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ट्रंप के सीजफायर वाले दावे पर हो गई जबरदस्त बहस
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 28 Jul 2025 07:04 PM IST
संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष से कहा, 'अगर आपको प्रश्न पूछना है तो यह पूछिए, इस ऑपरेशन में क्या हमारे जांबाज सैनिकों की कोई क्षति हुई है? तो उसका उत्तर है,नहीं, हमारे सैनिकों की कोई क्षति नहीं हुई है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि भारत अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए दृढ़ है। आइए, हम सभी दलगत मतभेदों से ऊपर उठकर, 'संगच्छध्वं संवदध्वं' के मंत्र से प्रेरणा लेते हुए, एकजुट होकर खड़े हों।
उन्होंने कहा कि मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि यह समय एकजुट होकर अपनी सुरक्षा, संप्रभुता और आत्मसम्मान की रक्षा के संकल्प को और अधिक मजबूत करने का है। हमें यह याद रखना होगा कि हमारी सामाजिक और राजनीतिक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। मैं इस सदन को और देश की जनता को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी सरकार, हमारी सेनाएं और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं, सब मिलकर देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज मोदीजी के नेतृत्व में भारत वह देश नहीं रहा जो पहले था। आज भारत सहता नहीं, जवाब देता है। आज भारत आतंक की जड़ तक जाता है और उसे उखाड़ फेंकने का सामर्थ्य रखता है। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि आज का भारत अलग सोचता है और अलग तरीके से काम करता है। हमारा मानना है कि जब आपका प्रतिद्वंद्वी आतंक को रणनीति बना चुका हो और बातचीत की भाषा नहीं समझता हो, तो दृढ़ रहना और निर्णायक होना ही एकमात्र विकल्प होता है।
जब केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तब जाकर कहीं हालात बदलने शुरू हुए। साल 2017 में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में पहली बार आतंकवाद से लश्कर और जैश जैसे आतंकवादी संगठनों को जोड़ा गया। यह परिस्थिति इसलिए बनी क्योंकि उसके ठीक एक साल पहले उरी की घटना के बाद भारत की सेनाओं ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक कीं। हमने दुनिया को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ हम सरहद के इस पार भी मारेंगे और जरूरत पड़ी तो आतंकियों के घर में घुस कर मारेंगे। यह बदलाव प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में आया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभ्य और लोकतांत्रिक देशों के साथ बातचीत हो सकती है। लेकिन जिस देश में जरा भी लोकतंत्र न हो और जहां सिर्फ़ धार्मिक कट्टरता और भारत के खिलाफ नफरत हो, उसके साथ बातचीत नहीं हो सकती। आतंकवाद की भाषा डर, खून और नफरत है, बातचीत नहीं। बातचीत की आवाज गोलियों की बौछार में दबा दी जाती है। जहां खून बहता है, वहां बातचीत नहीं हो सकती। पाकिस्तान अपने ही जाल में फंस गया है। पाकिस्तान की नीयत और नीति पर कोई शक नहीं होना चाहिए। पाकिस्तानी सरकार आतंकवादियों के लिए राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन करती है और सेना के अधिकारी उसमें शामिल होते हैं। भारत को हजार जख्म देने का सपना देखने वालों को अब जाग जाना चाहिए। यह एक नया भारत है जो पीएम मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है।
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