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130th Constitution Amendment Bill: India alliance splits over joining JPC. TMC
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130th Constitution Amendment Bill: इंडिया गठबंधन में JPC में शामिल होने को लेकर पड़ी फूट। TMC
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Sat, 23 Aug 2025 01:39 PM IST
केंद्र सरकार हाल ही संपन्न हुए संसद के मॉनसून सत्र में एक नया बिल लेकर आई। पीएम-सीएम को बर्खास्त करने वाले इस विधेयक को जैसे ही लोकसभा में पेश किया गया, विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसकी वजह से सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी में भेजने के प्रस्ताव रखा, जिसे स्पीकर ने स्वीकृति दे दी। अब इस बिल के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) बनाई जाएगी। जेपीसी में सभी दलों के सांसद होंगे। वे कानून पर विचार करेंगे और अपनी राय देंगे। भले ही ये विधेयक जेपीसी में चला गया हो लेकिन विपक्षी खेमे में इस बिल को लेकर घमासान जारी है।दरअसल, इस कानून के तहत अगर किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को 30 दिन के लिए जेल हो जाती है, तो उन्हें अपने पद से हटा दिया जाएगा। विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल कई दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस कानून पर संसद में चर्चा हो। हालांकि, इस कानून को लेकर विपक्ष में मतभेद हो गया है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अलग रुख अख्तियार किया है।तृणमूल कांग्रेस इस ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमिटी में शामिल नहीं होना चाहती है। टीएमसी का कहना है कि इस कानून का विरोध करना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, टीएमसी चाहती है कि JPC का बहिष्कार किया जाए। लेकिन बाकी विपक्षी दल चाहते हैं कि वे पैनल में रहें। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मोदी सरकार को विपक्ष शासित राज्यों को निशाना बनाने का हथियार न मिले।
कांग्रेस को पैनल में 4-5 सीटें मिलने की उम्मीद है। इंडिया गठबंधन में शामिल डीएमके और समाजवादी पार्टी ने भी जेपीसी में शामिल होने की इच्छा जताई है। हालांकि, अब कांग्रेस को सहयोगी टीएमसी के अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इससे पहले बुधवार को INDIA गठबंधन की एक बैठक हुई। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश किए गए तीन विधेयकों पर तीखी बहस हुई।अब क्या करेगी टीएमसी...इस बैठक में एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा कि विपक्ष को जेपीसी से दूर रहना चाहिए। लेकिन एक छोटे दल के सदस्य ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जेपीसी ही एकमात्र ऐसा मंच है जहां विपक्ष अपनी बात रख सकता है और असहमति भी दर्ज करा सकता है। टीएमसी सदस्य ने कहा कि सरकार अंततः अपना काम कर लेती है, जैसे कि वक्फ विधेयक पर जेपीसी में हुआ था।
हालांकि, जवाब में यह बताया गया कि जेपीसी की कार्यवाही ने एक बड़ा उद्देश्य पूरा किया। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उनका उल्लेख किया था। फिलहाल विपक्ष हाल ही संपन्न हुए मॉनसून सत्र में एकजुट रहने में कामयाब रहा। लेकिन सत्र के अंतिम दिन पेश किए गए तीन विधेयकों ने कुछ दरारें पैदा कर दीं। अब देखना होगा कि टीएमसी क्या अपने रुख में कोई बदलाव करेगी। क्या टीएमसी जेपीसी का बहिष्कार जारी रखेगी? या फिर वह बाकी विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस समिति में शामिल होगी?
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