{"_id":"685cca17f8d000cf1a0315fb","slug":"iran-s-nuclear-sites-destroyed-trump-dismisses-reports-2025-06-26","type":"video","status":"publish","title_hn":"ईरान के परमाणु ठिकाने हुए नस्ट? ट्रंप ने रिपोर्ट्स को किया खारिज","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
ईरान के परमाणु ठिकाने हुए नस्ट? ट्रंप ने रिपोर्ट्स को किया खारिज
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 26 Jun 2025 09:48 AM IST
22 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक बड़ा दावा किया—“हमने ईरान के फोर्डो परमाणु ठिकाने को पूरी तरह नष्ट कर दिया है!”। उनके अनुसार, अमेरिका ने 22 जून को विशेष सैन्य अभियान चलाकर ईरान की यूरेनियम संवर्धन सुविधा और परमाणु संरचनाओं को निष्क्रिय कर दिया है।
यह दावा उन्होंने इस्राइल की परमाणु ऊर्जा आयोग (IAEC) द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के आधार पर किया, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी हमले ने फोर्डो और अन्य ठिकानों को इतना नुकसान पहुंचाया है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई वर्षों तक पीछे चला गया है।
ट्रंप का बयान: “हमारे पायलटों को सलाम”
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा: “इस्राइल ने कहा है कि परमाणु स्थल नष्ट कर दिए गए हैं! हमारे शानदार बी-2 पायलटों और सभी बहादुर सैनिकों को धन्यवाद!”
उनके इस बयान के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई। इस्राइल के समर्थन में दिए गए ट्रंप के इस बयान को लेकर अमेरिका और पश्चिम एशिया में कूटनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं।
इस्राइल के IAEC (Israel Atomic Energy Commission) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के इस हमले से:
• फोर्डो और नतान्ज जैसे परमाणु ठिकानों पर बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंची।
• यूरेनियम संवर्धन संयंत्र आंशिक रूप से निष्क्रिय हो गया।
• ईरान का परमाणु हथियार विकसित करने का कार्यक्रम कई साल पीछे चला गया।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यदि ईरान को यूरेनियम जैसी परमाणु सामग्री नहीं मिलती है, तो यह “रुकावट” दीर्घकालिक हो सकती है।
हालांकि, अमेरिकी मीडिया नेटवर्क CNN ने इस मामले में एक विरोधाभासी रिपोर्ट पेश की है। CNN ने सात अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के हवाले से बताया कि:
• हमले से ईरान का कार्यक्रम कुछ महीनों के लिए धीमा हुआ है, लेकिन उसे पूरी तरह नष्ट नहीं किया गया।
• हमलों से पहले ईरान ने अपने यूरेनियम के भंडार को गुप्त स्थानों पर भेज दिया था।
• ईरान की परमाणु मशीनें अब भी कार्यशील हैं और वे हमले से अछूती बची हैं।
CNN ने यह भी बताया कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) द्वारा किए गए युद्ध क्षति मूल्यांकन के अनुसार, ट्रंप और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के दावों में “पूर्ण सटीकता” नहीं है।
CENTCOM के विश्लेषण में कहा गया है कि:
• अमेरिकी हमलों से ईरान को प्रारंभिक रणनीतिक नुकसान जरूर हुआ है,
• लेकिन उसकी प्रमुख परमाणु क्षमता को नष्ट नहीं किया जा सका।
• ईरान का परमाणु अनुसंधान ढांचा अब भी कायम है, और उसे दोबारा सक्रिय करना संभव है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ट्रंप के बयानों पर अंतरराष्ट्रीय विश्वास डगमगाने लगा है।
इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में 13 जून से शुरू हुआ ईरान-इस्राइल संघर्ष है। इस्राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। इसके जवाब में ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3” लॉन्च किया और इस्राइल पर मिसाइल व ड्रोन हमले किए। इस टकराव में अब अमेरिका के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप ने स्थिति को और गंभीर और जटिल बना दिया है।
ईरान के ठिकानों पर हमले की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन उनकी वास्तविक प्रभावशीलता को लेकर मतभेद हैं।
जहां एक ओर इस्राइल और ट्रंप इसे “ऐतिहासिक सफलता” बता रहे हैं, वहीं CNN और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार यह दावा आधा-अधूरा और राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित हो सकता है। आने वाले दिनों में सैटेलाइट तस्वीरें, परमाणु निरीक्षण रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं इस सच्चाई को और साफ करेंगी।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।