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NDA Seat Sharing in Bihar: Chirag Paswan will have to be satisfied with 20 seats, seat sharing formula is read
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NDA Seat Sharing in Bihar: चिराग पासवान को 20 सीट से करना होगा संतोष, सीट बंटवारे का फार्मूला तैयार।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Mon, 25 Aug 2025 04:00 PM IST
बिहार विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटें पाने के लिए दबाव बना रहे लोजपा (आर) के मुखिया चिराग पासवान को राजग में सीटों के बंटवारे के प्रस्तावित फॉर्मूले में लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा। गठबंधन के दो बड़े दलों जदयू-भाजपा के बीच 200 से 205 सीटों पर चुनाव लड़ने पर अंदरखाने बनी सहमति के बाद चिराग पासवान को जल्द ही 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत दो अन्य सहयोगियों आरएलएम और हम के लिए 10 से 12 सीटों का प्रस्ताव तैयार किया गया है।भाजपा सूत्रों ने कहा कि गठबंधन में दलों की संख्या, जमीनी परिस्थिति और कुछ अन्य समीकरणों को साधने की रणनीति के कारण इस फार्मूले में नाममात्र का ही बदलाव संभव है। जदयू-भाजपा ने बीते चुनाव के मुकाबले 20 सीटों का त्याग करने का फैसला किया है। जदयू किसी भी सूरत में सौ से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी नहीं है। भाजपा की भी यही स्थिति है। ऐसे में सहयोगी दलों के लिए अधिकतम 43 सीटें ही बचती हैं।पिछले चुनाव में चिराग के कारण गठबंधन को पहुंचा था नुकसान
भाजपा-जदयू के ताजा फॉर्मूले पर निगाहें चिराग पासवान पर अटकी हैं, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू को बड़ा झटका दिया था।
तब राजग के इतर मैदान में उतरी चिराग की पार्टी 135 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इनमें ज्यादातर उम्मीदवार जदयू के खिलाफ उतारे गए थे। चिराग की इस रणनीति के कारण जदयू को सीधे-सीधे 27 सीटों का नुकसान हुआ था। इसके अलावा ऐसी 37 सीटें भी थी, जहां लोजपा के उम्मीदवार के कारण जदयू को सियासी घाटा उठाना पड़ा था। अलग रुख अपनाने की कम गुंजाइश...बहरहाल, पिछले चुनाव की तरह इस बार चिराग के पास नीतीश के खिलाफ अलग से मोर्चा खोलने का विकल्प नहीं है। राजग में बमुश्किल और बड़ी मशक्कत के बाद शामिल हुए चिराग केंद्र सरकार में मंत्री हैं। जदयू केंद्र सरकार में भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी है। ऐसे में अलग मोर्चा खोलने पर चिराग को इस बार भाजपा का अंदरूनी समर्थन नहीं मिलेगा। इसमें कोई दो-राय नहीं कि लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी का स्ट्राइक रेट सौ फीसदी रहा है। चुनाव में पार्टी को 29 विधानसभा चुनाव में बढ़त हासिल हुई। पार्टी ने अपने हिस्से की सभी पांच सीटें जीतीं। लेकिन जदयू और भाजपा का मानना है कि चूंकि विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा, इसके कारण सीएम नीतीश कुमार की राज्य में सर्वाधिक अहमियत है। पिछले चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में जदयू के मत प्रतिशत में तीन फीसदी का इजाफा हुआ है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू की निगाहें पिछले चुनाव में साथी रहे वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी पर भी है। वीआईपी की मल्लाह मतदाताओं पर पकड़ है, जिनका सीमांचल, कोसी और मिथिलांचल में प्रभाव है। दोनों दल वीआईपी को गठबंधन में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था और BJP ने 110 सीटों पर। उस समय VIP, जो NDA का हिस्सा थी, ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था और HAM (S) ने 7 सीटों पर। LJP ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था। BJP और जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतकर आई थी। BJP को 74 सीटें मिली थीं, जबकि जेडीयू को 43 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि जेडीयू इस बार 100 से कम सीटें स्वीकार नहीं करेगी।एक वरिष्ठ NDA नेता ने कहा, 'पिछली बार जेडीयू का प्रदर्शन LJP के कारण खराब रहा था। पार्टी के पास अभी भी बिहार के लगभग 10% वोट हैं, खासकर EBC (एक्सट्रीमली बैकवर्ड क्लासेस) में। नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है। उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। JD(U) के BJP से कम सीटों पर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता, हालांकि सहयोगियों को समायोजित करने के लिए कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।सीटों के बंटवारे को लेकर BJP और JD(U) के बीच लगभग सहमति बन गई है। LJP (RV) को लेकर कुछ मतभेद हैं।
एक वरिष्ठ BJP नेता ने कहा, 'वे 40 सीटें मांग रहे हैं, जो उनकी क्षमता से कहीं ज्यादा है, उनके पास 5 सांसद हैं और इसका सम्मान किया जाएगा, लेकिन सही आंकड़ा 20 के करीब है। हमें कुशवाहा और मांझी को भी समायोजित करना है और कुछ नए लोग भी आ सकते हैं।' इसका मतलब है कि BJP, LJP (RV) को उसकी मांग से कम सीटें देना चाहती है। BJP को अन्य छोटे दलों को भी सीटें देनी हैं। LJP (RV) का कहना है कि उसने 2024 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, उसने सभी 5 सीटें जीती थीं और 6% से ज्यादा वोट हासिल किए थे। उसने अपने निर्वाचन क्षेत्रों के 30 में से 29 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी। एक वरिष्ठ JD(U) नेता ने कहा, 'लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़े गए थे।विधानसभा चुनावों में स्थानीय कारक और पार्टी की जमीनी ताकत ज्यादा मायने रखती है।' सूत्रों का कहना है कि LJP (RV) ने हाल ही में नीतीश कुमार सरकार की कानून-व्यवस्था की आलोचना की थी। पासवान ने राज्य की राजनीति में लौटने की बात कही थी। यह सब गठबंधन पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने के लिए किया जा रहा था। LJP (RV) नेताओं का कहना है कि यह पार्टी की विस्तार रणनीति का हिस्सा है। पार्टी का लक्ष्य लंबे समय में बिहार के 15% वोट हासिल करना है, 2020 में पार्टी को सिर्फ 5.66% वोट मिले थे।
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