहुंची है।
इस हादसे के बाद नेशनल हाईवे-5 थाच नाले के पास भूस्खलन की वजह से अवरुद्ध हो गया। हाईवे पर करीब ढाई मीटर गहरी खाई बन गई और 110 मीटर हिस्से पर भारी चट्टानें व मलबा जमा हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि किन्नौर का शिमला समेत देश-दुनिया से सड़क संपर्क टूट गया।
राजधानी शिमला भी मौसम की मार झेल रहा है। शुक्रवार को भारी भूस्खलन से सर्कुलर रोड बंद हो गया। हिमलैंड के पास स्थित दो बहुमंजिला भवनों पर खतरा मंडरा रहा है। एहतियातन पास के सेंट एडवर्ड स्कूल को शनिवार के लिए बंद रखने का फैसला किया गया है। शिमला जिले के कुमारसैन की करेवथी पंचायत में एक तीन मंजिला मकान पूरी तरह जमींदोज हो गया।
प्रदेश में अब तक 422 सड़कें, 107 बिजली ट्रांसफार्मर और 185 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। कई क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति और बिजली व्यवस्था ठप हो चुकी है। धौलाधार, भरमौर, मणिमहेश कैलाश और कुगति जोत की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी भी दर्ज की गई है, जिससे ठंड का असर बढ़ने लगा है।
आपदा प्रबंधन विभाग और लोक निर्माण विभाग की टीमें राहत व बचाव कार्यों में जुटी हैं। सड़क संपर्क बहाल करने और बिजली-पानी की आपूर्ति दोबारा शुरू करने के लिए दिन-रात काम चल रहा है। मौसम विभाग ने शनिवार को भी प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश की संभावना जताई है, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका बनी हुई है।
जहां उत्तर प्रदेश के लोग उमस भरी गर्मी और घटते मानसून से जूझ रहे हैं, वहीं हिमाचल के लोग बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं। यह मौसम की वही दोहरी तस्वीर है जो हर साल उत्तर भारत में आपदा और राहत की दो अलग कहानियां लिख जाती है।
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