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Jagdeep Dhankad Resigns: Election Commission will start the election process soon, the government is not in a
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Jagdeep Dhankad Resigns: चुनाव आयोग जल्द शुरू करेगा चुनाव की प्रक्रिया, सरकार को जल्दी नहीं
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Wed, 23 Jul 2025 11:01 AM IST
माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा संसद सत्र के दौरान उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने की जल्दबाजी में नहीं है। संविधान में राष्ट्रपति के रिक्त पद पर छह महीने में चुनाव कराए जाने की अनिवार्यता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसा नहीं है। अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार, उपराष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से होने वाली रिक्ति पर यथाशीघ्र चुनाव कराया जाएगा। चुनाव आयोग (ईसी) जगदीप धनखड़ के पद छोड़ने के बाद अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव प्रक्रिया जल्द ही शुरू करेगा।
हालांकि अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को धनखड़ के इस्तीफे की आधिकारिक अधिसूचना जारी करने के साथ ही, उनके उत्तराधिकारी के चुनाव की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है। हालांकि कहा जा रहा है कि सरकार मौजूदा संसद सत्र के दौरान उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने की जल्दबाजी में नहीं है। इससे पहले, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सरकारी गजट में इसकी अधिसूचना जारी की। रिक्त हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए जल्द चुनाव कराना होगा। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, इसलिए यह पद भी खाली हो गया। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मंगलवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू की। धनखड़ सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए। धनखड़ के लिए औपचारिक विदाई की रस्म नहीं हुई, न ही विदाई भाषण हुआ।
राज्यसभा में पीठासीन अधिकारी भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। सदन में गृह मंत्रालय की अधिसूचना को पढ़ा गया। गृह सचिव गोविंद मोहन की ओर से जारी राजपत्र में धनखड़ का त्यागपत्र पुनः प्रकाशित किया गया, जिसे उन्होंने सोमवार शाम को सार्वजनिक किया था। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार धनखड़ को मनाने का प्रयास कर सकती है लेकिन इस्तीफा मंजूर किए जाने से इन अटकलों पर विराम लग गया। धनखड़ ने मंगलवार सुबह साफ कर दिया कि वह विदाई भाषण नहीं देंगे। आमतौर पर उच्च पद पर आसीन व्यक्ति की औपचारिक विदाई होती है। धनखड़ के मामले में सरकार ने ऐसा नहीं किया। इससे माना जा रहा है कि सरकार शायद उनके इस्तीफे के पक्ष में थी। हालांकि विपक्ष ने उनकी जमकर तारीफ की है, जिसने पिछले साल उनके कथित पक्षपात के लिए अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था।
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