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SC Hearing on S.I.R: What did the court say to EC, gave this order on Aadhar, Voter ID.
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SC Hearing on S.I.R : EC को कोर्ट ने क्या कहा,आधार,वोटर ID पर सुना दिया ये फरमान।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 29 Jul 2025 12:16 PM IST
सुप्रीम कोर्ट मे SIR से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को एक और झटका दिया है।शीर्ष न्यायालय ने चुनावी राज्य बिहार में मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ याचिकाओं पर एक बार निर्णय करेगा।दरअसल, इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ कर रही है। पीठ ने कहा कि वह 29 जुलाई को मामले की अंतिम सुनवाई के लिए समय तय करेगी। जानकारी दें कि एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि मतदाता सूचियों को अंतरिम रूप से अंतिम रूप नहीं दिया जाना चाहिए और मसौदा सूचियों के प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगा दी जानी चाहिए।इसके बाद मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कोर्ट के पूराने आदेश पर गौर किया। जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए दबाव नहीं डाल रहे हैं और इसलिए अभी ऐसा नहीं किया जा सकता और मामले की एक बार में ही व्याख्या की जाएगी।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार और मतदाता पहचान पत्रों को डॉक्यूमेंटेशन की लिस्ट में शामिल करें। वहीं, राशन कार्ड को लेकर कोर्ट ने कहा कि जहां तक राशन कार्डों का सवाल है, हम कह सकते हैं कि उन्हें आसानी से जाली बनाया जा सकता है, लेकिन आधार और मतदाता पहचान पत्रों की कुछ सत्यता होती होती है और उनकी असली होने की धारणा होती है। आप इन दस्तावेजों को स्वीकार करना जारी रखें। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग के बहिष्कारपूर्ण दृष्टिकोण पर चिंता व्यक्त की है। साथ ही कोर्ट की पीठ ने सत्यापन प्रक्रिया में दोनों दस्तावेजों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग पर डाला दबाव ....न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, 'धरती पर किसी भी दस्तावेज को जाली बनाया जा सकता है।' उन्होंने चुनाव आयोग पर यह स्पष्ट करने का दबाव डाला कि आधार और ईपीआईसी को पूरी तरह से स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा है , जबकि पंजीकरण फॉर्म में आधार पहले से ही मांगा जा रहा है। जानिए कोर्ट में चुनाव आयोग ने क्या दिया तर्क?... सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
कोर्ट ने फर्जी राशन कार्डों के बारे में चिंता जताई। साथ ही कहा कि बड़े पैमाने पर जालसाजी के कारण उन पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। हालांकि, आयोग ने माना कि आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। पंजीकरण फॉर्म में इसकी संख्या पहले से ही मांगी गई है। जाली दस्तावेज रोकने की व्यवस्था कहां, कोर्ट ने उठाया सवाल....सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि चुनाव आयोग की अपनी सूची में कोई भी दस्तावेज निर्णायक नहीं है, तो यही तर्क आधार और ईपीआईसी पर भी लागू हो सकता है। पीठ ने पूछा, 'अगर कल को आपके द्वारा स्वीकार किए गए अन्य दस दस्तावेज भी जाली पाए गए, तो इसे रोकने की व्यवस्था कहां है? बड़े पैमाने पर लोगों को शामिल करने की बजाय बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर क्यों रखा जा रहा है?' कोर्ट ने यह भी अनुरोध किया कि यदि किसी को सूची से बाहर रखा जाता है तो प्रक्रिया के लिए समयसीमा निर्धारित की जाए।
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